किसान साथियों नमस्कार, देश भर के किसान सोयाबीन की बुवाई के लिए अपने खेत तैयार कर रहे हैं। सोयाबीन की बुवाई का सही समय 15 जून से शुरू होता है। अब किसान मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि बारिश के बाद बुवाई करना फसल के लिए फायदेमंद होता है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की खेती सबसे ज्यादा होती है। कृषि विशेषज्ञ किसानों को अच्छी पैदावार के लिए बेहतर किस्मों के बीज चुनने की सलाह दे रहे हैं।
नई और बेहतर सोयाबीन किस्म: जे.एस.-23-03
पिछले कई सालों से किसान ऐसी सोयाबीन की किस्म चाहते थे जो पुरानी समस्याओं जैसे वायरस, कम ऊंचाई, फलियों के फटने और कम उत्पादन को दूर कर सके। साथ ही, ऐसी किस्म चाहिए थी जो हार्वेस्टर से कटाई के लिए उपयुक्त हो और जिसमें अच्छी गुणवत्ता वाले दाने और ज्यादा पैदावार मिले। इससे खेती की लागत और कम बाजार भाव से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके।
किसानों की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए नई सोयाबीन किस्म जे.एस.-23-03 लाई गई है। यह किस्म मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा, और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इसकी खासियतें हैं:
- जल्दी तैयार: यह 88-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- अच्छी ऊंचाई: हार्वेस्टर से कटाई के लिए उपयुक्त।
- उच्च उत्पादन: ज्यादा और अच्छी गुणवत्ता वाले दाने देती है।
- वायरस और शेटरिंग से मुक्ति: पुरानी किस्मों की समस्याओं को हल करती है।
- किसानों में उत्साह: यह किस्म कम लागत और ज्यादा मुनाफे के कारण किसानों में नया जोश लाएगी।
रबी फसलों के लिए फायदेमंद
जे.एस.-23-03 जल्दी पकने वाली किस्म है, जिसके कारण खेत जल्दी खाली हो जाता है। इससे किसान बारिश की नमी का फायदा उठाकर रबी की फसलों जैसे चना, मटर, गेहूं, लहसुन, आलू या प्याज की बुवाई कर सकते हैं। यह किस्म फसल चक्र को आसान बनाती है, जिससे किसान एक साल में दो फसलों का अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। जल्दी कटाई के कारण किसान अपनी फसल को जल्दी मंडी में बेच सकते हैं। इससे मंडी में भीड़ से बचाव होता है और फसल का अच्छा दाम मिलने की संभावना बढ़ती है।
जे.एस.-23-03 सोयाबीन की नई किस्म किसानों के लिए एक वरदान है। यह न केवल ज्यादा पैदावार देती है, बल्कि खेती को आसान और फायदेमंद भी बनाती है। किसान इस किस्म को अपनाकर अपनी खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।
(यह जानकारी सामान्य सलाह के लिए है, बुवाई से पहले अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।)
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