खेतों में रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल: नुकसान और बेहतर रास्ते

By Kheti jankari

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खेतों में रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल

किसान साथियों नमस्कार, खेतों में उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवारनाशक और फफूंदीनाशक जैसे रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल हमारी मिट्टी, फसलों, पर्यावरण, पशुओं और हमारे स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुँचाता है। साथ ही, कुछ ऐसे उपाय भी सुझाऊँगा, जिनसे हम अपनी खेती को बेहतर और सुरक्षित बना सकते हैं। ये जानकारी हर किसान भाई के लिए ज़रूरी है, ताकि हम अपनी धरती और सेहत को बचा सकें।

रसायनों से होने वाले नुकसान

1. मिट्टी को नुकसान

खेतों में रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल हमारी मिट्टी को कमज़ोर करता है। मिट्टी में छोटे-छोटे जीव और कीटाणु होते हैं, जो उसे उपजाऊ बनाते हैं। रसायन इन अच्छे जीवों को मार देते हैं, जिससे मिट्टी की ताकत कम हो जाती है। इससे फसल अच्छी नहीं उगती। इसके अलावा, रसायनों से मिट्टी या तो खट्टी (अम्लीय) हो जाती है या उसमें नमक जमा हो जाता है, जिससे मिट्टी की बनावट खराब होती है। मिट्टी में मौजूद प्राकृतिक पोषक तत्व भी खत्म हो जाते हैं, और वह धीरे-धीरे बंजर होने लगती है। अगर मिट्टी स्वस्थ नहीं होगी, तो हमारी खेती कैसे चलेगी।

2. पानी का प्रदूषण

खेतों में डाले गए रसायन बारिश के पानी के साथ बहकर नदियों, तालाबों और जमीन के नीचे के पानी में मिल जाते हैं। इससे पानी गंदा हो जाता है। रसायनों की वजह से पानी में शैवाल बहुत बढ़ जाते हैं, जिसे सुपोषण कहते हैं। इससे पानी में ऑक्सीजन कम हो जाती है, और मछलियाँ व अन्य जल जीव मरने लगते हैं। दूषित पानी पीने से इंसानों और जानवरों को बीमारियाँ हो सकती हैं। कई बार तो पीने का पानी इतना खराब हो जाता है कि उसे इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाता है।

3. फसलों पर बुरा असर

रसायनों का लगातार इस्तेमाल करने से फसलों को सही पोषण नहीं मिलता। पौधों में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे उनकी बढ़ोतरी रुक जाती है। कुछ फसलें रसायनों के खिलाफ इतनी मज़बूत हो जाती हैं कि हमें और ज़्यादा रसायन डालने पड़ते हैं। इससे फसल का स्वाद, पोषण और गुणवत्ता कम हो जाती है। अगर फसल में रसायनों के अवशेष रह जाएँ, तो वह खाने के लिए सुरक्षित नहीं रहती।

4. इंसानों और जानवरों की सेहत को खतरा

रसायनों के अवशेष खाने में रह जाते हैं, जिससे कैंसर, हार्मोन की गड़बड़ी और दूसरी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। खेत में काम करने वाले किसानों को रसायनों के संपर्क से साँस की तकलीफ, त्वचा की जलन या लंबी बीमारियाँ हो सकती हैं। दूषित पानी या चारा खाने से हमारे पशु भी बीमार पड़ते हैं। इससे दूध और मांस की गुणवत्ता भी खराब होती है, जो हमारे लिए और नुकसानदायक है।

5. पर्यावरण को हानि

रसायन मधुमक्खियों और तितलियों जैसे परागण करने वाले कीटों को मार देते हैं, जो फसलों के लिए बहुत ज़रूरी हैं। इसके अलावा, मिट्टी में रहने वाले अच्छे कीड़े और जीव भी खत्म हो जाते हैं, जिससे जैव विविधता कम होती है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ने से फसलों पर कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रसायनों से हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे कमज़ोर हो रहा है।

6. आर्थिक नुकसान

ज्यादा रसायन इस्तेमाल करने से खेती की लागत बढ़ती है, क्योंकि समय के साथ हमें और ज़्यादा रसायन खरीदने पड़ते हैं। मिट्टी की उर्वरता कम होने से खेती लंबे समय तक चल नहीं पाती। अगर फसल में रसायनों के अवशेष ज़्यादा हों, तो बाज़ार, खासकर निर्यात के लिए, उसे स्वीकार नहीं करता। इससे हमारा मुनाफा कम हो जाता है।

बेहतर और आसान उपाय

हम रसायनों का इस्तेमाल कम करके अपनी खेती को बेहतर बना सकते हैं। यहाँ कुछ आसान तरीके हैं:

  1. जैविक खाद: गोबर, कम्पोस्ट और जैव-उर्वरकों का इस्तेमाल करें। ये मिट्टी को ताकत देते हैं और फसल को पोषण देते हैं।
  2. एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम): कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक तरीके अपनाएँ, जैसे अच्छे कीटों का इस्तेमाल या जाल लगाना।
  3. फसल चक्रण: हर बार अलग-अलग फसलें उगाएँ। इससे मिट्टी स्वस्थ रहती है और कीटों की समस्या कम होती है।
  4. परिशुद्ध खेती: रसायनों को सिर्फ़ ज़रूरत के हिसाब से और सही मात्रा में डालें। इससे बर्बादी कम होगी।
  5. प्रतिरोधी फसलें: ऐसी फसलें चुनें, जो कीटों और बीमारियों से ख़ुद लड़ सकें।

हम किसान अपनी मेहनत और समझदारी से मिट्टी, फसल, पर्यावरण और अपनी सेहत को बचा सकते हैं। जैविक खेती और सही तरीकों से हम न सिर्फ़ अच्छी फसल उगा सकते हैं, बल्कि अपनी धरती को भी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचा सकते हैं। आइए, मिलकर अपनी खेती को सुरक्षित और टिकाऊ बनाएँ।

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