ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती:- किसान साथियों नमस्कार, आप मार्च के महीने में बसंतकालीन गन्ने की बुवाई करने की योजना बना रहे हैं और आपका लक्ष्य कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करना है, तो परंपरागत खेती की विधियों को छोड़कर वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। इन वैज्ञानिक तरीकों में से एक प्रभावी और लाभकारी तकनीक है, ट्रेंच विधि। यह विधि न केवल गन्ने के उत्पादन में वृद्धि करती है, बल्कि पानी की बचत और सहफसली के जरिए अतिरिक्त आय का अवसर भी प्रदान करती है। आइए, इस लेख में हम ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती के फायदों, इसकी प्रक्रिया और इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
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ट्रेंच विधि क्या है और यह क्यों बेहतर है?
ट्रेंच विधि एक ऐसी तकनीक है जिसमें गन्ने की बुवाई के लिए खेत में 4 फीट से अधिक दूरी पर लाइनों में नालियां (ट्रेंच) बनाई जाती हैं। इन नालियों में गन्ने के बीज बोए जाते हैं। इस विधि से खेती करने पर गन्ने का जमाव 70 से 75 प्रतिशत तक होता है, जो परंपरागत विधि की तुलना में कहीं अधिक है। परंपरागत तरीके से खेती करने पर केवल 40 प्रतिशत कल्ले ही गन्ने में बदल पाते हैं, जबकि ट्रेंच विधि में यह आंकड़ा 80 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इससे फसल का फुटाव बेहतर होता है और उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिलती है।
ट्रेंच विधि के फायदे
ट्रेंच विधि का एक बड़ा लाभ यह है, कि इसमें पानी की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। परंपरागत विधि में पूरे खेत को सिंचाई की जरूरत पड़ती है, जिससे पानी की बर्बादी होती है। वहीं, ट्रेंच विधि में केवल नालियों में ही पानी दिया जाता है, जिससे सिंचाई अधिक प्रभावी और किफायती हो जाती है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि उन क्षेत्रों के लिए भी वरदान है जहां पानी की उपलब्धता सीमित है।
उत्पादन की बात करें तो ट्रेंच विधि से किसान प्रति हेक्टेयर कम से कम 1000 क्विंटल गन्ने की उपज प्राप्त कर सकते हैं। यदि खेती की देखभाल बेहतर तरीके से की जाए, तो यह उपज 1500 से 1800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाई जा सकती है। यह परंपरागत विधि से प्राप्त होने वाली उपज से कहीं अधिक है। इस तरह, किसान कम संसाधनों में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
सहफसली
ट्रेंच विधि की एक खासियत यह है, कि इसमें गन्ने की दो लाइनों के बीच 4 फीट से अधिक की दूरी होती है। इस खाली स्थान का उपयोग किसान सब्जियों या अन्य छोटी अवधि की फसलों की खेती के लिए कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसान इस स्थान पर मूली, पालक, धनिया, मटर या अन्य मौसमी सब्जियां उगा सकते हैं। इन फसलों से होने वाली आय न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि गन्ने की फसल के लिए जरूरी संसाधनों को जुटाने में भी मदद करती है।
सहफसली का यह मॉडल छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह उन्हें एक ही खेत से दोहरी आय का अवसर देता है। साथ ही, गन्ने की फसल तैयार होने तक सहफसली से मिलने वाली आय किसानों के लिए एक वित्तीय सहारा बन सकती है।
ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती आधुनिक कृषि की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह विधि न केवल उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि पानी की बचत, लागत में कमी और सहफसली के जरिए अतिरिक्त आय का रास्ता भी खोलती है। मार्च में बसंतकालीन गन्ने की बुवाई के लिए यह तकनीक अपनाकर किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। इसलिए, यदि आप एक किसान हैं और अपने खेत से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो ट्रेंच विधि को जरूर आजमाएं। यह न केवल आपके लिए, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगी। धन्यवाद!
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