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पौधा गन्ना की कटाई के बाद मुख्य स्प्रे:Main spray of plant after harvesting of sugarcane

पौधा गन्ना की कटाई शुरू हो चुकी है। किसान भाई फरवरी से लेकर मार्च तक पौधा गन्ना की कटाई करते हैं। कुछ किसान भाई गेहूं वाले खेतों में गन्ना बिजाई करते हैं, और वह उसे समय तब भी गन्ने का बीज रखने के लिए गन्ने को रखते हैं। जब भी आप पौधा गन्ना की कटाई करें। उसके बाद आपको उसमें कुछ ऐसे कार्य करने चाहिए। जिससे उसमें शुरू से ही कीट रोग या फंगस रोग ना लगे और आपके कल्लों का फुटाव बेहतर हो। क्योंकि अक्सर देखा जाता है, कि किसान भाई गन्ना कटाई के बाद उसमें गन्ने की जड़ें कट फट जाती हैं, और उनमें फंगस और कीट रोग ज्यादा मात्रा में देखने को मिलते हैं। जिससे जड़ें खराब हो जाती हैं, और उनका जमाव अच्छे से नहीं होता। इसलिए हमें गन्ना कटाई के तुरंत बाद ही उसमें एक स्प्रे कर देना चाहिए।

CO-3102 गन्ना किस्म की विशेषताएं:New variety of sugarcane

गन्ने की अनेक किस्म भारत के अलग-अलग राज्यों में बिजाई की जाती है। लेकिन कुछ ऐसी किस्में भी है, जो लगभग सभी क्षेत्रों में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। गन्ने की सबसे अधिक पैदावार महाराष्ट्र में निकलती है। लेकिन अब हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी गन्ने की ऐसी नई-नई किस्में देखी जा रही हैं। जो महाराष्ट्र के बराबर पैदावार निकाल कर दे रही हैं। ऐसी ही एक गन्ना किस्म जिसकी बजाई आप लगभग पूरे भारत में कर सकते हैं। यह गन्ना किस्म ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही है।

करेले की टॉप 5 हाइब्रिड किस्में:Top 5 hybrid varieties of bitter gourd

करेला एक बेल वर्गीय फसल है। इसकी बेल पर इसका फल लगता है। करेले की बिजाई साल में दो बार की जाती है। फरवरी और जून, जुलाई में करेले की बिजाई की बिजाई करने का सही समय होता है। करेले की फसल आम तौर पर 55 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार की बात करें, तो अलग-अलग किस्म की पैदावार औसतन 10 टन प्रति एकड़ तक आसानी से निकल आती है। अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग करेला किस्में अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।

गन्ना बिजाई में प्रमुख कीटनाशक:Major pesticides in sugarcane sowing

गन्ने की बिजाई के समय जितना जितना महत्व खादों का होता है, उतना ही कीटनाशकों का भी होता है। क्योंकि जमीन के अंदर दीमक और सफेद गिडार जैसे कीट गन्ने में अधिक मात्रा में लगते हैं। जो आपके गन्ने के जमाव को तो प्रभावित करते ही है, और गन्ने की जड़ों को खाकर खराब कर देते हैं। जिससे आपकी पैदावार में गिरावट आती है।

गन्ना बिजाई से पहले गहरी जुताई करने के फायदे:Benefits of deep plowing before sowing crop

आजकल अधिकतर किसान साथी, रोटावेटर से अपने खेतों की जुताई अधिक करते हैं। रोटावेटर से जुताई करना किसानों के लिए थोड़ा सस्ता पड़ जाता है, और इसमें जमीन की ऊपरी परत भुरभुर आसानी से हो जाती है। लेकिन रोटावेटर से जुताई करने से किसानों का काफी नुकसान भी होता है। उनकी मिट्टी में ज्यादा गहराई तक जुताई नहीं हो पाती, जिससे उनकी मिट्टी जमीन की जल ग्रहण करने की क्षमता और उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है।

गेहूं में भूरा रतुआ रोग फैलने के मुख्य कारण:Identification of brown rust disease in wheat

गेहूं भारत में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। इसकी खेती सर्दियों में की जाती है। लेकिन जब इसका पकाने का समय होता है। उस समय गर्मी अधिक होती है। सर्दी और गर्मी के बीच का जो मौसम होता है। उसमें कीट और फंगस रोग काफी अधिक मात्रा में लगते हैं। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा फंगस रोग और कीट रोग देखने को मिलते हैं। गेहूं में एक ऐसा ही रोग जिसे भूरा रतुआ रोग कहा जाता है। यह कुछ इलाकों में बहुत तेजी से फैलता है. और गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। गेहूं की फसल में यह रोग 10% से 30% तक का नुकसान कर सकता है।

गन्ने की रिंग पिट विधि:Benefits of sowing with ring pit method

गन्ने की बिजाई आजकल अनेक विधियों से होने लगी है। कुछ किसान भाई अभी तक अपनी साधारण विधि से ही बिजाई करते हैं। लेकिन कुछ बड़े किसान गन्ने की नई-नई विधियों को अपनाकर अधिक पैदावार ले रहे हैं। छोटा किसान को गन्ने की नई विधि से बिजाई करने में मुश्किल होती है, क्योंकि इसके लिए नए साधनों की आवश्यकता पड़ती है। और उनका खर्च अधिक पड़ता है। आज मैं आपको गन्ने की रिंग पिट विधि के बारे में बताऊंगा, कैसे इसकी बिजाई करें, क्या-क्या सावधानियां रखें और इसमें किसान कहां धोखा खा जाता है

गन्ने में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग:ट्राइकोडर्मा को गोबर की खाद या पानी के साथ मिलने का सही तरीका:When to use Trichoderma in sugarcane

किसी भी फसल से अधिक पैदावार लेने में मिट्टी का काफी ज्यादा महत्व होता है। अगर आपकी मिट्टी रोग रहित है, और उसमें मित्र कीट या मित्र जीवाणु पर्याप्त मात्रा में है। तो आपको आप कम खर्चे में भी अधिक पैदावार ले सकते है। आपको रासायनिक दवाइयां का प्रयोग भी कम मात्रा में करना पड़ेगा और आपकी मिट्टी अधिक समय तक सुरक्षित रहेगी। ऐसे ही आप ट्राइकोडर्मा फफूंद का प्रयोग कर सकते हैं। ट्राइकोडर्मा फफूंद खेत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है।

गेहूं की बुर (फूल) अवस्था में ध्यान रखने योग्य बातें:Things to keep in mind during the flowering stage of wheat

आपकी गेहूं की पैदावार काफी चीजों पर निर्भर करती है। सही समय पर खाद, पानी और स्प्रे प्रबंधन, सही खेत और बीज का चुनाव आपकी पैदावार को बढ़ा या घटा सकते है। गेहूं या अन्य फसल की पैदावार में मौसम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौसम पर भी आपकी पैदावार काफी हद तक निर्भर करती है।

CO-5009 गन्ना किस्म की विशेषताएं:CO-5009 Sugarcane Variety Identification

एक अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए हमें एक अच्छी किस्म का चुनाव करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। क्योंकि किस्म पर ही निर्भर करता है, कि उसमें कितनी पैदावार देने की क्षमता है। कुछ गन्ना किस्में रोग ग्रसित हो चुकी हैं। वह पैदावार भले ही अच्छी निकल कर दें। लेकिन उनका उन पर किसानों का खर्च अधिक होता है। भारत के वैज्ञानिकों ने एक किस्म तैयार की है, जो CO-5009 के नाम से जानी जाती है।

भिंडी में बिजाई के समय डालें ये ताकतवर खाद:कैसे करें खेत की तैयारी:Main fertilizer for sowing okra

भिंडी की बिजाई वैसे तो पूरे साल किसी भी मौसम में कर सकते है। लेकिन अधिकतर किसान भिंडी की बिजाई फरवरी से शुरू होकर और मार्च तक चलती है। भिंडी बिजाई का सही समय 15 फरवरी से लेकर 15 मार्च तक का होता है। भिंडी की खेती तीन से चार महीने तक आसानी से फल देती रहती है। यह समय आपका किस्म पर निर्भर करता है। अधिक पैदावार लेने के लिए हमें अच्छी किस्म का चुनाव करना बहुत जरूरी है। किस्म का चुनाव अपने क्षेत्र के हिसाब से करना चाहिए। जो भिंडी किस्म आपके क्षेत्र में अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।

सरसों में फालियाँ निकलने पर मुख्य स्प्रे:Main spray for ear bud formation in mustard

सरसों की फसल लगभग पकने को तैयार है। लगभग सभी किसानों की सरसों की फसल में फलियां निकल चुकी हैं। फलियाँ निकलने पर दानों की मोटाई और चमक बढ़ाने में पोटाश सबसे अधिक सहायक होता है, और पौधे को भी ताकत देता है। बालियाँ निकलने पर हम पोटाश के साथ-साथ किन चीजों का स्प्रे करें की हमारी फसल रोगों से भी बची रहे।

प्याज में निराई-गुड़ाई के बाद डालें ये दमदार खाद:कंद का साइज और मोटाई बढ़ाने का आसान तरीका:Last main fertilizer in onion

आपकी प्याज की फसल इस समय 45 से 50 दिन की हो गई है, या होने वाली है। किसान साथियों प्याज में हमें दो से तीन निराई-गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए और निराई-गुड़ाई के बाद खाद डालकर, उसमें पानी चला दें। जिससे पौधे की जड़ों को खुराक मिल जाए और वह अच्छे से ग्रोथ करे। 45 से 50 दिन पर हम ऐसा कौन सा खाद डालें। जो कंद का साइज बढ़ाने और प्याज की मोटाई बढ़ाने में सहायता करें।

गन्ना बुवाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:Things to keep in mind while sowing sugarcane

गन्ना एक लंबे समय में पकने वाली फसल है। गन्ना की फसल पकने में 10 से 12 महीने का समय लेती है। इस फसल पर खर्च भी अधिक आता है। आजकल किसान गन्ने की बजाई अनेक विधियों से करते हैं। कुछ किसान भाई 4 से 5 फ़ीट पर बिजाई करते हैं। कुछ रिंग पिट विधि से, कुछ वर्टिकल विधि से तथा कुछ अपनी सामान्य विधि 20 से 30 इंच पर बिजाई करते हैं। किसान साथियों आप किसी भी विधि से बिजाई करें। लेकिन सामान्य और पुरानी विधि में सबसे कम खर्चे में गन्ना तैयार होता है। किसान साथियों गन्ने की बिजाई करते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि आप कम खर्चे में अधिक पैदावार ले सकें और गन्ने जमाव भी अच्छे से हो। कुछ मुख्य बातें नीचे बताई गई है।

COS-13231 गन्ना किस्म की विशेषताएं:new variety of sugarcane

हर वर्ष जल भराव के कारण किसानों की फसलों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है। कईं क्षेत्रों तो बारिश का पानी इतना ज्यादा भर जाता है, कि वह गन्ने जैसी मर्द खेती को भी नुकसान पहुंचता है। जिन खेतों में जल भराव की समस्या रहती है। ऐसे खेतों में हमें ऐसी किस्म का चुनाव करना चाहिए। जो काफी ठोस हो और अत्यधिक पानी को सहन करने की क्षमता रखती हो। उत्तर प्रदेश के विज्ञानिकों ने एक गन्ना किस्म विकसित की है। जो COS-13231 के नाम से प्रसिद्ध है।

मिर्च की रोपाई करते समय मुख्य सावधानियां:Main precautions while planting chillies

मिर्च की रोपाई फरवरी में शुरू हो जाती है। जैसे ही थोड़ी धूप पड़ना शुरू होगी, किसान साथी मिर्च की रोपाई करना शुरू कर देते हैं। मिर्च की पौध तैयार करके इसकी रोपाई की जाती है। हमें मिर्च की रोपाई करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिससे हमारी मिर्च शुरू से ही अच्छी जड़ पकड़ और बड़वार लेकर चले, वह जल्दी और अच्छी पैदावार निकाल कर दे। मिर्च की रोपाई करते समय कुछ किसान गलतियां कर देते हैं। जिससे वह अपनी पैदावार को घटा लेते हैं। मिर्च के अधिकतर पौधे रोपाई के बाद सुख जाते हैं, और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें मिर्च की रोपाई के समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए, जो नीचे बताई गयी है।

लहसुन के मुख्य रोग:Main diseases of garlic

4 से 5 दिन बारिश और बादल रहने की वजह से मौसम में लगातार नमी बनी हुई थी। इस समय लहसुन वाले खेतों में बहुत ही भयानक रोग देखे जा रहे हैं। अगर आप धूप लगने पर खेत की निगरानी करते हैं। तो आपको पर्पल ब्लाउज काफी अधिक क्षेत्रों में देखने को मिलता है। कुछ क्षेत्रों में तो डाउनी मिल्ड्यू के साथ-साथ जड़ में सफेद कीड़ा भी आपको देखने को मिल जाता है। लहसुन में नोक सुखना और पौधे बैठने की समस्या तो आम बनी हुई है ,अगर आपके खेत में भी इस प्रकार की किसी समस्या है।

मिर्च रोपाई में सबसे अच्छे खाद:Best fertilizer for chilli seedlings

मिर्ची एक ऐसी फसल है, जिसकी रोपाई की जाती है। मिर्च को आप पूरे साल भर में किसी भी समय उगा सकते हैं। मिर्च की रोपाई मुख्या तौर पर फरवरी में की जाती है। इस समय ज्यादातर किसान इसकी खेती करते हैं। मिर्च के बाजार में काफी अच्छे भाव देखने को मिलते हैं। मिर्च 40 से ₹50 किलो आसानी से बिक जाती है। अगर आप भी मिर्ची की खेती करना चाहते हैं, और अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। तो आपको मिर्च लगाने से पहले खेत की तैयारी अच्छे से करनी पड़ेगी। ताकि आपकी मिर्च अच्छे से ग्रोथ करें सकें और आपको अधिक पैदावार निकला कर दे।