गन्ना किसानों के लिए नई तकनीक: जैविक खाद और सही सिंचाई से बढ़ाएं पैदावार

By Kheti jankari

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गन्ना किसानों के लिए नई तकनीक

गन्ना किसानों के लिए नई तकनीक:- किसान साथियों नमस्कार, खेती में आधुनिक तकनीकों और तरीकों का उपयोग आज के समय में किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। खास तौर पर गन्ना उगाने वाले किसानों के लिए हाल ही में कुछ ऐसी उपयोगी जानकारी सामने आई है, जो उनकी फसल की पैदावार को बढ़ाने में मदद कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गन्ने की खेती में दो खास चीजों पर ध्यान दिया जाए और उनका सही ढंग से उपयोग किया जाए, तो न केवल फसल की मात्रा में इजाफा होगा, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी पहले से बेहतर होगी।

जैविक खाद का उपयोग

गन्ने की खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के साथ-साथ फसल को कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है। जैविक खाद के रूप में गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और जीवामृत जैसे विकल्पों को अपनाया जा सकता है। इनके फायदे और उपयोग के तरीके इस प्रकार हैं:

  1. गोबर की खाद: यह मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाती है, जिससे गन्ने की जड़ें मजबूत बनती हैं। मजबूत जड़ें फसल को स्थिरता प्रदान करती हैं और उसे मौसम की मार से बचाने में मदद करती हैं। गोबर की खाद को खेत में अच्छी तरह मिलाने से मिट्टी की संरचना भी सुधरती है।
  2. वर्मीकम्पोस्ट: यह जैविक खाद गन्ने के पौधों के विकास को तेज करने में सहायक है। इसके उपयोग से न केवल फसल जल्दी बढ़ती है, बल्कि गन्ने में चीनी की मात्रा भी बेहतर होती है। यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है, जो मिट्टी को स्वस्थ रखते हैं।
  3. जीवामृत: यह एक प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में काम करता है। जीवामृत का उपयोग करने से गन्ने की फसल को कीटों और बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम होती है। यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इन जैविक खादों का सही मात्रा और समय पर उपयोग करने से गन्ने की पैदावार में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। साथ ही, गन्ने की मिठास और चीनी की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिलता है।

सिंचाई का उचित प्रबंधन

गन्ने की फसल के लिए पानी बेहद जरूरी है, लेकिन पानी की मात्रा और उसका प्रबंधन सही होना चाहिए। बहुत ज्यादा या बहुत कम पानी देना फसल के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, सिंचाई के सही तरीके और समय का ज्ञान होना आवश्यक है। कुछ प्रभावी सिंचाई तकनीकें इस प्रकार हैं:

  1. ड्रिप सिंचाई: यह आधुनिक तकनीक पानी की बचत करती है और गन्ने की जड़ों तक सीधे पानी पहुंचाती है। इससे पौधों को जरूरत के अनुसार पोषण मिलता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। ड्रिप सिंचाई से पानी का अपव्यय भी कम होता है।
  2. स्प्रिंकलर सिस्टम: इस विधि से खेत में पानी एकसमान रूप से फैलता है, जिससे हर पौधे को पर्याप्त नमी मिलती है। यह गन्ने के समान विकास में मदद करता है और फसल को सूखे से बचाता है।
  3. सिंचाई का समय: मौसम के अनुसार सिंचाई का समय निर्धारित करना जरूरी है। गर्मियों में गन्ने को हर 10 से 15 दिन में पानी देना चाहिए, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। सर्दियों में इस अंतराल को थोड़ा बढ़ाया जा सकता है।

सही सिंचाई प्रबंधन अपनाने से गन्ने की पैदावार में 25 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी संभव है। यह तरीका न केवल उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि पानी जैसे संसाधन की बर्बादी को भी रोकता है।

गन्ने की खेती को और बेहतर बनाने के लिए कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान देना चाहिए। मसलन, अच्छी किस्म का चयन करना उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, को.लख. 14201 जैसी किस्म से प्रति हेक्टेयर 900 से 1000 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है। इसके अलावा, सिंचाई के दौरान एट्राज़िन 50डब्ल्यू. पी 1 किलो प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करने से खरपतवार की समस्या कम होती है। गन्ने की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाने से पौधे मजबूत होते हैं और फसल के गिरने का खतरा कम हो जाता है।

गन्ना किसानों के लिए जैविक खाद का उपयोग और सही सिंचाई प्रबंधन दो ऐसे प्रभावी तरीके हैं, जो उनकी खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। इन तकनीकों को अपनाने से न सिर्फ फसल की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। यह पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। अगर आप गन्ना किसान हैं, तो इन तरीकों को आजमाकर अपनी खेती को बेहतर और लाभकारी बनाएं। इससे न केवल आपको आर्थिक लाभ होगा, बल्कि खेती में नई सफलता की कहानी भी लिखी जा सकेगी।

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Kheti jankari

मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

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