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गन्ना नर्सरी:कैसे है लाभकारी,संपूर्ण जाने, प्रगतिशील किसानों की पहली पसंद क्यों बना ये तरीका:Benefits of preparing sugarcane nursery

गन्ने की वैसे तो अनेक विधियां देखी जाती हैं, और उनसे गन्ने की बिजाई भी किसान लंबे समय से करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले 1 से 2 सालों में गन्ना नर्सरी तैयार करने का चलन काफी बढ़ गया है। गन्ना नर्सरी से बिजाई करने पर किसानों को काफी ज्यादा लाभ भी देखने को मिल रहे हैं। गन्ना नर्सरी क्यों लाभकारी है, अगर इस पर बात करें तो इसके अनेक लाभ हैं। जो आप नीचे इस लेख में बताये गए है। प्रगतिशील किसान इस समय गन्ने की नर्सरी से काफी अच्छी पैदावार ले रहे हैं।

गेहूं में पीला रतुआ रोग:Identification of yellow rust disease in wheat

गेहूं में रतुआ रोग एक मुख्य रोग है। गेहूं में रतुआ रोग कईं प्रकार का होता है। जो भूरा रतुआ, काला रतुआ और पीला रतुआ के नाम से जानें जाते है। रतुआ रोग एक फंगस जनित बीमारी हैं। रतुआ रोग हर वर्ष गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। रतुआ रोग में सबसे प्रमुख पीला रतुआ रोग है, और यही सबसे अधिक मात्रा में फैलता है। सबसे अधिक नुकसान पीला रतुआ ही करता है। गेहूं में पीला रतुआ के फैलना की बात करें, तो इसके कई कारण होते हैं। जिसके कारण यह फैलता है।

गन्ना बोने की वर्टिकल विधि:बंपर पैदावार का लेने का आसान तरीका:What is vertical method of sugarcane

गन्ने बिजाई की रोज नई-नई विधियां आपको देखने को मिल रही है। जिसमें मुख्य विधियां रिंग पिट विधि, ट्रैंच विधि और पौधा नर्सरी से गन्ने की बिजाई की जाती है। लेकिन गन्ने की एक नई विधि काफी प्रचलित है। यह विधि सबसे पहले यूपी के किसानों द्वारा अपनायी गयी थी। इसमें बीज कम मात्रा में लगता है। इस विधि से किसान बड़ी अच्छी पैदावार निकल के दे रहे है। गन्ने की यह विधि वर्टिकल विधि के नाम से जानी जाती है।

गन्ने की टॉप 10 किस्में:Top 10 varieties of sugarcane

गन्ने की अनेक इसमें भारत में बिजाई की जाती है। इनमें से कुछ किस्में किसान भाई लंबे समय से प्रयोग करते आ रहे हैं। लेकिन अब वह इतनी अच्छी पैदावार निकाल कर नहीं देती या ये कहें की नई-नई किस्में उनसे ज्यादा पैदावार निकाल कर देती हैं। पुरानी किस्मों में रोग भी बहुत कम मात्रा में लगते हैं।

गन्ने की खेती से अधिक पैदावार लेने के सिंपल तरीके:प्रगतिशील किसान का अनुभव:how get more yield from sugarcane farming

गन्ने की अनेक विधियों से बजाई की जाती है। लेकिन गन्ने की जो पुरानी और परंपरागत विधि है, उसमें किसान 28 इंच की दूरी पर बिजाई करते है। भारत के ज्यादातर किसान इसी विधि से बिजाई करते हैं। लेकिन अब कुछ किसान रिंग फिट विधि, वर्टिकल विधि और ट्रेंच विधि से भी गन्ने की बिजाई करने लगे हैं। आजकल गन्ने की पौध तैयार करके भी बिजाई की जाती है। गन्ने की लगभग सभी विधियां एक जैसी ही पैदावार निकाल कर देती हैं। 10% किसानों पर ही गन्ने की पैदावार अधिक निकलती है।

गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करें:Things to keep in mind while doing last irrigation in wheat

गेहूं में पानी देने का तरीका आपकी पैदावार को बढ़ा या घट सकता है। जितना जरूरी फसल में खाद और न्यूट्रिएंट्स होते हैं। उतना ही जरूरी सही समय पर पानी को चलाना भी होता है। बाली बनने के समय पौधे को पर्याप्त मात्रा में नमी की आवश्यकता होती है। लेकिन फिर भी किसान अक्सर इस समस्या में गिरे रहते हैं। कि वह आखिरी पानी कब चलाएं या आखिरी पानी कब बंद करें। इसके लिए मैं आपको कुछ तरीका बताऊंगा। जिसको ध्यान में रखकर आप आखरी पानी दे सकते हैं।

गन्ने में खरपतवार उगने से रोकने का आसान तरीका:Easy way to prevent weeds in sugarcane

खेती में किसानों के लिए खरपतवार एक बड़ी समस्या शुरू से ही बनी हुई है। खरपतवार उगने से किसानों को आर्थिक लाभ तो होता ही है, इसके साथ-साथ उनका जमीन में पड़े खादों को भी खरपतवार ग्रहण करते हैं। जिससे पौधे को पूरा पोषण नहीं मिल पाता। गन्ने में अक्सर देखा जाता है, की गन्ने के जमाव से पहले ही खरपतवार उग जाते हैं। खरपतवार फंगस और कीट रोग फैलने का भी मुख्य कारण होता है। कीट और फंगस खरपतवारों में पनपते रहते हैं। जो धीरे-धीरे फसल में लगकर उसको नष्ट करने का काम करते हैं।

colk-15201 गन्ना किस्म की विशेषताएं:Indian Sugarcane Research Institute Lucknow variety

गन्ना वैज्ञानिक समय समय पर किसानों के लिए नई-नई किस्म बनाते हैं। जिससे किसान कम खर्चे में अधिक पैदावार ले सकें। गन्ने की कुछ पुरानी किस्म किसानों को काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देख रही हैं। लेकिन उनमें अब रोग अधिक मात्रा में देखने को मिलते हैं। जिससे किसानों का इन किस्म पर खर्च थोड़ा अधिक बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश के उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिकों ने गन्ने की एक नई किस्म बनाई है। जो colk-15201 के नाम से जानी जाती है। यह किस्म वर्ष 2023 में तैयार की गई थी

प्याज में बैंगनी धब्बा रोग (पर्पल ब्लॉच) की पहचान:Identification of fungus in onion

प्याज एक कंद वर्गीय फसल है। लेकिन इसमें रोग भी काफी अधिक मात्रा में देखे जाते हैं। आजकल अधिक नाइट्रोजन और रासायनिक खादों के प्रयोग से फसलों में रोग की मात्रा तो बढ़ ही गई है। लेकिन उनको रोकने के लिए भी तरह-तरह की दवाइयां बाजार में उपलब्ध रहती हैं। ऐसे ही प्याज का एक बहुत ही खतरनाक रोग है, जो बैंगनी धब्बा रोग (पर्पल ब्लॉच) के नाम से जाना जाता है। जब यह रोग आपको दिखाई देता है, इससे तीन से चार दिन पहले ही इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। किसान भाई इसका ध्यान तब देते हैं, जब यह पूरी तरह से फैल जाता है।

गन्ने की उपज बढ़ाने का मूल मंत्र:गन्ना वैज्ञानिकों ने पौधा गन्ना और पैड़ी गन्ना के लिए बताया ये तरीका:Solution to increase sugarcane production

इस समय पौधा गन्ना की कटाई चल रही है, और कुछ किसान भाई गन्ना की बिजाई भी शुरू कर रहे होंगे। हम गन्ने से किस प्रकार अधिक पैदावार ले सकते हैं। गन्ने से अधिक पैदावार लेने के लिए आपको हमें उसमें शुरू से ही कुछ कार्य करने पड़ते हैं। जिससे उसकी शुरू से ही ग्रोथ होकर चले और वह आपको अच्छी पैदावार निकाल कर दे। इसके लिए हम खाद के साथ-साथ कुछ और चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है। इन सब चीजों को मिलकर ही एक खेत से अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

मक्का में बिजाई के समय ताकतवर खाद कांबिनेशन:100 क्विंटल पैदावार का तरीका:Best fertilizer at the time of sowing of maize

मक्का एक ऐसी फसल है, जिसकी बिजाई लगभग पूरे भारत में की जाती है। मक्का की कुछ क्षेत्रों में तो पैदावार 50 क्विंटल तथा कुछ क्षेत्रों में 100 क्विंटल के लगभग भी देखी जाती है। मक्का की पैदावार में इतने अंतर कई कारणों से होते हैं। जिसमें खाद भी एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। मक्का की फसल खाद को सीधे तौर पर ग्रहण करती है, और इसको अधिक मात्रा में खादों की आवश्यकता होती है।

2024 में गन्ना किस्म 0238 की बिजाई:करें यह जरूरी काम, रोगों से बचाव करने का आसान तरीका:Way to protect sugarcane variety CO-0238 from diseases

पिछले वर्षों में देखा जा रहा है, कि गन्ना किस्म CO-0238 किसानों को कई काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही थी। पैदावार की बात करें, तो इस किस्म ने आज तक गन्ने की सभी किस्मों में सबसे अधिक पैदावार निकाल कर दी है। लेकिन अब यह किस्म रोग ग्रसित हो चुकी है। इसमें काफी अधिक मात्रा में रेड रॉट, टॉप बोरर और पोका बोइंग जैसे रोग देखने को मिल रहे हैं। जिससे किसानों का इस किस्म पर खर्च काफी अधिक बढ़ गया है, और उनकी पैदावार भी घाटी है। क्योंकि गन्ने में रोग ही इतनी भयानक लगते कि बार-बार स्प्रे करने पर भी वह आसानी से कंट्रोल नहीं किया जा सके।

गेहूं की बाली में दाने खाली रहने का कारण:कैसे करें बचाव, कुछ आसान तरीके:Prevention of empty grains in wheat

गेहूं की बाली में आपको अक्सर नीचे वाले या ऊपर वाले कुछ दाने खाली या छोटे नजर आते हैं। इसका कईं मुख्य कारण हो सकते हैं। गेहूं के जैसे जो अन्य फसलें जिसमे फूल से फल बनने की प्रक्रिया होती है। उनमें बाली में अक्सर दाने खाली देखने को मिलते है। गेहूं में भी फूलों से ही फल बनने की प्रक्रिया होती है। जिससे उसमें यह समस्या सामान्य तौर पर देखने को मिलती है। गेहूं की फसल आमतौर पर अक्टूबर, नवंबर में बिजाई होकर और मार्च, अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्च अप्रैल में मौसम में गर्मी थोड़ी अधिक बढ़ जाती है। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा रोग देखने को मिलते हैं।

पौधा गन्ना की कटाई के बाद मुख्य स्प्रे:Main spray of plant after harvesting of sugarcane

पौधा गन्ना की कटाई शुरू हो चुकी है। किसान भाई फरवरी से लेकर मार्च तक पौधा गन्ना की कटाई करते हैं। कुछ किसान भाई गेहूं वाले खेतों में गन्ना बिजाई करते हैं, और वह उसे समय तब भी गन्ने का बीज रखने के लिए गन्ने को रखते हैं। जब भी आप पौधा गन्ना की कटाई करें। उसके बाद आपको उसमें कुछ ऐसे कार्य करने चाहिए। जिससे उसमें शुरू से ही कीट रोग या फंगस रोग ना लगे और आपके कल्लों का फुटाव बेहतर हो। क्योंकि अक्सर देखा जाता है, कि किसान भाई गन्ना कटाई के बाद उसमें गन्ने की जड़ें कट फट जाती हैं, और उनमें फंगस और कीट रोग ज्यादा मात्रा में देखने को मिलते हैं। जिससे जड़ें खराब हो जाती हैं, और उनका जमाव अच्छे से नहीं होता। इसलिए हमें गन्ना कटाई के तुरंत बाद ही उसमें एक स्प्रे कर देना चाहिए।

CO-3102 गन्ना किस्म की विशेषताएं:New variety of sugarcane

गन्ने की अनेक किस्म भारत के अलग-अलग राज्यों में बिजाई की जाती है। लेकिन कुछ ऐसी किस्में भी है, जो लगभग सभी क्षेत्रों में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। गन्ने की सबसे अधिक पैदावार महाराष्ट्र में निकलती है। लेकिन अब हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी गन्ने की ऐसी नई-नई किस्में देखी जा रही हैं। जो महाराष्ट्र के बराबर पैदावार निकाल कर दे रही हैं। ऐसी ही एक गन्ना किस्म जिसकी बजाई आप लगभग पूरे भारत में कर सकते हैं। यह गन्ना किस्म ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही है।

करेले की टॉप 5 हाइब्रिड किस्में:Top 5 hybrid varieties of bitter gourd

करेला एक बेल वर्गीय फसल है। इसकी बेल पर इसका फल लगता है। करेले की बिजाई साल में दो बार की जाती है। फरवरी और जून, जुलाई में करेले की बिजाई की बिजाई करने का सही समय होता है। करेले की फसल आम तौर पर 55 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार की बात करें, तो अलग-अलग किस्म की पैदावार औसतन 10 टन प्रति एकड़ तक आसानी से निकल आती है। अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग करेला किस्में अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।

गन्ना बिजाई में प्रमुख कीटनाशक:Major pesticides in sugarcane sowing

गन्ने की बिजाई के समय जितना जितना महत्व खादों का होता है, उतना ही कीटनाशकों का भी होता है। क्योंकि जमीन के अंदर दीमक और सफेद गिडार जैसे कीट गन्ने में अधिक मात्रा में लगते हैं। जो आपके गन्ने के जमाव को तो प्रभावित करते ही है, और गन्ने की जड़ों को खाकर खराब कर देते हैं। जिससे आपकी पैदावार में गिरावट आती है।

गन्ना बिजाई से पहले गहरी जुताई करने के फायदे:Benefits of deep plowing before sowing crop

आजकल अधिकतर किसान साथी, रोटावेटर से अपने खेतों की जुताई अधिक करते हैं। रोटावेटर से जुताई करना किसानों के लिए थोड़ा सस्ता पड़ जाता है, और इसमें जमीन की ऊपरी परत भुरभुर आसानी से हो जाती है। लेकिन रोटावेटर से जुताई करने से किसानों का काफी नुकसान भी होता है। उनकी मिट्टी में ज्यादा गहराई तक जुताई नहीं हो पाती, जिससे उनकी मिट्टी जमीन की जल ग्रहण करने की क्षमता और उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है।