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तरबूज की टॉप 5 किस्में:जो किसानों द्वारा सबसे अधिक पसंद की जाती है:Top Improved Varieties of Watermelon

तरबूज की खेती को किसी भी मौसम में कर सकते हैं। इसकी बिजाई आप रबी, खरीफ व जयाद तीनों समय में कर सकते हैं। अलग-अलग राज्य में अलग-अलग समय पर तरबूज की खेती की जाती है। उत्तर भारत की बात करें, तो उत्तर भारत में तरबूज की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय जनवरी से लेकर मार्च तक का होता है। अगर आप अगेती तरबूज लगाना चाहते हैं, तो जनवरी और पिछेती लगाना चाहते हैं, तो मार्च में इसकी बजाई कर सकते हैं।

गेहूं में जड़ों के विकास के लिए माइकोराइजा डालें या ह्यूमिक एसिड, दोनों में क्या अंतर है:mycorrhiza or humic acid

अगर आपकी मिट्टी का पीएच लेवल सही है, और आपने उसमें कोई फंगीसाइड का इस्तेमाल नहीं किया है। तो आपको माइकोराइजा का इस्तेमाल करना चाहिए। यह आपकी जड़ों का विकास ह्यूमिक एसिड के मुकाबले ज्यादा अच्छे से करता है। अगर आप की मिट्टी का पीएच लेवल सही नहीं है, तो इस कंडीशन में आप ह्यूमिक एसिड का प्रयोग करें। यह आपकी मिट्टी को सुधार कर पौधे की जड़ों को मजबूत करता है, और उन्हें नई जड़ों को बनाने में सहायता करता है।

सरसों में पाले से नुक्सान:क्या करें किसान, कृषि वैज्ञानिकों ने बताएं यह आसान तरीका:Ways to avoid frost damage to mustard

सरसों की फसल में पाला पड़ने से पौधे में पड़े एंजाइम जम जाते हैं। जिससे पौधे और फलियों की ग्रोथ रुक जाती है। दूसरा धूप न निकलने की वजह से पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है, और पौधा हरा भरा नहीं रह पाता। जिससे पैदावार में नुक्सान होता है। पाला पढ़ने से आपकी फसल में माहु कीटों का प्रकोप भी आपकी सरसों पर अधिक देखने को मिलता है।

गेहूं में एनपीके, बोरोन और फंगीसाइड को मिक्स करके स्प्रे कर सकते हैं, या नहीं:क्या कहते हैं कृषि जानकारी:Correct way to mix NPK Boron and fungicide

गेहूं में किसान भाई एनपीके और बोरोन का स्प्रे करते हैं। एनपीके हमारी फसल की बड़वार के लिए आवश्यक होता है। वहीँ बोरोन फलों और फूलों को झड़ने से रोकता है। एनपीके का इस्तेमाल अलग-अलग स्टेज में अलग-अलग होता है। एनपीके-05234 बाली निकलने से पहले और एनपीके-0050 बाली निकलने के बाद आमतौर पर प्रयोग किए जाते हैं। कुछ किसान साथियों के अक्सर यह सवाल पूछते हैं, कि क्या हम एनपीके और बोरोन के साथ फंगीसाइड को मिक्स कर सकते हैं।

गन्ने में जड़ बेधक का नियंत्रण कैसे करें:गन्ने की ऊपरी पत्तियां पीली होने का कारण,Identification of root borer in sugarcane

न्ने के जिन पौधों में जड़ बेधक लगा हुआ होता है। उनकी जड़ के ऊपरी पोरियाँ में छोटे-छोटे छिद्र दिखाई देते हैं, और पोरी के अंदर भाग पर बारूदे जैसा बीट भरा रहता है। रोग ग्रसित भाग लाल रंग का दिखाई पड़ता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे पीली होकर सूखने लगती है। पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। यह रोग आपकी गन्ने की फसल में किसी भी समय लग सकता है।

गेहूं में दोगुने कल्ले और लंबी बाली के लिए पानी के साथ डालें ये तीन खाद:अनुभवी किसान का फार्मूला:Main fertilizers used in wheat

गेहूं में जितने अधिक कल्ले होंगे। उतनी ही अधिक उनमें बालियाँ निकलेगी। अगर कल्ले मोटे और मजबूत होंगे, तो उनमें भी बाली भी उतनी ही मोटी निकलते हैं। गेहूं में अधिक फुटाव के लिए किसान भाई समय-समय पर पानी और खातों का इस्तेमाल करते हैं। समय पर पानी और खाद देने से ही गेहूं में अच्छा फुटाव और हरियाली बनी रहती है।

गेहूं में समय से पहले बालियाँ निकालने का मुख्य कारण(2023):उत्पादन पर कितना असर, कृषि विज्ञानकों ने दी ये सलाह:wheat cultivation

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिसंबर में बालियां निकलने का मुख्य कारण एलिनो बताया गया है। एलिनो समुद्र में होने वाली एक प्रक्रिया है, जिसमें समुद्र का गर्भ हवाएं भारत की तरफ ना होकर साउथ अमेरिका की तरफ अधिक है। जिस कारण से भारत में बारिश कम हो रही है, और मौसम भी अधिक गर्म है। रात के समय टेंपरेचर थोड़ा ठंडा रहता है, और दिन में ज्यादा गर्मी पड़ती है।

गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए आपको इन तीन पत्तियों का हरा रखना जरूरी है:गेहूं की पैदावार तीन पत्तियों पर निर्भर करती है,Importance of flag leaf in wheat

हमारे गेहूं की पैदावार तीन पत्तियों पर निर्भर करती है।यह तीन पत्तियां में झंडा पत्ता, झंडा पेट के साथ वाली नीचे वाली पत्ती और उसके नीचे वाली पट्टी यानी के पौधे की ऊपरी तीन पत्तियां हमारी पैदावार के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती है। अगर आप इन तीन पत्तियों को आप हरा-भरा रख लेते हो, तो आपकी पैदावार को कोई नुकसान नहीं होगा।

गुड़ाई के समय लहसुन में क्या डालें:जड़ गलन समस्या व जड़ के कीड़े की रोकथाम,कृषि वैज्ञानिक:Do this work in garlic while weeding

लहसुन में जड़ गलन की समस्या सभी क्षेत्रों में देखने को मिलती है। जड़ गलन में पौधे की जड़ काली होकर धीरे-धीरे सूख जाती हैं। पहले पौधे के नीचे वाली पत्तियां पीली होती हैं, और बाद में पूरा पौधा पीला होकर सूख जाता है। जड़ गलन की समस्या उन खेतों में अधिक देखने को मिलती है। जहां लहसुन में नमी ज्यादा पाई जाती है।

सरसों में माहू कीट(तेला चेपा) का नियंत्रण कैसे करें:फलियां बनने के समय हल्के में ना लें:Identification of hopper disease in mustard

माहू कीट(तेला चेपा) की पहचान आप आसानी से कर सकते हैं। इस रोग में सरसों की ऊपरी डंडी पर छोटे-छोटे कीट दिखाई देते हैं। जो जो झुंड में रहते हैं, और पौधे का रस चूस कर हमारी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। यह हलके हरे रंग के होते है। जिससे उपज में नुकसान होता है। और किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।

हरियाणा और पंजाब में धुंध (कोहरे) का ऑरेंज अलर्ट जारी:24 से 28 दिसंबर 2023 को सीजन की पहली धुंध:Orange alert issued for fog in Haryana and Punjab

आज 24 दिसंबर हो चुकी है, लेकिन अभी तक मौसम में धुंध(कोहरे) देखने को नहीं मिल रही थी। दिन में धूप तेज होने की वजह से गर्मी काफी बढ़ जाती है। और रात में तापमान कम रहता है। जिससे फसलों को भी नुक्सान नुक्सान उठना पड़ता है। आज मौसम विभाग ने हरियाणा और पंजाब में धुंध (कोहरा) का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

गेहूं में दूसरी सिंचाई:कल्ले नहीं बने, डालें ये दमदार खाद:पीलापन खत्म करने का सही समय:Fertilizer on second water in wheat

गेहूं की फसल में काफी किसान दूसरी सिंचाई करने जा रहे है। गेहूं में दूसरी सिंचाई लगभग 50 से 60 दिन पर हो जाती है। इस समय किसानों के मन में अक्सर यह सवाल रहता है, कि वह कौन से खाद का इस्तेमाल करें। जिससे अधिक कल्लों का फुटाव हो और गेहूं से पीलापन भी पूरी तरह से खत्म हो जाए।

लहसुन में लगने वाले सबसे ख़तरनाक फफूंदी जनित रोग:लहसुन की ऊपर की पत्तियों का सूखना,कैसे करें रोकथाम:सम्पूर्ण जानें

लहसुन में वैसे तो कई प्रकार के फफूंदी जनक रोग लगते हैं लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा खतरनाक डाउनी मिल्ड्यू रोग है। यह एक फफूंदी जनक बीमारी है। लगभग सभी क्षेत्रों में यह बीमारी हमें देखने को मिलती है। इस बीमारी से किसानों को काफी नुकसान होता है। जब तापमान कम होता है, और लहसुन की पत्ती गीली रहती है।

गेहूं में कद रोकने वाली दवाई का प्रयोग करना चाहिए:क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक, अनुभवी किसानों की राय जानें:Agricultural scientist’s suggestions for use in wheat

गेहूं की जो नई किस्में विकसित की गई है। जिसमें DBW-303, 187, 222, 327 और WH-1270 आदि किस्मों में वैज्ञानिक इस दवाई का प्रयोग करने के लिए आम तौर पर बोलते हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, कि इस दवाई के प्रयोग से आप अपने गेहूं की फसल को फसल की पैदावार को बढ़ा सकते हैं।

खेतों में जंगली जानवरों से नुकसान:कैसे बचाएं अपनी फसल, पुराने किसानों का अनुभव जानें:Easy way to drive away wild animals

भारत के लगभग सभी राज्यों में किसानों के खेतों में जंगली जानवरों का कहर लगातार देखा जाता है। इसमें इसमें नीलगाय और सूअर सबसे अधिक पाए जाने वाले जंगली जानवर हैं। यह ही किसानों की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। जिन किसानों के खेत गांव से दूर होते हैं। उनमें अक्सर नीलगाय और सूअर का नुक्सान देखा जाता है।

गेहूं में सब कुछ डालने के बाद भी कल्ले नहीं बने:ये है मुख्य कारण, डालें ये जरूरी खाद:Do this important work for budding in wheat

जब भी आप अपनी फसल में जिंक, सल्फर, मैग्नीशियम या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग कर लेते हो। लेकिन उसके बाद भी आपकी फसल में कुछ खास तरह की ग्रोथ देखने को नहीं मिलती। तो इसका मुख्य कारण होता है, कि आपके खेत में ऑर्गेनिक कार्बन की कमी होती है। ऑर्गेनिक कार्बन जमीन में पड़े तत्वों को पौधे तक पहुंचाने का काम करता है।

गेहूं में जिंक और सल्फर का प्रयोग एक साथ नहीं किया:तो सब कुछ फेल, जानें क्या कहते है कृषि जानकर:Why should zinc and sulfur be used together.

किसी भी फसल में जिंक और सल्फर का काफी ज्यादा महत्व रहता है। दोनों का आपस के अंदर एक गहरा संबंध रहता है। अगर आप जिंक प्रयोग कर रहे हो और उसके साथ अपने सल्फर का प्रयोग नहीं किया। तो आपकी जिंक पौधे को नहीं लगेगी।

गेहूं में मैग्नीशियम का प्रयोग करें या ना करें(2024):मैग्नीशियम पौधे के लिए क्यों जरूरी है:Functions of Magnesium in Wheat

जैसे पौधों को जिंक और सल्फर की आवश्यकता होती है। वैसे ही मैग्नीशियम की आवश्यकता भी पड़ती है। मैग्नीशियम सेकेंडरी न्यूट्रिएंट्स में आता है। भले ही इसकी पौधे को कम मात्रा में आवश्यकता में जरूरत पड़ती हो, लेकिन यह फसल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फसल में कल्लों के फुटाव से लेकर हरापन लाने तक के बहुत सारे काम में मैग्नीशियम के द्वारा किए जाते हैं। मैग्नीशियम आपको बाजार में मैग्नीशियम सल्फेट के नाम से देखने को मिलता है। इसमें मैग्नीशियम और सल्फर पाए जाते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा 9.5% और सल्फर की मात्रा 12% पाई जाती है।