धान के पत्ते सूखने की समस्या:मात्र 1 स्प्रे से दूर होगी धान सूखने की समस्या

By Kheti jankari

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धान के पत्ते सूखने की समस्या

धान के पत्ते सूखने की समस्या:- किसान साथियों नमस्कार,, धान में समय-समय पर अनेक रोग देखे जाते हैं। इनमें से कुछ रोग फंगस द्वारा फैलते हैं, तथा कुछ कीटों द्वारा फैलते हैं। धान में ऊपरी पत्तियों का सूखना एक फंगस जनित रोग है। जो एक बैक्टीरिया के द्वारा फैलता है। बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले इस रोग को बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट या फिर पत्ती झुलसा रोग भी कहते हैं। अधिक यूरिया डालने और देरी से यूरिया डालने की स्थिति इस रोग को बढ़ावा देती है। यह रोग जठम्मानुस उराजी नमक जीवाणु से फैलता है। यह रोग स्वस्थ पौधों में ज्यादातर रोग ग्रस्त पौधों की बूंदे और पक्षियों के द्वारा फैलता है। धान में ब्लाइट रोग की पहचान और इसकी रोकथाम के तरीके को जानने के लिए कृपया नीचे पुरा लेख पढ़ें।

धान में झुलसा रोग की पहचान

झुलसा रोग धान में ही नहीं लगता, बल्कि यह कपास, आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च आदि फसलों में भी देखा जाता है। जब यह रोग आपकी धान की फसल में जल्दी आ जाता है। तो इसे अर्ली ब्लाइट कहा जाता है। अगर यह आपकी फसल में फसल पकने के समय पर आता है, तो इसे लेट ब्लाइट कहा जाता है। इस रोग को फैलने के लिए 25 से 34 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सबसे उपयुक्त रहता है। इसको फैलने के लिए 70% से अधिक नमी की आवश्यकता होती है। इस रोग में पौधे की पत्तियों पर हरी व पीली धारियां बन जाती है। जो लंबाई और चौड़ाई में बढ़ जाती है। पत्ती की ऊपरी नोक सूख जाती है। और कठोर और सफेद हो जाती है। अधिक गंभीर स्थिति पूरी पत्ती भी सूख जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए हमें ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए। जो इसके प्रति सहनशील हो। झुलसा रोग आपकी पैदावार को 60% तक कम कर सकता है। इसलिए इस रोग के लक्षण दिखते ही स्प्रे कर देना चाहिए।

धान में झुलसा रोग की रोकथाम का सही तरीका

धान में झुलसा रोग की रोकथाम करने के लिए आपको इसमें फफूंदीनाशक का स्प्रे करना पड़ता है। जिससे रोग एकदम से खत्म हो जाता है। झुलसा रोग के रोकथाम के लिए आपको ज्यादा दवाइयां का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता। इसके लिए आप सस्ती दवाइयां का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

झुलसा रोग की रोकथाम कार्बेन्डाजिम(Carbendazim)12% + मेंकोजेब(Mencozeb) 63%WP की 500g मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करें या फिर टेबुकोनाज़ोल(Tebuconazole) 25.9%Ec की 250ml मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ-साथ कसुगामाइसिन(Kasugamycin) 3% sl ki 400ml मात्रा प्रति एकड़ भी आप प्रयोग कर सकते है। इसके साथ-साथ कॉपर ऑक्सिक्लोराइड ( copper oxychaloride) 50%wp की 300g मात्रा प्रति एकड़ का प्रयोग कर सकते हैं। ऊपर बताई गई दवाइयां में से आप किसी का भी इस्तेमाल करें वह इस रोग पर पूरी तरह से कंट्रोल कर लेंगे।

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Kheti jankari

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