पुदीने की खेती का सही तरीका:- किसान साथियों नमस्कार, पुदीना न केवल घर की रसोई का जरूरी हिस्सा है, बल्कि यह किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी एक बेहतर विकल्प है। इसकी मांग सालभर बनी रहती है, क्योंकि इसका उपयोग चटनी, शरबत, दवाइयाँ, सौंदर्य उत्पाद, और यहाँ तक कि गन्ने के रस में भी होता है। पुदीने को सुखाकर लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे किसानों को नकदी फसल के रूप में लाभ मिलता है। आइए, जानें कि कम लागत और आसान तरीके से पुदीना की खेती कैसे करें:
पुदीने की खेती क्यों फायदेमंद है
पुदीना एक ऐसी फसल है, जिसका इस्तेमाल हर घर में होता है। चटनी बनाने से लेकर गर्मियों में गन्ने के रस में स्वाद बढ़ाने तक, पुदीना हर जगह काम आता है। इसे सुखाकर भी रखा जा सकता है, जिससे सालभर इसकी बिक्री और उपयोग संभव है। मौसम के हिसाब से किसान इसे अपने खेतों में उगा सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
खेत की तैयारी
पुदीने की खेती के लिए ऐसी मिट्टी चाहिए जो उपजाऊ हो और जिसमें पानी आसानी से निकल जाए। भारी और चिकनी मिट्टी में पुदीना अच्छा नहीं उगता, क्योंकि इसमें पानी रुक जाता है और जड़ें सड़ सकती हैं। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और इसे कुछ दिन खुले में छोड़ दें। इसके बाद 15-20 गाड़ी सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर फिर से जुताई करें। खेत को समतल कर लें ताकि पानी एक जगह न रुके।
सही मौसम और तापमान
पुदीना गर्म और हल्के ठंडे मौसम में अच्छे से उगता है। इसे जायद (गर्मी) और खरीफ (बरसात) दोनों मौसमों में बोया जा सकता है। लेकिन सर्दियों में अगर पाला पड़ जाए तो फसल खराब हो सकती है। बीज या पौधे के उगने के लिए 20-25 डिग्री तापमान ठीक रहता है। पौधों के बढ़ने के लिए 30 डिग्री और ज्यादा से ज्यादा 40 डिग्री तक तापमान सहन कर सकता है। मौसम को देखते हुए बुवाई का समय चुनें।
पौधे कैसे तैयार करें और लगाएं
पुदीने की बुवाई के लिए पहले नर्सरी में पौधे तैयार करें। यह काम खेत में रोपाई से 1.5 से 2 महीने पहले शुरू करें। जब पौधे 4-6 इंच के हो जाएं, तो उन्हें खेत की क्यारियों में लगाएं। क्यारियां ऐसी बनाएं कि पानी आसानी से पहुंच सके। पौधों के बीच 20-25 सेमी की दूरी रखें ताकि वे अच्छे से बढ़ सकें। रोपाई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखें।
पानी और खाद का ध्यान
पुदीने को पानी की बहुत जरूरत होती है। गर्मियों में हर 2-3 दिन में हल्का पानी दें। सर्दियों में 15 दिन में एक बार सिंचाई काफी है। खाद के लिए गोबर की खाद के साथ-साथ एन.पी.के. उर्वरक का इस्तेमाल करें। यह खाद आखिरी जुताई के वक्त डालें। जब फसल बढ़ने लगे, तो तीसरी या चौथी सिंचाई के साथ 20 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ डालें। इससे पौधों को ताकत मिलेगी और पत्तियां हरी-भरी रहेंगी।
खरपतवार और देखभाल
खेत में खरपतवार (जंगली घास) को बढ़ने न दें। ये पौधों के लिए जरूरी खाद और पानी चुरा लेते हैं। बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें और फिर जरूरत पड़ने पर इसे दोहराएं। खेत को साफ रखने से फसल स्वस्थ रहेगी और पैदावार बढ़ेगी।
पुदीने की खेती करना आसान और फायदेमंद है। सही मिट्टी, पानी, और देखभाल से किसान अच्छी फसल ले सकते हैं। यह फसल न सिर्फ घरेलू जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि बाजार में बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी देती है। किसानों को चाहिए कि वे मौसम और मिट्टी को ध्यान में रखकर खेती करें और जरूरत पड़ने पर स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह लें। धन्यवाद!
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