धान की टॉप हाइब्रिड किस्में:Top 5 hybrid varieties of paddy

By Kheti jankari

Published on:

धान की टॉप हाइब्रिड किस्में

धान की टॉप हाइब्रिड किस्में:- किसान साथियों नमस्कार, धान खरीफ में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। पारंपरिक तौर पर इसको पौध तैयार करके उसके बाद खेत में लगाया जाता है। लेकिन कुछ किसान साथी अब धान की सीधी बिजाई भी करने लगे हैं। धान की सीधी बिजाई में पानी की कम आवश्यकता पड़ती है। किसान भाई इस विधि से काफी अच्छी पैदावार निकल रहे हैं। धान की सीधी बिजाई में किसानों के सामने अक्सर मजदूर की प्रॉब्लम रहती है। सीधी बिजाई से किसान आसानी से अपनी फसल की बुवाई कर सकते हैं। लेकिन सीधी बिजाई में खरपतवारों की समस्या मुख्य तौर पर ज्यादा देखी जाती है। इसमें खरपतवार अधिक मात्रा में उगते हैं। इसलिए किसान भाई इस तरीके से धान की खेती कम मात्रा में करते हैं। धान की पैदावार आपकी मिट्टी, पानी और बीज पर निर्भर करता है। आप किस प्रकार के बीज का चयन करते हैं। इससे आपकी पैदावार प्रभावित होती है। हमें हमेशा ही एक ऐसी किस्म का चयन करना चाहिए। जो हमें अच्छी पैदावार निकाल कर दे। इस लेख में मैं आपको धान की ऐसी पांच किस्मों के बारे में बताऊंगा। जो पिछले सालों में किसानों को सबसे अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही है। धान की टॉप पांच हाइब्रिड किस्मों के बारे में जानने के लिए कृपया पुरा लेख पढ़ें।

धान की पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप ऐसे करें सस्ते में रोकथाम

धान की टॉप 5 हाइब्रिड किस्में

धान की टॉप 5 किस्मों की बात करें। तो इसमें सवाना सीड्स, टाटा सीड्स और कावेरी सीड्स की कुछ किस्म देखने को मिलती है। यह किस्में में पिछले दो सालों में सबसे अधिक पैदावार निकाल कर दे रही हैं, और किसानों द्वारा काफी ज्यादा पसंद की जा रही है। ये किस्में नीचे बताई गयी है।

सवा-7501 हाइब्रिड धान किस्म

सवा-7501 धान किस्म सवाना सीड्स की एक हाइब्रिड धान किस्म है। इसको किसान काफी ज्यादा पसंद कर रहे हैं, और यह किसानों को 40 से 42 क्वांटल प्रति एकड़ तक की पैदावार निकाल कर दे रही है। इस किस्म का पकने का समय 125 से 130 दिन के लगभग रहता है। इसमें गिरने की समस्या भी नहीं रहती। इसका तना काफी ज्यादा मजबूत होता है। इस किस्म में झुलसा और हॉपर जैसे रोग देखने को नहीं मिलते।

कावेरी-7299 हाइब्रिड धान किस्म

कावेरी-7299 कावेरी सीड्स की एक हाइब्रिड धान किस्म है। धान की इस किस्म की लंबाई मद्धम रहती है। यह 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जब पौध 20 से 25 दिन की हो अगर उसे समय इसका ट्रांसप्लांट किया जाए, तो यह किसानों को काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। यह किस्म 35 से 38 क्वांटल प्रति एकड़ तक पैदावार आसानी से दे देती है। कावेरी सीड्स की ये सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्म है।

टाटा-8336 हाइब्रिड धान किस्म

टाटा-8336 धान किस्म टाटा सीड्स की एक हाइब्रिड धान किस्म है। जो पकने में 125 दिन का समय लेती है। इस किस्म का तना काफी मजबूत होता है। इसका दाना काफी मोटा और वजनदार रहता है। इस किस्म में कल्लों का फुटाव अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक होता है। इस धान किस्म की औसत पैदावार की बात करें। तो यह 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार आसानी से दे देती है।

सवा-7301 हाइब्रिड धान किस्म

सवा-7301 धान किस्म सवाना सीड्स की एक हाइब्रिड किस्म है। यह किस्म पिछले तीन-चार सालों से किसानों द्वारा काफी ज्यादा पसंद की जा रही है। यह किस्म 115 से 120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। औसत पैदावार की बात करें, तो यह 32 से 35 क्वांटल प्रति एकड़ तक पैदावार आसानी से दे देती है। लेकिन कुछ किसान इससे 38 से 40 क्वांटल प्रत्येक एकड़ तक पैदावार भी ले रहे हैं। इसके लिए आपको अच्छी मिट्टी और अच्छे पानी में इसको लगाना पड़ता है।

VNR-2222 हाइब्रिड धान किस्म

VNR-2222 वीएनआर सीड्स की एक हाइब्रिड धान किस्म है। धान की इस किस्म की लंबाई 100 से 105 सेंटीमीटर तक रहती है, और यह किसानों को काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। धान की इसकी समय किसी प्रकार के कोई रोग देखने को नहीं मिलता। यह किस्म पकने में लगभग 110 से 115 दिन का समय लेती है। इसकी औसत पैदावार 35 क्विंटल तक रहती है।

किसान साथियों अगर आप ऊपर दी गई इन किस्म में से किसी भी किस्म की बिजाई करते हैं। आपको इन किस्म ने कैसी पैदावार निकाल कर दी है। कृपया कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और इसे आगे अन्य किसानों तक अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!

ये भी पढ़ें- श्रीकर 369 गोल्ड हाइब्रिड धान किस्म

धान की बाली में दाने खाली या भूरे होने का कारण और पक्का इलाज जानें

धान की सीधी बिजाई

कावेरी-471 धान किस्म की विशेषताए

Kheti jankari

मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

Leave a Comment