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लहसुन में पीलापन:पौधे के पत्ते ऊपर से सूखने का मुख्या कारण, कृषि जानकार ने बताया ये तरीका:Reasons for yellowness in garlic

लहसुन में पीलापन आने का मुख्य कारण मौसम का परिवर्तन होता है। मौसम में रात में ठंड अधिक बढ़ जाती है, और दिन में तेज धूप होने के कारण गर्मी रहती है। इसलिए पौधे तनाव में आ जाते हैं। जिससे उसमें भयंकर पीलापन आ जाता है। और उसकी पत्तियां धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। इसको आप सर्द गर्म के कारण भी बोल सकते हैं।

गेहूं में सब कुछ डालने के बाद भी कल्ले नहीं बने:ये है मुख्य कारण, डालें ये जरूरी खाद:Do this important work for budding in wheat

जब भी आप अपनी फसल में जिंक, सल्फर, मैग्नीशियम या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग कर लेते हो। लेकिन उसके बाद भी आपकी फसल में कुछ खास तरह की ग्रोथ देखने को नहीं मिलती। तो इसका मुख्य कारण होता है, कि आपके खेत में ऑर्गेनिक कार्बन की कमी होती है। ऑर्गेनिक कार्बन जमीन में पड़े तत्वों को पौधे तक पहुंचाने का काम करता है।

गेहूं में जिंक और सल्फर का प्रयोग एक साथ नहीं किया:तो सब कुछ फेल, जानें क्या कहते है कृषि जानकर:Why should zinc and sulfur be used together.

किसी भी फसल में जिंक और सल्फर का काफी ज्यादा महत्व रहता है। दोनों का आपस के अंदर एक गहरा संबंध रहता है। अगर आप जिंक प्रयोग कर रहे हो और उसके साथ अपने सल्फर का प्रयोग नहीं किया। तो आपकी जिंक पौधे को नहीं लगेगी।

गेहूं में मैग्नीशियम का प्रयोग करें या ना करें(2024):मैग्नीशियम पौधे के लिए क्यों जरूरी है:Functions of Magnesium in Wheat

जैसे पौधों को जिंक और सल्फर की आवश्यकता होती है। वैसे ही मैग्नीशियम की आवश्यकता भी पड़ती है। मैग्नीशियम सेकेंडरी न्यूट्रिएंट्स में आता है। भले ही इसकी पौधे को कम मात्रा में आवश्यकता में जरूरत पड़ती हो, लेकिन यह फसल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फसल में कल्लों के फुटाव से लेकर हरापन लाने तक के बहुत सारे काम में मैग्नीशियम के द्वारा किए जाते हैं। मैग्नीशियम आपको बाजार में मैग्नीशियम सल्फेट के नाम से देखने को मिलता है। इसमें मैग्नीशियम और सल्फर पाए जाते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा 9.5% और सल्फर की मात्रा 12% पाई जाती है।

गेहूं में जिंक डालने के बाद भी जिंक की कमी पूरी नहीं हुई(2024):ये हैं मुख्या कारण, How to use zinc in wheat

गेहूं वाले किसानों को पानी देने के बाद कईं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें से एक समस्या है, गेहूं की पत्तियां ऊपर से नीचे तक पीली होकर धीरे-धीरे सूख जाती हैं। शुरू में यह पत्तियां हल्की पीले रंग के धब्बे होते है। और कुछ दिन बाद यह पूरी तरह से सूख जाती है। इनमें से कुछ खेतों में नीचे वाली पत्तियां भी सूख जाती है।

गेहूं में माइकोराइजा का प्रयोग करें या ना करें:क्या यह कल्ले बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा उत्पाद है, क्या कहते हैं कृषि सलाहकार, संपूर्ण जानकारी

माइकोराइजा कोई तत्व नहीं है। यह एक कुदरत फंगस है। जो पौधें जड़ों में कवक के रूप में कार्य करती है, और जड़ों की वृद्धि में मदद करती है।

गेहूं में 24D 38% डालें या 58%:क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक, किन-किन खरपतवारों का होगा सफाया, संपूर्ण जाने, Which 24D to use in wheat

गेहूं में चौड़ी पत्ती व सकरी पत्ती वाले काफी सारे खरपतवार उगते हैं। गेहूं में मुख्य रूप से बथुआ, पालक, जंगली जई, सत्यानाशी, प्याजी, आदि खरपतवार उगते हैं। इनमें से कुछ खरपतवार इतने भयानक हैं, कि वह बार-बार स्प्रे करने पर भी कंट्रोल नहीं होते। इसलिए किसान भाइयों को बार-बार स्प्रे करना पड़ता है।

गेहूं की पत्तियों का खराब होना:नीचे की पत्तियां पर धब्बे और सुख जाना, मुख्य कारण और उपचार जानें

किसान साथियों नमस्कार, गेहूं की फसल में समय-समय पर अनेक रोग लगते रहते हैं। इनमें ...

चने में जड़ गलन समस्या(2024):किसानों के अनुभव, ये कुछ बातें आपको कोई नहीं बताएगा

इस लेख में आपको किसानों के अनुभव द्वारा ही जानकारी दी जाएगी। किसानों का मानना ...

COS-13231 गन्ना किस्म की विशेषताएं:Early sugarcane variety of Uttar Pradesh

गन्ना किस्म COS-13231 एक उत्तर प्रदेश की गन्ना किस्म है। इस किस्म की पत्तियां मुलायम होती है। इसमें कांटे नहीं होते। इस किस्म की पोरी लम्बी होती है। और पोरी का कुछ भाग हल्का सफेद रंग का धब्बे होते है। इस किस्म की मोटाई माध्यम होती है।

गेहूं की पैदावार बढ़ाने का आसान तरीका:कुछ तरीके जानें जो आपकी पैदावार को बढ़ा सकते हैं

हर किसान चाहता है, कि उसकी फसल उसको अच्छी पैदावार निकाल कर दे और उसे अधिक मुनाफा हो। पैदावार बढ़ाने के चक्कर में किसान भाई अपनी फसलों में विभिन्न तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स व अन्य दवाइयां का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन फिर भी उनको अच्छे रिजल्ट नहीं देखने को मिलते।

गेहूं में खरपतवार नासक दवाइओं का प्रयोग कब करें(2024):जरूरी सावधानियां, खरपतवार नासी से गेहूं खराब होने से बचाए

गेहूं किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। कई बार किसानों की फसल खरपतवार नाशकों के उल्टे-सीधे इस्तेमाल की वजह से खराब हो जाती है। यह समस्या हमें तब अधिक देखने को मिलती हैं। जब किसान सोशल मीडिया और लोगों से तरह-तरह के खरपतवार नाशकों के बारे में सुनने को मिलता है, और वह उसे कंफ्यूज होकर ऐसी खरपतवार नाशक दवाइयां का इस्तेमाल कर बैठते हैं।

गेहूं में प्रयोग होने वाली सेंकोर खरपतवार नाशक की कुछ खास बातें जानें:सेंकोर को प्रयोग करने का अनोखा तरीका(2024),जो शायद आपको नहीं पता होगा

गेहूं में मंडुसी (गुल्ली डंडा) खरपतवार एक मुख्य समस्या देखी जाती है। इस खरपतवार को नष्ट करना किसानों के लिए हमेशा ही एक चैलेंज रहा है। कुछ किसान भाई तो इस खरपतवार को नष्ट करने के चक्कर में अपनी गेहूं की फसल को भी नष्ट कर लेते हैं।

पौधे में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व और कार्य(2024): Importance and function of micronutrients in plants

जिन तत्वों की पौधे को बहुत कम मात्रा में जरूरत पड़ती है। सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते है। इनकी पौधे को चाहे कम मात्र में आवश्यकता पड़े लेकिन यह पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्व 9 प्रकार के होते हैं।

दिसंबर के महीने में करें इन गेहूं किस्मों की बिजाई मिलेगी अधिक पैदावार(2024):late wheat varieties

गेहूं की बिजाई का सही समय वैसे तो 5 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक का होता है। लेकिन कुछ किसान भाई गन्ना कटाई के बाद भी गेहूं की बिजाई करते हैं। गन्ने की कटाई आमतौर पर दिसंबर से लेकर मार्च अप्रैल तक होती है। किसान दिसंबर में कटाई किए जाने वाले गन्ने के खेत में गेहूं की बिजाई करते हैं। इस समय गेहूं की बिजाई के लिए आपको कुछ विशेष किस्म का चयन करना पड़ता है।

सरसों में तेजी से फ़ैल रहा है, सफेद तना गलन रोग कैसे करें रोकथाम(2024):white stem rot disease in mustard

सरसों की बजाई रबी सीजन में की जाती है। पिछले सालों में सरसों की फसल में सफेद तना गलन रोग की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। वास्तव में इस रोग का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। लेकिन फिर भी बीज और भूमि उपचार करके आप इस रोग की रोकथाम आसानी से कर सकते हैं। यह एक खतरनाक रोग है।

COLK-15466 गन्ना किस्म की विशेषताएं:COLK-15466 Sugarcane variety

गन्ने की यह किस्म लखनऊ गन्ना अनुसंधान संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा बनाई गई है। इस किस्म में कल्लों का फुटाव अधिक होता है। यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है। गुड़ बनाने और रस निकालने के लिए यह गन्ना सबसे उपयुक्त रहती है। इस किस्म में शर्करा की मात्रा 17.5% तक पाई जाती है। पोका बोईंग और लाल सड़न जैसे रोगों के प्रति यह गन्ना किस्म सहनशील है।

गेहूं में प्रयोग होने वाली एक्सियल खरपतवार नासी की चार खास बातें शायद किसानों को नहीं पता होंगी(2024):axial syngenta top herbicide

गेहूं में सकरी पत्ती और चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवार पाए जाते हैं। सकरी पत्ती के खरपतवारों को नष्ट करने के लिए सेंकर और टॉपिक कुछ पुरानी दवाइयां हैं, जिनका इस्तेमाल किसान काफी समय से लगातार करते आ रहे हैं। और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिए 24D, अलग्रिप और नाबूद दवाइयां का इस्तेमाल किया जाता है। सकरी पत्ती वाले खरपतवारों में मंडूसी सबसे खतरनाक और सबसे अधिक उगने वाला खरपतवार नासक है।