सूरजमुखी की खेती:- किसान साथियों नमस्कार, सूरजमुखी की खेती गर्मी के मौसम में किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है। विशेष रूप से आलू और सरसों जैसी फसलों की कटाई के बाद। यह फसल कम पानी की आवश्यकता के कारण शुष्क और सूखे क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती है। जिससे यह उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जहां पानी की कमी एक बड़ी चुनौती है। सूरजमुखी के बीजों से प्राप्त तेल और अन्य उत्पादों की बाजार में लगातार मांग बनी रहती है, जिससे किसानों को आर्थिक स्थिरता मिलती है। इसके साथ ही, सहफसली खेती और मधुमक्खी पालन जैसे विकल्प आय बढ़ाने में मदद करते हैं।
गर्मी में सूरजमुखी की खेती के फायदे
गर्मी का मौसम, खासकर जायद सीजन, सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। जौ, आलू, और सरसों की फसल कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं, और इन खेतों में सूरजमुखी की बुवाई करके किसान अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं। इस फसल को कम पानी की जरूरत होती है, जो इसे शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है। सूरजमुखी के बीजों से निकाला गया तेल खाद्य उपयोग, जैसे खाना पकाने के तेल, से लेकर औद्योगिक जरूरतों तक कई क्षेत्रों में काम आता है। इसके अलावा, बीजों का उपयोग पशु आहार और अन्य उत्पादों में भी होता है, जिससे इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। जायद सीजन में इसकी उपज बेहतर होती है, और इसे खरीफ व रबी मौसम में भी उगाया जा सकता है, लेकिन गर्मी में इसकी खेती को प्राथमिकता दी जाती है।
सहफसली खेती
सूरजमुखी को गर्मी की दूसरी फसलों के साथ सहफसली खेती के रूप में उगाया जा सकता है, जिससे किसानों को दोहरी आय का लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए, इसे अन्य फसलों के बीच अंतराली खेती के रूप में उगाकर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही, सूरजमुखी के खेतों में मधुमक्खी पालन करके शहद उत्पादन से अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है, क्योंकि सूरजमुखी के फूल मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं। सरकार भी सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, जैसे सब्सिडी, बीज वितरण, और तकनीकी सहायता, जिनका लाभ उठाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
सूरजमुखी की मुख्या किस्में
सूरजमुखी की कई किस्में हैं, जिन्हें सामान्य और हाइब्रिड श्रेणियों में बांटा जा सकता है। नीचे इनकी विस्तृत जानकारी दी गई है:
किस्म | पकने का समय (दिन) | ऊंचाई (सेमी) | फूल का व्यास (सेमी) | अधिकतम उपज (क्विंटल/एकड़) | तेल की मात्रा (%) |
---|---|---|---|---|---|
मॉडर्न (सामान्य) | 75-80 | 80-100 | 12-15 | 7-8 | 34-38 |
सूरज (सामान्य) | 80-85 | 110-150 | 12-15 | 6 | 35-37 |
केवीएसएच-1 (हाइब्रिड) | 90-95 | 150-180 | 15-20 | 12 | 43-45 |
एसएच-3322 (हाइब्रिड) | 90-95 | 135-175 | 15-20 | 11 | 40-42 |
एमएसएफएच-17 (हाइब्रिड) | 90-95 | 140-150 | 15-20 | 11 | 35-40 |
वीएसएफएच-1 (हाइब्रिड) | 90-95 | 140-150 | 15-20 | 11 | 35-40 |
हाइब्रिड किस्में आमतौर पर अधिक उपज और तेल की मात्रा प्रदान करती हैं, जो किसानों के लिए आकर्षक हैं।
बुवाई का समय और तरीका
जायद सीजन में सूरजमुखी की बुवाई के लिए खेत की तैयारी जरूरी है। खेत को पलेवा करके मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई और फिर 2-3 जुताई देशी हल से करनी चाहिए। बुवाई का सबसे अच्छा समय फरवरी के दूसरे पखवाड़े से मार्च के अंत तक है। बीज को 4-5 सेमी गहराई पर पंक्तियों में बोना चाहिए, जहां पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी रखनी चाहिए। सामान्य किस्मों के लिए 5-6 किलो और हाइब्रिड किस्मों के लिए 2-3 किलो बीज प्रति एकड़ की दर से बुवाई की जाती है।
खाद और पानी का प्रबंधन
सूरजमुखी की खेती में उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। सामान्य तौर पर, नाइट्रोजन 32 किलो, फास्फोरस 24 किलो, और पोटाश 16 किलो प्रति एकड़ पर्याप्त होता है। पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों बाद करनी चाहिए, और फिर 10-15 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई जारी रखनी चाहिए। फूल निकलने और दाना भरने के समय हल्की सिंचाई विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उपज को बढ़ाने में मदद करती है।
निष्कर्ष
सूरजमुखी की खेती गर्मी में किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। कम पानी की जरूरत, अच्छी उपज, और बाजार में मांग के कारण यह फसल आर्थिक लाभ का मजबूत साधन बन सकती है। सहफसली खेती, मधुमक्खी पालन, और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी। कृपा कमेंट के मद्धम से जरूर बताएं और इसे अन्य किसानों तक अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!
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