किसान भाइयों नमस्कार, मैं एक किसान हूँ, और आज मैं आपसे एक ऐसी बात करने जा रहा हूँ जो हमारे खेतों और मिट्टी के लिए बहुत ज़रूरी है। हम में से कई लोग खेत साफ करने के लिए झाड़ियाँ, फसल अवशेषों और सूखे पत्ते जलाते हैं। ये तरीका आसान और तेज़ लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे हमारी मिट्टी को कितना नुकसान होता है? आइए, मैं आपको बताता हूँ कि झाड़ियाँ जलाने से मिट्टी को क्या-क्या नुकसान होते हैं और हमें इसके बजाय क्या करना चाहिए।
मिट्टी को होने वाले नुकसान
1. मिट्टी की ताकत कम हो जाती है
हमारी मिट्टी में पत्तियाँ, छोटे-मोटे पौधे और कार्बनिक पदार्थ होते हैं। जो इसे ताकतवर और उपजाऊ बनाते हैं। लेकिन जब हम झाड़ियाँ या फसल अवशेषों को जलाते हैं, तो ये सब जलकर राख हो जाते हैं। मिट्टी को पोषण देने वाले ज़रूरी तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और सल्फर हवा में उड़ जाते हैं। इससे मिट्टी कमज़ोर हो जाती है, और फसल अच्छी नहीं उग पाती। बिना पोषक तत्वों के मिट्टी ऐसी हो जाती है जैसे बिना खाद का खेत – नतीजा, फसल कमज़ोर और पैदावार कम होती है।
2. मिट्टी का कटाव बढ़ जाता है
झाड़ियाँ और पौधे मिट्टी को ढककर रखते हैं, जैसे छतरी बारिश से बचाती है। लेकिन जब हम इन्हें जला देते हैं, तो मिट्टी नंगी हो जाती है। नंगी मिट्टी को हवा आसानी से उड़ा ले जाती है, और बारिश का पानी इसे बहा ले जाता है। इससे खेत की सबसे उपजाऊ ऊपरी परत खत्म हो जाती है। फिर फसल को बढ़ने के लिए अच्छी मिट्टी नहीं मिलती, और हमारी मेहनत बेकार चली जाती है।
3. मिट्टी की बनावट खराब हो जाती है
मिट्टी में छोटे-छोटे कण होते हैं, जो पानी और हवा को पकड़कर रखते हैं। आग की गर्मी इन कणों को तोड़ देती है, जिससे मिट्टी सख्त और भुरभुरी हो जाती है। ऐसी मिट्टी पानी को अच्छे से सोख नहीं पाती, और फसलों की जड़ें भी इसे आसानी से नहीं भेद पातीं। इससे मिट्टी का ढाँचा बिगड़ जाता है, और खेत बंजर होने की कगार पर पहुँच जाता है।
4. मिट्टी के जीव-जंतु मर जाते हैं
मिट्टी में केंचुए, छोटे कीड़े और सूक्ष्मजीव होते हैं, जो मिट्टी को हल्का और उपजाऊ बनाते हैं। ये जीव पत्तियों और जैविक चीज़ों को तोड़कर मिट्टी में पोषक तत्व मिलाते हैं। लेकिन आग लगने से ये सब मर जाते हैं। जब ये जीव नहीं रहते, तो मिट्टी की प्राकृतिक प्रक्रियाएँ, जैसे पोषक तत्वों का चक्र, रुक जाती हैं। इससे मिट्टी की सेहत खराब हो जाती है।
5. मिट्टी की सतह सख्त हो जाती है
आग से निकली राख और गर्मी मिट्टी की ऊपरी सतह पर एक सख्त परत बना देती है, जिसे पपड़ी कहते हैं। ये परत पानी को मिट्टी में जाने से रोकती है और पौधों की जड़ों को बढ़ने में दिक्कत देती है। इससे फसल की शुरुआत ही कमज़ोर हो जाती है, और पैदावार पर बुरा असर पड़ता है।
6. मिट्टी में नमी कम हो जाती है
आग लगने से मिट्टी का पानी भाप बनकर उड़ जाता है। सूखी मिट्टी में फसल उगाना मुश्किल होता है। बिना नमी के मिट्टी बंजर हो जाती है, और फसलों को बढ़ने के लिए ज़रूरी पानी नहीं मिल पाता।
कुछ छोटे-मोटे फायदे
झाड़ियाँ या फसल अवशेषों को जलाने से कुछ फायदे हो सकते हैं। जैसे, राख में पोटैशियम और कैल्शियम जैसे तत्व मिलते हैं, जो मिट्टी को थोड़ा पोषण दे सकते हैं। खेत साफ और रोपण के लिए तैयार दिखता है। लेकिन ये फायदे बस कुछ समय के लिए हैं। लंबे समय में मिट्टी को नुकसान ही होता है, और फसल की पैदावार कम हो जाती है।
भाइयो, हमारी मिट्टी हमारी माँ है। इसे बचाना हमारा कर्तव्य है। झाड़ियाँ या फसल अवशेषों को जलाने की जगह हमें ये तरीके अपनाने चाहिए:
- खाद बनाएँ: झाड़ियों, पत्तियों और जैविक कचरे को इकट्ठा करके खाद बनाएँ। ये मिट्टी को ताकत देगा और फसलों को पोषण देगा।
- कवर क्रॉप्स लगाएँ: कुछ खास फसलें, जैसे मूँग या चना, उगाएँ जो मिट्टी को बाँधे रखें और कटाव रोकें।
- हल्की जुताई करें: ज़मीन को सावधानी से जोतें ताकि मिट्टी की बनावट बनी रहे।
- पेड़-पौधे लगाएँ: खेत के किनारों पर पेड़ या झाड़ियाँ लगाएँ, जो हवा और पानी से मिट्टी को बचाएँ।
झाड़ियाँ जलाना आसान लग सकता है, लेकिन ये हमारी मिट्टी को कमज़ोर करता है और भविष्य में फसलों को नुकसान पहुँचाता है। अगर हम अपनी मिट्टी को स्वस्थ रखें, तो हमारे खेत हरे-भरे रहेंगे, और हमारी फसलें अच्छी होंगी। आइए, हम सब मिलकर अपनी मिट्टी की हिफाज़त करें और टिकाऊ खेती को बढ़ावा दें।
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