Kheti jankari

मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

प्याज में बैंगनी धब्बा रोग (पर्पल ब्लॉच) की पहचान:Identification of fungus in onion

प्याज एक कंद वर्गीय फसल है। लेकिन इसमें रोग भी काफी अधिक मात्रा में देखे जाते हैं। आजकल अधिक नाइट्रोजन और रासायनिक खादों के प्रयोग से फसलों में रोग की मात्रा तो बढ़ ही गई है। लेकिन उनको रोकने के लिए भी तरह-तरह की दवाइयां बाजार में उपलब्ध रहती हैं। ऐसे ही प्याज का एक बहुत ही खतरनाक रोग है, जो बैंगनी धब्बा रोग (पर्पल ब्लॉच) के नाम से जाना जाता है। जब यह रोग आपको दिखाई देता है, इससे तीन से चार दिन पहले ही इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। किसान भाई इसका ध्यान तब देते हैं, जब यह पूरी तरह से फैल जाता है।

गन्ने की उपज बढ़ाने का मूल मंत्र:गन्ना वैज्ञानिकों ने पौधा गन्ना और पैड़ी गन्ना के लिए बताया ये तरीका:Solution to increase sugarcane production

इस समय पौधा गन्ना की कटाई चल रही है, और कुछ किसान भाई गन्ना की बिजाई भी शुरू कर रहे होंगे। हम गन्ने से किस प्रकार अधिक पैदावार ले सकते हैं। गन्ने से अधिक पैदावार लेने के लिए आपको हमें उसमें शुरू से ही कुछ कार्य करने पड़ते हैं। जिससे उसकी शुरू से ही ग्रोथ होकर चले और वह आपको अच्छी पैदावार निकाल कर दे। इसके लिए हम खाद के साथ-साथ कुछ और चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है। इन सब चीजों को मिलकर ही एक खेत से अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

मक्का में बिजाई के समय ताकतवर खाद कांबिनेशन:100 क्विंटल पैदावार का तरीका:Best fertilizer at the time of sowing of maize

मक्का एक ऐसी फसल है, जिसकी बिजाई लगभग पूरे भारत में की जाती है। मक्का की कुछ क्षेत्रों में तो पैदावार 50 क्विंटल तथा कुछ क्षेत्रों में 100 क्विंटल के लगभग भी देखी जाती है। मक्का की पैदावार में इतने अंतर कई कारणों से होते हैं। जिसमें खाद भी एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। मक्का की फसल खाद को सीधे तौर पर ग्रहण करती है, और इसको अधिक मात्रा में खादों की आवश्यकता होती है।

2024 में गन्ना किस्म 0238 की बिजाई:करें यह जरूरी काम, रोगों से बचाव करने का आसान तरीका:Way to protect sugarcane variety CO-0238 from diseases

पिछले वर्षों में देखा जा रहा है, कि गन्ना किस्म CO-0238 किसानों को कई काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही थी। पैदावार की बात करें, तो इस किस्म ने आज तक गन्ने की सभी किस्मों में सबसे अधिक पैदावार निकाल कर दी है। लेकिन अब यह किस्म रोग ग्रसित हो चुकी है। इसमें काफी अधिक मात्रा में रेड रॉट, टॉप बोरर और पोका बोइंग जैसे रोग देखने को मिल रहे हैं। जिससे किसानों का इस किस्म पर खर्च काफी अधिक बढ़ गया है, और उनकी पैदावार भी घाटी है। क्योंकि गन्ने में रोग ही इतनी भयानक लगते कि बार-बार स्प्रे करने पर भी वह आसानी से कंट्रोल नहीं किया जा सके।

गेहूं की बाली में दाने खाली रहने का कारण:कैसे करें बचाव, कुछ आसान तरीके:Prevention of empty grains in wheat

गेहूं की बाली में आपको अक्सर नीचे वाले या ऊपर वाले कुछ दाने खाली या छोटे नजर आते हैं। इसका कईं मुख्य कारण हो सकते हैं। गेहूं के जैसे जो अन्य फसलें जिसमे फूल से फल बनने की प्रक्रिया होती है। उनमें बाली में अक्सर दाने खाली देखने को मिलते है। गेहूं में भी फूलों से ही फल बनने की प्रक्रिया होती है। जिससे उसमें यह समस्या सामान्य तौर पर देखने को मिलती है। गेहूं की फसल आमतौर पर अक्टूबर, नवंबर में बिजाई होकर और मार्च, अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्च अप्रैल में मौसम में गर्मी थोड़ी अधिक बढ़ जाती है। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा रोग देखने को मिलते हैं।

पौधा गन्ना की कटाई के बाद मुख्य स्प्रे:Main spray of plant after harvesting of sugarcane

पौधा गन्ना की कटाई शुरू हो चुकी है। किसान भाई फरवरी से लेकर मार्च तक पौधा गन्ना की कटाई करते हैं। कुछ किसान भाई गेहूं वाले खेतों में गन्ना बिजाई करते हैं, और वह उसे समय तब भी गन्ने का बीज रखने के लिए गन्ने को रखते हैं। जब भी आप पौधा गन्ना की कटाई करें। उसके बाद आपको उसमें कुछ ऐसे कार्य करने चाहिए। जिससे उसमें शुरू से ही कीट रोग या फंगस रोग ना लगे और आपके कल्लों का फुटाव बेहतर हो। क्योंकि अक्सर देखा जाता है, कि किसान भाई गन्ना कटाई के बाद उसमें गन्ने की जड़ें कट फट जाती हैं, और उनमें फंगस और कीट रोग ज्यादा मात्रा में देखने को मिलते हैं। जिससे जड़ें खराब हो जाती हैं, और उनका जमाव अच्छे से नहीं होता। इसलिए हमें गन्ना कटाई के तुरंत बाद ही उसमें एक स्प्रे कर देना चाहिए।

CO-3102 गन्ना किस्म की विशेषताएं:New variety of sugarcane

गन्ने की अनेक किस्म भारत के अलग-अलग राज्यों में बिजाई की जाती है। लेकिन कुछ ऐसी किस्में भी है, जो लगभग सभी क्षेत्रों में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। गन्ने की सबसे अधिक पैदावार महाराष्ट्र में निकलती है। लेकिन अब हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी गन्ने की ऐसी नई-नई किस्में देखी जा रही हैं। जो महाराष्ट्र के बराबर पैदावार निकाल कर दे रही हैं। ऐसी ही एक गन्ना किस्म जिसकी बजाई आप लगभग पूरे भारत में कर सकते हैं। यह गन्ना किस्म ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही है।

करेले की टॉप 5 हाइब्रिड किस्में:Top 5 hybrid varieties of bitter gourd

करेला एक बेल वर्गीय फसल है। इसकी बेल पर इसका फल लगता है। करेले की बिजाई साल में दो बार की जाती है। फरवरी और जून, जुलाई में करेले की बिजाई की बिजाई करने का सही समय होता है। करेले की फसल आम तौर पर 55 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार की बात करें, तो अलग-अलग किस्म की पैदावार औसतन 10 टन प्रति एकड़ तक आसानी से निकल आती है। अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग करेला किस्में अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।

गन्ना बिजाई में प्रमुख कीटनाशक:Major pesticides in sugarcane sowing

गन्ने की बिजाई के समय जितना जितना महत्व खादों का होता है, उतना ही कीटनाशकों का भी होता है। क्योंकि जमीन के अंदर दीमक और सफेद गिडार जैसे कीट गन्ने में अधिक मात्रा में लगते हैं। जो आपके गन्ने के जमाव को तो प्रभावित करते ही है, और गन्ने की जड़ों को खाकर खराब कर देते हैं। जिससे आपकी पैदावार में गिरावट आती है।

गन्ना बिजाई से पहले गहरी जुताई करने के फायदे:Benefits of deep plowing before sowing crop

आजकल अधिकतर किसान साथी, रोटावेटर से अपने खेतों की जुताई अधिक करते हैं। रोटावेटर से जुताई करना किसानों के लिए थोड़ा सस्ता पड़ जाता है, और इसमें जमीन की ऊपरी परत भुरभुर आसानी से हो जाती है। लेकिन रोटावेटर से जुताई करने से किसानों का काफी नुकसान भी होता है। उनकी मिट्टी में ज्यादा गहराई तक जुताई नहीं हो पाती, जिससे उनकी मिट्टी जमीन की जल ग्रहण करने की क्षमता और उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है।

गेहूं में भूरा रतुआ रोग फैलने के मुख्य कारण:Identification of brown rust disease in wheat

गेहूं भारत में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। इसकी खेती सर्दियों में की जाती है। लेकिन जब इसका पकाने का समय होता है। उस समय गर्मी अधिक होती है। सर्दी और गर्मी के बीच का जो मौसम होता है। उसमें कीट और फंगस रोग काफी अधिक मात्रा में लगते हैं। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा फंगस रोग और कीट रोग देखने को मिलते हैं। गेहूं में एक ऐसा ही रोग जिसे भूरा रतुआ रोग कहा जाता है। यह कुछ इलाकों में बहुत तेजी से फैलता है. और गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। गेहूं की फसल में यह रोग 10% से 30% तक का नुकसान कर सकता है।

गन्ने की रिंग पिट विधि:Benefits of sowing with ring pit method

गन्ने की बिजाई आजकल अनेक विधियों से होने लगी है। कुछ किसान भाई अभी तक अपनी साधारण विधि से ही बिजाई करते हैं। लेकिन कुछ बड़े किसान गन्ने की नई-नई विधियों को अपनाकर अधिक पैदावार ले रहे हैं। छोटा किसान को गन्ने की नई विधि से बिजाई करने में मुश्किल होती है, क्योंकि इसके लिए नए साधनों की आवश्यकता पड़ती है। और उनका खर्च अधिक पड़ता है। आज मैं आपको गन्ने की रिंग पिट विधि के बारे में बताऊंगा, कैसे इसकी बिजाई करें, क्या-क्या सावधानियां रखें और इसमें किसान कहां धोखा खा जाता है

गन्ने में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग:ट्राइकोडर्मा को गोबर की खाद या पानी के साथ मिलने का सही तरीका:When to use Trichoderma in sugarcane

किसी भी फसल से अधिक पैदावार लेने में मिट्टी का काफी ज्यादा महत्व होता है। अगर आपकी मिट्टी रोग रहित है, और उसमें मित्र कीट या मित्र जीवाणु पर्याप्त मात्रा में है। तो आपको आप कम खर्चे में भी अधिक पैदावार ले सकते है। आपको रासायनिक दवाइयां का प्रयोग भी कम मात्रा में करना पड़ेगा और आपकी मिट्टी अधिक समय तक सुरक्षित रहेगी। ऐसे ही आप ट्राइकोडर्मा फफूंद का प्रयोग कर सकते हैं। ट्राइकोडर्मा फफूंद खेत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है।

गेहूं की बुर (फूल) अवस्था में ध्यान रखने योग्य बातें:Things to keep in mind during the flowering stage of wheat

आपकी गेहूं की पैदावार काफी चीजों पर निर्भर करती है। सही समय पर खाद, पानी और स्प्रे प्रबंधन, सही खेत और बीज का चुनाव आपकी पैदावार को बढ़ा या घटा सकते है। गेहूं या अन्य फसल की पैदावार में मौसम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौसम पर भी आपकी पैदावार काफी हद तक निर्भर करती है।

CO-5009 गन्ना किस्म की विशेषताएं:CO-5009 Sugarcane Variety Identification

एक अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए हमें एक अच्छी किस्म का चुनाव करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। क्योंकि किस्म पर ही निर्भर करता है, कि उसमें कितनी पैदावार देने की क्षमता है। कुछ गन्ना किस्में रोग ग्रसित हो चुकी हैं। वह पैदावार भले ही अच्छी निकल कर दें। लेकिन उनका उन पर किसानों का खर्च अधिक होता है। भारत के वैज्ञानिकों ने एक किस्म तैयार की है, जो CO-5009 के नाम से जानी जाती है।

भिंडी में बिजाई के समय डालें ये ताकतवर खाद:कैसे करें खेत की तैयारी:Main fertilizer for sowing okra

भिंडी की बिजाई वैसे तो पूरे साल किसी भी मौसम में कर सकते है। लेकिन अधिकतर किसान भिंडी की बिजाई फरवरी से शुरू होकर और मार्च तक चलती है। भिंडी बिजाई का सही समय 15 फरवरी से लेकर 15 मार्च तक का होता है। भिंडी की खेती तीन से चार महीने तक आसानी से फल देती रहती है। यह समय आपका किस्म पर निर्भर करता है। अधिक पैदावार लेने के लिए हमें अच्छी किस्म का चुनाव करना बहुत जरूरी है। किस्म का चुनाव अपने क्षेत्र के हिसाब से करना चाहिए। जो भिंडी किस्म आपके क्षेत्र में अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।

सरसों में फालियाँ निकलने पर मुख्य स्प्रे:Main spray for ear bud formation in mustard

सरसों की फसल लगभग पकने को तैयार है। लगभग सभी किसानों की सरसों की फसल में फलियां निकल चुकी हैं। फलियाँ निकलने पर दानों की मोटाई और चमक बढ़ाने में पोटाश सबसे अधिक सहायक होता है, और पौधे को भी ताकत देता है। बालियाँ निकलने पर हम पोटाश के साथ-साथ किन चीजों का स्प्रे करें की हमारी फसल रोगों से भी बची रहे।

प्याज में निराई-गुड़ाई के बाद डालें ये दमदार खाद:कंद का साइज और मोटाई बढ़ाने का आसान तरीका:Last main fertilizer in onion

आपकी प्याज की फसल इस समय 45 से 50 दिन की हो गई है, या होने वाली है। किसान साथियों प्याज में हमें दो से तीन निराई-गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए और निराई-गुड़ाई के बाद खाद डालकर, उसमें पानी चला दें। जिससे पौधे की जड़ों को खुराक मिल जाए और वह अच्छे से ग्रोथ करे। 45 से 50 दिन पर हम ऐसा कौन सा खाद डालें। जो कंद का साइज बढ़ाने और प्याज की मोटाई बढ़ाने में सहायता करें।