गेहूँ

गेहूं में ह्यूमिक एसिड कब डालें:Benefits of humic acid in wheat

ह्यूमिक एसिड काला सोने के नाम से जाना जाता है। यहाँ एक आर्गेनिक खाद है। जो चट्टानों को पीसकर बनाया जाता है। ह्यूमिक एसिड तरल और दानेदार दोनों फॉर्म में बाजार में आपको आसानी से मिल जाएगा। तरल ह्यूमिक एसिड का प्रयोग आप स्प्रे या ड्रिप द्वारा कर सकते हैं। दानेदार ह्यूमिक एसिड का प्रयोग सीधा मिट्टी में किया जाता हैं। इसको आप खाद या रेत में मिलकर अपनी जमीन में डाल सकते हैं

गेहूं में अड़ियल मंडुसी (गुली डंडा) को भी जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखती है यह खास खरपतवार नाशक दवाई:herbicide to kill weeds in wheat

गेहूं की बिजाई लगभग सभी किसानों ने पूरी कर ली है। कुछ किसान गन्ने की फसल काटकर गेहूं की लेट बिजाई कर रहे हैं। जिन किसानों ने गेहूं की बिजाई अक्टूबर में कर दी थी। उनकी गेहूं अब 25 से 30 दिन की हो गई है। अब उसमें आपको खरपतवार भी दिखने लगे होंगे। गेहूं में मुख्य रूप से पालक, मंडूसी (गुली डंडा), जंगली जाई, गजर घास और बथुआ आदि खरपतवार मुख्य रूप से उग जाते हैं।

गेहूं में सल्फर को मिट्टी में दे या स्प्रे में(2024):कृषि वैज्ञानिक ने बताया गेहूं में सल्फर देने का ये सही तरीका

सल्फर एक ऐसा तत्व है, जो गेहूं की फसल के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। सल्फर गेहूं के लिए मुख्य पोषक तत्व होता है। पहले पौधे पर्यावरण से सल्फर की कमी को पूरा कर लेते थे। परंतु प्रदूषण अधिक होने की वजह से पौधा पर्यावरण से अब सल्फर की मात्रा में नहीं ले सकते। इसलिए हमें केमिकल तरीके द्वारा पौधे को सल्फर देनी पड़ती है। सल्फर की कमी रेताली जमीनों में अधिक महसूस होती है

गेहूं में मैग्नीशियम का प्रयोग करें या ना करें(2024):मैग्नीशियम पौधे के लिए क्यों जरूरी है:Functions of Magnesium in Wheat

जैसे पौधों को जिंक और सल्फर की आवश्यकता होती है। वैसे ही मैग्नीशियम की आवश्यकता भी पड़ती है। मैग्नीशियम सेकेंडरी न्यूट्रिएंट्स में आता है। भले ही इसकी पौधे को कम मात्रा में आवश्यकता में जरूरत पड़ती हो, लेकिन यह फसल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फसल में कल्लों के फुटाव से लेकर हरापन लाने तक के बहुत सारे काम में मैग्नीशियम के द्वारा किए जाते हैं। मैग्नीशियम आपको बाजार में मैग्नीशियम सल्फेट के नाम से देखने को मिलता है। इसमें मैग्नीशियम और सल्फर पाए जाते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा 9.5% और सल्फर की मात्रा 12% पाई जाती है।

गेहूं की ग्रोथ और कल्लों की संख्या बढ़ाने का गजब तरीका:use of fertilizers in wheat

गेहूं की ग्रोथ और कल्लों की संख्या बढ़ाने का गजब तरीका:- किसान साथियों नमस्कार, सभी ...

गेहूं की पैदावार बढ़ाने का आसान तरीका:कुछ तरीके जानें जो आपकी पैदावार को बढ़ा सकते हैं

हर किसान चाहता है, कि उसकी फसल उसको अच्छी पैदावार निकाल कर दे और उसे अधिक मुनाफा हो। पैदावार बढ़ाने के चक्कर में किसान भाई अपनी फसलों में विभिन्न तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स व अन्य दवाइयां का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन फिर भी उनको अच्छे रिजल्ट नहीं देखने को मिलते।

श्रीराम सुपर-252 गेहूं किस्म की विशेषताएं:Improved wheat variety of Shriram Seeds

श्रीराम सुपर-252 गेहूं किस्म श्रीराम सीड्स इंडिया लिमिटेड द्वारा बनाई गई एक रिसर्च गेहूं किस्म है। गेहूं की यह एक अच्छी ऊंचाई वाली गेहूं किस्म है। इसकी ऊंचाई लगभग 103 सेंटीमीटर के आसपास रहती है। गेहूं की इस किस्म से भूसा अधिक बनता है। इस किस्म में गिरने की समस्या बिल्कुल भी नहीं है।

डब्ल्यूएच-1402 गेहूं किस्म की विशेषताएं:रेतली मिटटी और कम पानी में बम्पर उत्पादन:WH-1402 wheat variety

कृषि वैज्ञानिक डॉ ओमप्रकाश बिश्नोई के अनुसार डब्ल्यूएच-1402 गेहूं किस्म दो पानी में भी रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन देने की क्षमता रखती है। यह गेहूं किस्म रेताली मिट्टी में भी काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। इस गेहूं किस्म में पहला पानी 20 से 25 दिन पर और दूसरा पानी 80 से 85 दिन पर देना है।

गेहूं की पैदावार कम होने का सबसे बड़ा कारण:कैसे करें बचाव, मार्च अप्रैल में जरूरी कार्य:Main measures to protect wheat from Heat stress

गेहूं की पैदावार कम होने के कई कारण होते हैं। इसमें मौसम के साथ-साथ आपका सही समय पर बजाई ना करना, सही समय पर पानी और खाद का प्रबंध न करना भी हो सकता है। आप कौन-से बीज का चुनाव कर रहे हैं। इस पर भी आपकी पैदावार काफी हद तक निर्भर करती है। गेहूं की पैदावार की बात करें, तो गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए आपको उसमें समय पर सभी कार्य करने पड़ते हैं। लेकिन अगर आप सभी कार्य समय पर करते हैं। तब भी कई बार गेहूं की पैदावार कम निकलती है।

गेहूं में पीला रतुआ रोग:Identification of yellow rust disease in wheat

गेहूं में रतुआ रोग एक मुख्य रोग है। गेहूं में रतुआ रोग कईं प्रकार का होता है। जो भूरा रतुआ, काला रतुआ और पीला रतुआ के नाम से जानें जाते है। रतुआ रोग एक फंगस जनित बीमारी हैं। रतुआ रोग हर वर्ष गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। रतुआ रोग में सबसे प्रमुख पीला रतुआ रोग है, और यही सबसे अधिक मात्रा में फैलता है। सबसे अधिक नुकसान पीला रतुआ ही करता है। गेहूं में पीला रतुआ के फैलना की बात करें, तो इसके कई कारण होते हैं। जिसके कारण यह फैलता है।

गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करें:Things to keep in mind while doing last irrigation in wheat

गेहूं में पानी देने का तरीका आपकी पैदावार को बढ़ा या घट सकता है। जितना जरूरी फसल में खाद और न्यूट्रिएंट्स होते हैं। उतना ही जरूरी सही समय पर पानी को चलाना भी होता है। बाली बनने के समय पौधे को पर्याप्त मात्रा में नमी की आवश्यकता होती है। लेकिन फिर भी किसान अक्सर इस समस्या में गिरे रहते हैं। कि वह आखिरी पानी कब चलाएं या आखिरी पानी कब बंद करें। इसके लिए मैं आपको कुछ तरीका बताऊंगा। जिसको ध्यान में रखकर आप आखरी पानी दे सकते हैं।

गेहूं की बाली में दाने खाली रहने का कारण:कैसे करें बचाव, कुछ आसान तरीके:Prevention of empty grains in wheat

गेहूं की बाली में आपको अक्सर नीचे वाले या ऊपर वाले कुछ दाने खाली या छोटे नजर आते हैं। इसका कईं मुख्य कारण हो सकते हैं। गेहूं के जैसे जो अन्य फसलें जिसमे फूल से फल बनने की प्रक्रिया होती है। उनमें बाली में अक्सर दाने खाली देखने को मिलते है। गेहूं में भी फूलों से ही फल बनने की प्रक्रिया होती है। जिससे उसमें यह समस्या सामान्य तौर पर देखने को मिलती है। गेहूं की फसल आमतौर पर अक्टूबर, नवंबर में बिजाई होकर और मार्च, अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्च अप्रैल में मौसम में गर्मी थोड़ी अधिक बढ़ जाती है। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा रोग देखने को मिलते हैं।

गेहूं में भूरा रतुआ रोग फैलने के मुख्य कारण:Identification of brown rust disease in wheat

गेहूं भारत में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। इसकी खेती सर्दियों में की जाती है। लेकिन जब इसका पकाने का समय होता है। उस समय गर्मी अधिक होती है। सर्दी और गर्मी के बीच का जो मौसम होता है। उसमें कीट और फंगस रोग काफी अधिक मात्रा में लगते हैं। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा फंगस रोग और कीट रोग देखने को मिलते हैं। गेहूं में एक ऐसा ही रोग जिसे भूरा रतुआ रोग कहा जाता है। यह कुछ इलाकों में बहुत तेजी से फैलता है. और गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। गेहूं की फसल में यह रोग 10% से 30% तक का नुकसान कर सकता है।

गेहूं की बुर (फूल) अवस्था में ध्यान रखने योग्य बातें:Things to keep in mind during the flowering stage of wheat

आपकी गेहूं की पैदावार काफी चीजों पर निर्भर करती है। सही समय पर खाद, पानी और स्प्रे प्रबंधन, सही खेत और बीज का चुनाव आपकी पैदावार को बढ़ा या घटा सकते है। गेहूं या अन्य फसल की पैदावार में मौसम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौसम पर भी आपकी पैदावार काफी हद तक निर्भर करती है।

गेहूं में बालियां निकलने पर कौनसा स्प्रे करें:महत्वपूर्ण बातें, पैदावार बढ़ाने का सही समय:Main spray for earing in wheat

इस समय गेहूं की फसल में कुछ किसानों की बालियां निकलने को है, तथा कुछ किसानों की बालियां निकल गई। आपने अभी तक अपनी गेहूं में सभी प्रकार के खादों और न्यूट्रिशन का पर्याप्त मात्रा में प्रयोग किया होगा। लेकिन बालियां निकलने पर आपको एक से दो काम करने पड़ेंगे। जिससे आप अपनी पैदावार को दो से तीन क्वांटल प्रति एकड़ तक बढ़ा सकते हैं। इस समय गर्मी थोड़ी अधिक पड़ती है और पौधे में हीट स्ट्रेस अक्सर देखने को मिलती है।

65 दिन में तैयार होगी गेहूं की फसल:वैज्ञानिकों रहे है नई तकनीक का बीज तैयार:What is excel breed lab

गेहूं की फसल पकने में लगभग 155 से 160 दिन का समय लेती है। लेकिन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं। जिसमें गेहूं के ऐसे बीजों का निर्माण होगा जो 60 से 65 दिन में पैक कर तैयार हो जाएंगे। इसके लिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक एक्सेल ब्रीड लैब (excel breed lab) तैयार की है। इस लैब में वैज्ञानिक गेहूं की कम समय में पकने वाली नयी किस्म पर रिसर्च करेंगे और उनको तैयार करके किसानों तक पहुंचाने का काम करेंगे। जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके।

गेहूं में बोरोन का प्रयोग:गेहूं में बोरोन की कमी की पहचान:Identification of boron deficiency in wheat

गेहूं में बजाई से लेकर कटाई तक अनेक अवस्थाओं में पौधे को तरह-तरह की पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता इतनी कम मात्रा में पड़ती है, की किसान भाई उनका ध्यान नहीं रखते और इससे उनकी पैदावार घट सकती है। यह सामान्य रह सकती है। अधिक पैदावार लेने के लिए आपको पौधे को सभी तरह के पोषक तत्व समय पर देने पड़ते हैं। तभी आप गेहूं से बंपर पैदावार ले सकते हैं। ऐसे ही अधिकतर किसानों को गेहूं में बोरोन की कमी के पहचान नहीं कर पाते।