गेहूं की बिजाई लगभग पूरी हो गयी है। कुछ किसानों की गेहूं की फसल 20 से 25 दिन की हो गई है। और किसान उसमें पानी लगाने की तैयारी कर रहे है। इस समय गेहूं की फसल में एक नई समस्या देखने को मिल रही है। गेहूं की जड़ों में आपको एक सुंडी दिखाई देगी। जिसका रंग हल्का गुलाबी है। और वह जड़ों को काटकर गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा रही है। अगर अपने गेहूं की सुपर सीडर या हैप्पी सीडर से गेहूं की हो तो उन खेतों में ये कीट आपको अधिक मात्रा में देखने को मिलता है। इसलिए किसान भाई इस सुंडी की रोकथाम के लिए समय पर उपाय कर लें। ताकि गेहूं की फसल को नुक्सान से बचाया जा सके। ये इतना खतरनाक कीट नहीं है, इसको आसानी से कण्ट्रोल किय जा सकता है
गेहूं में सुंडी की ऐसे करें रोकथाम
गेहूं में लगने वाली सुंडी हल्की गुलाबी रंग की होती है। जो आपको गेहूं की जड़ों के पास देखने को आसानी से मिल जाएगी। आप जब खेत में पानी लगते हो, तो यह सुंडी खेत में ऊपर निकल आती है। जिससे आप इसको आसानी से पहचान सकते है। यह धान में मुख्या रूप से देखी जाती है। लेकिन इस वर्ष ये सुंडी गेहूं की फसल में भी देखने को मिल रही है। इसलिए खेत की बजाई से पहले खेत की जुताई अच्छे से कर लेनी चाहिए, ताकि पिछली फसल की कीट पूरी तरह से ख़त्म हो जाएँ।
इस सुंडी की रोकथाम करने के लिए खेत को पानी से भरकर उसमें लैम्बडासाइहेलोथ्रिन 4.9% सीएस 500ml प्रति एकड़ या बिफेन्थ्रिन 10% ईसी 500ml प्रति एकड़ रेत में या खाद में मिलाकर जड़ों में डालें। इससे ये सुंडी आसानी से खत्म ही जाएगी।
अगर आप गेहूं बिजाई करते समय बीज उपचार कीटनाशक और फफूंदी नाशक दोनों से करते हैं। तो उन खेतों में यह सुंडी बहुत कम मात्रा में आपको देखने को मिलेगी। यह सुंडी ज्यादातर सुपर सीटर या हैप्पी सीटर से बजाई किए हुए खेतों में देखने को मिलता है। इसलिए जिन किसानों ने सुपर पराली में गेहूं की बजाई की हो वो पहले पानी पर कीटनाशक अवश्य डालें।
नोट-किसान भाई इस सुंडी के लिए कृपया स्प्रे द्वारा कीटनाशक का प्रयोग ना करें। क्योंकि यह सुंडी आपकी जमीन में पाई जाती है।
जिन किसानों के खेत में ये रोग पिछले वर्ष देखने को मिल था। उन्होंने कौन सी दवाई का इस्तेमाल किया था। कृपा कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। ताकि दूसरे किसान भी इससे लाभ ले सकें। धन्यवाद!
FAQ
क्या गेहूं को पोटाश चाहिए?
गेहूं के पोटाश पौधे और दानों की रंगत बढ़ाने का काम करती है। पोटाश से पौधे की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। और रंगत बढ़ती है।
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