Organic farming:- किसान साथियों नमस्कार, रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयां मानव की सेहत के साथ-साथ मिट्टी की सेहत को भी खराब करती हैं। कीटनाशक दवाइयां और रासायनिक खादों के लगातार प्रयोग से मिट्टी लगातार बंजर होती जा रही है। हम अत्यधिक पैदावार लेने के चक्कर में इन रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाइयां का प्रयोग तो करते हैं, लेकिन हम इसके दुष्प्रभाव के बारे में नहीं सोचते। किसान साथियों आप आप जैविक खेती करके भी एक अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इसके लिए आप घर पर ही कुछ ऐसे जैविक उत्पाद तैयार कर सकते हैं। जो आपकी फसल को सभी प्रकार के तत्वों को प्रदान करते हैं, और इससे आपकी मिट्टी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता।
गेहूं में जिंक डालें या नहीं:जानें कृषि सलाहकार इस बारे में क्या कहते है
जैविक खाद के लाभ
जैविक खाद के किसानों को काफी ज्यादा लाभ देखने को मिलते हैं। रासायनिक खाद जैसे यूरिया और डीएपी महंगे दामों पर मिलते है। वही जैविक खाद आप घर पर बहुत कम खर्चे में बना सकते हैं। जो किसान साथी जैविक खेती करना चाहते हैं, वह अपने घर पर जैविक खाद जिसे जीवामृत कहते हैं, बना सकते हैं। इसके प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। जीवामृत का प्रयोग आप किसी भी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं।
जीवामृत बनाने का तरीका
जीवामृत बनाने के लिए आपको बाजार से कुछ भी लाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। आपको अपने घर में प्रयोग होने वाली कुछ चीजों को लेकर आसानी से जीवामृत बना सकते हैं। 200 लीटर जीवामृत बनाने के लिए आपको 2 किलोग्राम बेसन, 2 किलोग्राम गोबर 2 किलोग्राम गुड़ और 500 ग्राम पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है। किसान साथियों आप 200 लीटर के एक ड्रम में इन सभी चीजों को मिलाकर इसे क्लॉकवाइज घुमाएं। इस मिश्रण को छायादार स्थान पर 6 से 7 दिनों के लिए रखें और इसे रोज हिलाते रहे। जीवामृत को तैयार होने में 6 से 7 दिन लग जाते हैं। इसके बाद आप इस जीवामृत को अपने खेत में प्रयोग कर सकते हैं।
जीवामृत का प्रयोग कौन-सी फसलों पर करें
किसान साथियों आप जीवामृत का प्रयोग किसी भी फसल पर कर सकते हैं। मुख्य तौर पर आप अनाज वर्गीय फस्लें जैसे- धान, गेहूं, जो, मक्का आदि फसलों में इसका प्रयोग अवश्य करें। जीवामृत को आप अपने खेत में पानी के साथ चला के डाल सकते है। इसके साथ जीवामृत का स्प्रे भी आप अपनी फसलों पर सकते है।
आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी। कृपया कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और इसे आगे अन्य किसानों तक अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!
ये भी पढ़ें- गेहूं की पैदावार कम होने का सबसे बड़ा कारण