देश के ज्यादातर हिस्सों में धान की खेती की जाती है। चावल दुनिया भर में सबसे अधिक मात्रा में खाया जाता है। धान के किसानों के सामने रोगों की एक मुख्य समस्या होती है। धान में फफूंदी जनक, बैक्टीरिया वाले और कीटों वाले रोग अधिक मात्रा में लगते हैं। क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। रोगों से पूरी फसल खराब हो सकती के। किसान की मेहनत और लागत का एक बड़ा हिस्सा इन रोगों की रोकथाम के ऊपर खर्च होता है। जिससे किसानों का धान की फसल से आमदनी कम होती है। इस समय धान की फसल में शीत ब्लाइट रोग तेजी से फैल रहा है। धान के किसान इस रोग से काफी परेशान है।
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धान में शीत ब्लाइट रोग के लक्षण
शीत ब्लाइट रोग धान का सबसे खतरनाक रोग है। यह हवा, पानी और मिट्टी तीनों के द्वारा फैलता है। यह रोग हमेशा खेत के कोनों से शुरू होता है, जहां पर अधिक मात्रा में घास होता है। इस रोग की पहचान यह है, इसमें तने पर छोटे-बड़े और अलग-अलग प्रकार के धब्बे बन जाते है। जैसे सांप की कुंजल का डिजाइन बना हो, बीच में हल्के सफेद रंग और किनारो पर भूरा रंग होता है। इस रोग से आपकी फसल को 100% तक का नुकसान हो सकता है। यह रोग आपके धान के पौधे को धीरे-धीरे पूरा खत्म कर देता है। यह रोग पानी की ऊपरी सतह से शुरू होता है, और धीरे-धीरे पुर खेत में फैल जाता है। इसे धान का खतरनाक रोग इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि यह आपकी फसल को बिल्कुल खत्म कर देता है।
शीत ब्लाइट रोग की रोकथाम
शीत ब्लाइट रोग की रोकथाम से पहले आपको कई सावधानियां बरतनी चाहिए। खेत के किनारो पर उगने वाले खरपतवारों को समय-समय पर नष्ट करते रहें। जिससे यह रोग न फैले। क्यूंकि यह रोग खरपतवारों के द्वारा ही फैलता है। खेत में धान लगाने के समय जो झाग किनारों बन जाती है, उसे खेत से बाहर निकाल दें। यह इस रोग के फैलने का मुख्य कारण होता है। इस रोग के लक्षण दिखने पर खेत से पानी निकल दें। शीत ब्लाइट रोग को आने से पहले रोकने के लिए इसको हलके फूंगीसाइड से भी आसानी से रोका जा सकता है। इस रोग को आने के बाद भी आसानी से कण्ट्रोल किया जा सकते है। रोग आने के बाद हम निम्नलिखित दवाइयां का स्प्रे कर सकते है-
- इस रोग के लिए सबसे अच्छी दवाई थिफ्लुज़ामाइड 24% एससी (पल्सर )IIL की 150ML मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करें।
- अमिस्तर टॉप(amistar top) एज़ोक्सिस्ट्रोबिन(Azoxystrobin) 18.2%w/w + डाइफ़ेनोकोनाज़ोल(Difenoconazole) 11.4%SC की 250ml प्रति एकड़ प्रयोग करें। मूल्य देखें
- इन दोनों दवाइयों के साथ वैलिडामाइसिन 500ml प्रति एकड़ या फिर स्ट्रेप्टोमाइसिन(Streptomycin) 18g प्रति एकड़ प्रयोग करें।
FAQ
धान में ब्लास्ट रोग कितने प्रकार के होते हैं?
ब्लास्ट रोग तीन प्रकार के होते है- लीफ ब्लास्ट, कालर ब्लास्ट और नेक ब्लास्ट। अधिक जानें
धान में कौन सा जिंक डालना चाहिए?
धान में जिंक सलफेट 33% 7kg से 8kg प्रति एकड़ डालना चाहिए।
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