मिट्टी का pH क्या है, और इसका फसलों पर असर कैसे पड़ता है, सम्पूर्ण जानें

By Kheti jankari

Published on:

मिट्टी का pH क्या है

किसान भाइयों, हमारी फसलें मिट्टी से ही पलती हैं। जैसे हमें अच्छा खाना चाहिए, वैसे ही फसलों को भी सही मिट्टी चाहिए। मिट्टी का pH बताता है कि मिट्टी कितनी खट्टी (अम्लीय) या खारी (क्षारीय) है। अगर मिट्टी का pH संतुलित नहीं है, तो फसल कमज़ोर हो सकती है, पैदावार घट सकती है, और मेहनत बेकार जा सकती है।

मिट्टी का pH क्या है

pH एक नाप है, जो मिट्टी की खटास या खारीपन को मापता है। इसका पैमाना 0 से 14 तक होता है:

  • pH 7.0: मिट्टी तटस्थ (न्यूट्रल) होती है। यह ज़्यादातर फसलों के लिए सबसे अच्छी होती है।
  • pH 7.0 से कम: मिट्टी खट्टी (अम्लीय) होती है।
  • pH 7.0 से ज़्यादा: मिट्टी खारी (क्षारीय) होती है।

ज़्यादातर फसलें 6.0 से 7.0 pH वाली मिट्टी में अच्छी तरह उगती हैं। अगर pH इससे बहुत कम या ज़्यादा हो, तो फसलों को नुकसान होता है।

1. बहुत खट्टी मिट्टी (pH 6.0 से कम) का असर

जब मिट्टी बहुत खट्टी हो जाती है, तो कई समस्याएँ आती हैं:

  1. पोषक तत्वों की कमी: खट्टी मिट्टी में यूरिया, DAP, MOP जैसी खादों से पौधों को ज़रूरी तत्व (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) ठीक से नहीं मिल पाते। पौधे कमज़ोर रह जाते हैं, और फसल की पैदावार घट जाती है।
  2. ज़हरीले तत्व बढ़ जाते हैं: खट्टी मिट्टी में एल्युमिनियम और मैंगनीज जैसे तत्व निकलते हैं, जो जड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं। जड़ें सड़ने लगती हैं, और पौधा मुरझा जाता है।
  3. अच्छे बैक्टीरिया मर जाते हैं: मिट्टी में मौजूद अच्छे कीड़े और बैक्टीरिया, जो हवा से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं, खटास के कारण मर जाते हैं। गोबर की खाद भी ठीक से नहीं पकती।
  4. पौधों का विकास रुकता है: पौधे छोटे रह जाते हैं, पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, और फूल-फल कम लगते हैं।

कौन सी फसलें सहन कर सकती हैं?
कुछ फसलें जैसे आलू, चाय, कॉफी, और अनानास थोड़ी खट्टी मिट्टी (pH 5.0-6.0) में अच्छी तरह उगती हैं, लेकिन गेहूँ, धान, मक्का, और ज़्यादातर सब्ज़ियों को नुकसान होता है।

2. बहुत खारी मिट्टी (pH 7.5 से ज़्यादा) का असर

जब मिट्टी बहुत खारी हो जाती है, तो ये दिक्कतें आती हैं:

  1. माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स की कमी: खारी मिट्टी में लोहा (Iron), जस्ता (Zinc), तांबा (Copper) जैसे छोटे पोषक तत्व पौधों को नहीं मिल पाते। इससे पत्तियाँ पीली या सफेद पड़ने लगती हैं (क्लोरोसिस रोग)।
  2. फॉस्फोरस फंस जाता है: DAP जैसी फॉस्फोरस वाली खाद डालने के बावजूद, पौधे उसे सोख नहीं पाते। इससे खाद का पैसा बर्बाद होता है।
  3. मिट्टी सख्त हो जाती है: खारी मिट्टी में सख्त परत बन जाती है, जिससे पानी और हवा जड़ों तक नहीं पहुँच पाते। जड़ें कमज़ोर हो जाती हैं।
  4. खाद देर से पकती है: गोबर खाद, कम्पोस्ट, या जैविक खाद का अपघटन धीमा हो जाता है, जिससे मिट्टी को पूरा फायदा नहीं मिलता।

कौन सी फसलें सहन कर सकती हैं
जौ, चुकंदर, और पालक जैसी फसलें थोड़ी खारी मिट्टी में उग सकती हैं, लेकिन धान, गेहूँ, और ज़्यादातर दालें-फलियाँ कमज़ोर पड़ जाती हैं।

सबसे अच्छी मिट्टी कैसी हो

ज़्यादातर फसलों के लिए pH 6.0 से 7.0 वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इस रेंज में:

  • पौधों को सभी ज़रूरी पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं।
  • मिट्टी में अच्छे बैक्टीरिया और कीड़े पनपते हैं, जो मिट्टी को उपजाऊ रखते हैं।
  • खाद और उर्वरकों का पूरा फायदा मिलता है, और पैदावार बढ़ती है।

मिट्टी की खटास और खारीपन को कैसे ठीक करें

1. खट्टी मिट्टी को ठीक करना (pH कम है):

  • चूना डालें: खेत की जुताई से पहले चूना (Lime) या जिप्सम डालें। यह मिट्टी की खटास को कम करता है और pH को बढ़ाता है। कितना चूना डालना है, यह मिट्टी की जाँच के बाद पता चलता है।
  • जैविक खाद का इस्तेमाल: गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालने से मिट्टी की सेहत सुधरती है।
  • हरी खाद: ढेंचा, मूँग, या उड़द की फसल उगाकर उसे मिट्टी में मिला दें। इससे खटास कम होती है।

2. खारी मिट्टी को ठीक करना (pH ज़्यादा है):

  • जैविक खाद डालें: गोबर की खाद, कम्पोस्ट, या वर्मी-कम्पोस्ट का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करें। यह मिट्टी की खारीपन को कम करता है।
  • सल्फर का प्रयोग: पाइराइट्स या गंधक (Sulfur) डालें। यह खारीपन को कम करता है और pH को संतुलित करता है।
  • अच्छी सिंचाई और जल निकासी: खेत में पानी का अच्छा प्रबंध करें। अतिरिक्त नमक को पानी के साथ बाहर निकालने के लिए उचित ड्रेनेज सिस्टम बनाएँ।

सबसे ज़रूरी: मिट्टी की जाँच कराएँ

किसान भाइयों, बिना मिट्टी की जाँच के खाद या चूना डालना पैसे की बर्बादी है। अपने खेत की मिट्टी को सॉइल टेस्टिंग लैब में जाँचने के लिए भेजें। यह सुविधा सरकारी कृषि कार्यालयों या निजी लैब में मुफ्त या कम कीमत पर उपलब्ध है। जाँच की रिपोर्ट से पता चलेगा:

  • मिट्टी का pH कितना है।
  • कौन से पोषक तत्व कम हैं।
  • कितना चूना, सल्फर, या खाद डालनी है।

जाँच के बाद सही मात्रा में खाद और सुधारक डालने से आपकी फसल की पैदावार बढ़ेगी, और लागत भी बचेगी।

ये भी पढ़ें;-मात्र 13 किलो यूरिया में तैयार करें अपनी गेहूं की फसल:कम खर्च में ऐसे लें अधिक पैदावार

गेहूं बिजाई में डीएपी से भी ताकतवर इस खाद का इस्तेमाल करें

Kheti jankari

खेती जानकारी एक ऐसी वेबसाइट है। जिसमें आपको कृषि से जुड़ी जानकारी दी जाती है। यहां आप कृषि, पशुपालन और कृषि यंत्रों से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

Leave a Comment