बासमती धान की खेती:- किसान साथियों नमस्कार, भारत में धान खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है, और बासमती धान इसकी सबसे लोकप्रिय और मूल्यवान किस्मों में से एक है। बासमती अपनी अनूठी सुगंध, स्वाद और लंबे-पतले दानों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। भारतीय किसान बड़े पैमाने पर बासमती धान की खेती करते हैं, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित उन्नत किस्मों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये किस्में न केवल अधिक उपज देती हैं, बल्कि प्रमुख रोगों और कीटों के प्रति भी सहनशील हैं। मई का महीना शुरू होने वाला है, और देश के विभिन्न राज्यों में किसान धान की खेती की तैयारी में जुट गए हैं। इस लेख में हम बासमती धान की खेती, इसकी उन्नत किस्मों, और खेती की तकनीकों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
बासमती धान की उन्नत किस्में
- पूसा बासमती 1718:
- यह किस्म 2017 में विकसित की गई थी और सिंचित खेतों के लिए उपयुक्त है।
- यह 136-138 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और औसतन 46-48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है।
- इसके दाने लंबे, पतले और आकर्षक होते हैं।
- यह किस्म गिरने और दाने झड़ने से बची रहती है तथा इसकी सुगंध बेहद लुभावनी होती है।
बासमती धान की खेती की तैयारी
धान की खेती शुरू करने से पहले खेत की उचित तैयारी आवश्यक है। किसानों को निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:
- खेत की जुताई और समतल करना: खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल करें। इससे बीज की बुवाई और पानी का प्रबंधन आसान होता है।
- पानी का प्रबंधन: यदि सीधी बुवाई की जा रही है, तो खेत में हल्की नमी बनाए रखें। परंपरागत रोपाई के लिए खेत में पानी जमा करें, ताकि रोपाई के लिए उपयुक्त कीचड़ बन जाए।
- बुवाई और रोपाई:
- सीधी बुवाई: बीज को खेत में सीधे बोया जाता है, जैसा कि गेहूं की बुवाई में किया जाता है। इसके लिए बीज की मात्रा और दूरी का ध्यान रखें।
- रोपाई: नर्सरी में उगाए गए धान के पौधों को तैयार खेत में रोपें। नर्सरी में बीज बोने के 25-30 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
- बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज का उपयोग करें। पूसा बासमती 1718 जैसे उन्नत बीज किसानों को घर बैठे ऑनलाइन या स्थानीय कृषि केंद्रों से प्राप्त हो सकते हैं।
बासमती धान की खेती भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय है। पूसा बासमती 1718 जैसी उन्नत किस्मों के उपयोग से किसान न केवल अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि बाजार में बेहतर कीमत भी हासिल कर सकते हैं। मई के महीने में धान की खेती की शुरुआत करने से पहले किसानों को खेत की तैयारी, बीज चयन, और उचित खेती तकनीकों पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, प्रमाणित बीजों का उपयोग और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर वे अपनी खेती को और भी लाभकारी बना सकते हैं।
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