हरी खाद की खेती:- किसान साथियों नमस्कार, हरी खाद एक प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल कृषि तकनीक है, जिसमें विशेष प्रकार की फसलों को उगाकर उन्हें हरे-भरे अवस्था में मिट्टी में मिला दिया जाता है। यह विधि मिट्टी की उर्वरता, संरचना और जल धारण क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है। हरी खाद का उपयोग न केवल मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करके पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है। यह लेख हरी खाद के महत्व, बिजाई के समय और प्रमुख हरी खाद फसलों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करता है।
हरी खाद क्या है
हरी खाद एक प्राकृतिक तरीका है जिसमें विशेष प्रकार की फसलों को उगाकर उन्हें हरी अवस्था में ही मिट्टी में दबा दिया जाता है। यह पौधे मिट्टी में सड़कर जैविक पदार्थों में बदल जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। यह रासायनिक खादों का विकल्प है और पर्यावरण के अनुकूल भी है।
हरी खाद का महत्व
- मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: हरी खाद मिट्टी में जैविक पदार्थ जोड़ती है, जो सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ावा देता है और पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार करता है।
- मिट्टी की संरचना में सुधार: हरी खाद मिट्टी को भुरभुरा बनाती है, जिससे जल और वायु का संचरण बेहतर होता है।
- जल धारण क्षमता में वृद्धि: जैविक पदार्थ मिट्टी की नमी को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करते हैं।
- रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता में कमी: हरी खाद प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्व प्रदान करती है, जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है।
- मृदा अपरदन को रोकना: हरी खाद की फसलें मिट्टी को ढककर बारिश और हवा से होने वाले अपरदन को रोकती हैं।
हरी खाद की बिजाई का समय
हरी खाद की बिजाई का समय क्षेत्रीय जलवायु, मिट्टी के प्रकार और मुख्य फसल के चक्र पर निर्भर करता है। सामान्यतः इसे खरीफ, रबी या जायद ऋतु में बोया जा सकता है। भारत में हरी खाद की बिजाई मुख्य रूप से निम्नलिखित समय पर की जाती है:
- खरीफ (जून-जुलाई): इस मौसम में ढैंचा, मूंग, उड़द और ग्वार जैसी फसलों की बिजाई की जाती है। इन्हें 6-8 सप्ताह बाद मिट्टी में मिला दिया जाता है।
- जायद (मार्च-अप्रैल): जायद मौसम में ढैंचा और सनई जैसी फसलें बोई जाती हैं, जो गर्मी में तेजी से बढ़ती हैं।
- रबी (अक्टूबर-नवंबर): रबी मौसम में बरसीम और मेथी जैसी फसलों को हरी खाद के रूप में उगाया जा सकता है, हालांकि यह कम प्रचलित है।
प्रमुख हरी खाद फसलें
- ढैंचा: यह सबसे लोकप्रिय हरी खाद फसल है, जो खरीफ और जायद दोनों मौसमों में उगाई जाती है। ढैंचा तेजी से बढ़ता है और मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए जाना जाता है। इसे 6-8 सप्ताह बाद मिट्टी में मिलाया जाता है।
- सनई: सनई खरीफ मौसम की एक प्रमुख हरी खाद फसल है। यह मिट्टी में जैविक पदार्थ और नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती है। इसे 50-60 दिनों में मिट्टी में मिलाया जाता है।
- मूंग: मूंग एक दलहनी फसल है, जिसे हरी खाद और खाद्य दोनों के लिए उगाया जाता है। इसे खरीफ या जायद में बोया जाता है और 45-60 दिनों में मिट्टी में मिलाया जाता है।
- उड़द: उड़द भी मूंग की तरह बहुउपयोगी फसल है। यह मिट्टी में नाइट्रोजन और जैविक पदार्थ जोड़ने में सहायक है।
- ग्वार: ग्वार खरीफ मौसम में हरी खाद के लिए उपयुक्त है। यह सूखा सहनशील फसल है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में प्रभावी है।
- बरसीम: बरसीम मुख्य रूप से चारे के लिए उगाया जाता है, लेकिन इसे रबी मौसम में हरी खाद के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
हरी खाद किसानों के लिए एक सस्ता, प्राकृतिक और टिकाऊ तरीका है जो मिट्टी की सेहत को बनाए रखता है। यह रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करके पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करती है। किसानों को चाहिए कि वे अपने खेतों में हरी खाद का उपयोग करके उत्पादकता और मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाएं।
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