गन्ने में खाद प्रबंधन:- गन्ने की खेती भारत के लगभग सभी भागों में की जाती है। अलग अलग जलवायु में गन्ने की अलग पैदावार देखने को मिलती है। मैं आपको हरियाणा , पंजाब, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में गन्ने की अधिक पैदावार लेने के लिए खाद और अन्य पोषक तत्वों की संपूर्ण जानकारी देने वाला हूं।
गन्ने की फसल 40 से 120 दिन तक अपने कल्ले बनाती है। 120 दिन के बाद गन्ना अपनी पूरी खुराक लंबाई बड़ाने में लगाता है। इसलिए गन्ने में हमे 120 दिन तक वो सभी काम कर लेने चाहिए जिससे हम कल्ले बढ़ा सकते है। गर्मी के दिनों में गन्ने में नमी बनाए रखना जरूरी है।
गन्ने में अधिक कल्ले, लंबाई और मोटाई बढ़ने के लिए खाद और पोषक तत्वों का प्रबंधन हम इस प्रकार कर सकते है।
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गन्ने में खाद प्रबंधन
- 30 – 35 दिनों बाद हमें 30kg यूरिया + 3kg NPK 19-19-19+ 200g saaf फंगीसाइड ( c+m) का इस्तेमाल करना है।
- 60 – 65 दिनों के बाद हमें दूसरा खाद देना है जिसमे 45kg यूरिया+ 25kg पोटाश का प्रयोग करना है।
- 90 – 95 दिनों बाद हमें कैल्शियम नाइट्रेट 20kg + मैग्नीशियम सल्फेट 10kg + 200g बोरोन का प्रयोग करना है।
- 120 – 125 दिनों बाद हमें NPK 13-00-45 5kg + 20kg यूरिया+ 5kg virtako का प्रयोग करना है
- 150 – 155 दिनों बाद हमें जिंक सल्फेट 8kg+यूरिया 45kg का प्रयोग करना है।
- 180 – 185 दिनों बाद हमें सल्फर 6kg+ NPK 00-52-34 5kg+ fertera 8kg का प्रयोग करना है।
- 210 – 215 दिनों बाद हमें Ssp 50kg + urea 25kg का प्रयोग करना है।
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जिस किसान भाई के गन्ने में पीलापन हो तो उसमे हरापन लेने के लिए 10kg फेरस सल्फेट का प्रयोग करे। इन सभी खाद के साथ किसानों को अपने गन्ने में आने वाले रोगों की पहचान करके उनका समाधान करना भी जरूरी है। इसके साथ किसान भाई अपने खेत की निराई गुड़ाई और सिंचाई समय पर करते रहनी चाहिए।
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