khetijankari

गेहूं में डीएपी की कमी:बिजाई के समय डीएपी का प्रयोग नहीं किया(2024),फास्फोरस की कमी पूरी करने का आसान तरीका जानें

अक्सर देखा गया है कि गेहूं बजाई के समय डीएपी की कमी हो जाती है। ऐसा पहले भी हो चुका है और आगे भी हो सकता है। कुछ किसानों ने इस साल गेहूं की बजाई में आधा बैग डीएपी डालकर काम चलाया है। गेहूं में डीएपी 50 किलोग्राम प्रति एकड़ तक प्रयोग होता है।

KRL-210 गेहूं किस्म की विशेषताएं:KRL-210 wheat variety

KRL-210 गेहूं किस्म केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल (हरियाणा) द्वारा बनाई गई है गेहूं की इस किस्म को वर्ष 2013 में बनाया गया था। इस किस्म को बनाने का उद्देश्य किसानों को जल भरवा वाले क्षेत्र और कल्लर मिट्टी में अधिक पैदावार निकाल कर देना। जिस क्षेत्र में बारिश के कारण पानी जमा हो जाता है, और उनके खेतों का पानी नहीं सूखता।

गेहूं में सल्फर को मिट्टी में दे या स्प्रे में(2024):कृषि वैज्ञानिक ने बताया गेहूं में सल्फर देने का ये सही तरीका

सल्फर एक ऐसा तत्व है, जो गेहूं की फसल के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। सल्फर गेहूं के लिए मुख्य पोषक तत्व होता है। पहले पौधे पर्यावरण से सल्फर की कमी को पूरा कर लेते थे। परंतु प्रदूषण अधिक होने की वजह से पौधा पर्यावरण से अब सल्फर की मात्रा में नहीं ले सकते। इसलिए हमें केमिकल तरीके द्वारा पौधे को सल्फर देनी पड़ती है। सल्फर की कमी रेताली जमीनों में अधिक महसूस होती है

गेहूं की फसल में पानी देने के बाद पीलापन:ये है मुख्य कारण, मात्र 150 रुपए में गेहूं का पीलापन दूर करें।

गेहूं की फसल में किसानों ने पानी लगना शुरू कर दिया है। कुछ किसानों की गेहूं की फसल में पानी लगाने से पहले भी हल्का पीलापन दिखाई दे रहा था। यह पीलापन पानी देने के बाद और भी अधिक बढ़ जाता है। गेहूं में पीलापन जिंक, सल्फर, मैग्नीशियम और मैंगनीज की कमी के कारण आता है।

गेहूं में अड़ियल मंडुसी (गुली डंडा) को भी जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखती है यह खास खरपतवार नाशक दवाई(2024):herbicide to kill weeds in wheat

गेहूं की बिजाई लगभग सभी किसानों ने पूरी कर ली है। कुछ किसान गन्ने की फसल काटकर गेहूं की लेट बिजाई कर रहे हैं। जिन किसानों ने गेहूं की बिजाई अक्टूबर में कर दी थी। उनकी गेहूं अब 25 से 30 दिन की हो गई है। अब उसमें आपको खरपतवार भी दिखने लगे होंगे। गेहूं में मुख्य रूप से पालक, मंडूसी (गुली डंडा), जंगली जाई, गजर घास और बथुआ आदि खरपतवार मुख्य रूप से उग जाते हैं।

गेहूं में जिंक डालें या नहीं(2024):जानें कृषि सलाहकार इस बारे में क्या कहते है

गेहूं की फसल में ज्यादातर किसान जिंक का प्रयोग नहीं करते। गेहूं में सल्फर अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता हैं। भारत में 40% से अधिक जमीनों पर जमीनों में जिंक की कमी पाई जाती है। जिंक एक ऐसा तत्व है, जिसको आप साल में अगर एक बार भी अपनी जमीन में डाल लेते हैं। तो उसको दोबारा डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

गेहूं में ह्यूमिक एसिड कब डालें:Benefits of humic acid in wheat

ह्यूमिक एसिड काला सोने के नाम से जाना जाता है। यहाँ एक आर्गेनिक खाद है। जो चट्टानों को पीसकर बनाया जाता है। ह्यूमिक एसिड तरल और दानेदार दोनों फॉर्म में बाजार में आपको आसानी से मिल जाएगा। तरल ह्यूमिक एसिड का प्रयोग आप स्प्रे या ड्रिप द्वारा कर सकते हैं। दानेदार ह्यूमिक एसिड का प्रयोग सीधा मिट्टी में किया जाता हैं। इसको आप खाद या रेत में मिलकर अपनी जमीन में डाल सकते हैं

मात्र 13 किलो यूरिया में तैयार करें अपनी गेहूं की फसल:कम खर्च में ऐसे लें अधिक पैदावार

खेती में यूरिया नईट्रोजन का मुख्या स्त्रोत होता है। वातावरण में 78% नइट्रोज़न पायी जाती है। लेकिन फिर पौधें को अलग से नइट्रोज़न की देने की आवश्यकता पड़ता है। क्यूंकि पौधा नइट्रोज़न को नाइट्रेट फॉर्म में लेता है। इसलिए फसल में यूरिया का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। ज्यादातर यूरिया का प्रयोग किसानों द्वारा मिट्टी में किया जाता है। यूरिया अधिक मात्रा में प्रयोग करने से किसानों को यूरिया की किल्लत भी देखी जा सकती है।

गेहूं में जड़ों के पास दिखने लगा गुलाबी सुंडी का प्रकोप(2024):How to prevent caterpillar in wheat

गेहूं की बिजाई लगभग पूरी हो गयी है। कुछ किसानों की गेहूं की फसल 20 से 25 दिन की हो गई है। और किसान उसमें पानी लगाने की तैयारी कर रहे है। इस समय गेहूं की फसल में एक नई समस्या देखने को मिल रही है। गेहूं की जड़ों में आपको एक सुंडी दिखाई देगी। जिसका रंग हल्का गुलाबी है। और वह जड़ों को काटकर गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा रही है। अगर अपने गेहूं की सुपर सीडर या हैप्पी सीडर से गेहूं की हो तो उन खेतों में ये कीट आपको अधिक मात्रा में देखने को मिलता है।

आलू में झुलसा रोग की आने से पहले ही करें पहचान आपनाएँ ये आसान तरीका(2024):Potato crop diseases and treatment

आलू की फसल के पौधे जब बड़े हो जाए और पौधे आपस में टकराने लगे। पूरा खेत पत्तों से भर जाए और वातावरण में नमी हो या बार-बार बारिश हो रही हो। तो आलू में झुलसा रोग फैलने के लिए ये सबसे अच्छा समय होता हैं। जब ओस पत्तों पर अधिक देर रहती है, और दोपहर में धूप के कारण मौसम गर्म हो जाता है तापमान 10 से 20 डिग्री के बीच रहता है। उस समय आलू की फसल में झुलसा रोग तेजी से फैलता है।

COLK-12207 गन्ना किस्म की विशेषताएं:Know about COLK-12207 sugarcane variety

COLK-12207 गन्ना किस्म गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ द्वारा बनायीं गयी किस्म है। यह एक माध्यम मोटाई वाली गन्ना किस्म है। इसका गन्ना अधिक ठोस होता है। इसके एक गन्ने का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम तक रहता है। यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है। रेड रॉट और पोका बोईंग जैसे खतरनाक रोग इस गन्ना किस्म में नहीं लगता। इस किस्म की इंटरनोड लंबी होती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रबी फसल का पंजीकरण शुरू(2024):How to register on Meri Fasal Mera Byora

मेरी फसल मेरी ब्यौरा में पंजीकरण करने के लिए आप अपने मोबाइल में मेरी फसल मेरा ब्यौरा वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। या फिर आप सरकार द्वारा जारी एंड्रॉयड एप्लिकेशन मेरी फसल मेरी ब्यौरा को भी डाउनलोड कर सकते हैं। फसल का पंजीकरण आप नजदीकी सीएससी सेंटर भी कर सकते हैं। फसल के पंजीकरण के लिए आपको अपने खसरा नंबर या खेत का नंबर और अपना मोबाइल नंबर डालना होगा

15 दिन में आलू का साइज डबल करने के लिए सबसे दमदार स्प्रे:Best way to increase the size of potatoes

आलू एक ऐसी फसल है जिसमें आप जितना डालते हो उससे अधिक उसमें से निकाल सकते हो। आलू की फसल किसानों को हमेशा मुनाफा ही देती है। आलू में अत्यधिक खादों का प्रयोग करके आप पैदावार को बड़ा सकते हैं। जिन किसानों ने आलू की बिजाई किए हुए 30 से 40 दिन का समय हो गया है। वह किसान भाई इस समय अपने आलू का साइज बढ़ाने के लिए एक स्प्रे कर सकते हैं।

सरसों में फूल आने पर पैदावार बढ़ाने के लिए यह दो जरूरी काम करें(2024):सरसों की खेती में पैदावार बढ़ाने के कुछ तरीके

सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए फूल अवस्था सबसे अच्छी स्टेज मानी जाती है। इस समय से आपकी फसल में दाने बनने का समय शरू हो जाता है। अगर आपकी सरसों के अंदर फूल अवस्था शुरू हो गई है। तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिससे आपकी पैदावार बढ़िया निकले। इस समय आपकी फसल में कीटों और रोगों का अटैक लगना शरू हो जाता है। इसलिए इनकी रोकथाम के लिए उपाय करने भी इस समय जरूरी होते है।

गेहूं की फसल में बंपर पैदावार के लिए पहले पानी देने का सही समय जानें(2024):गेहूं में पानी देने का सही तरीका जानें

गेहूं में पानी देने का समय आपकी बजाई करने के समय पर निर्भर करता है। अगर आपने गेहूं की बिजाई अक्टूबर में की है। तो आपको पहला पानी 20 से 25 दिन पर लगाना पड़ेगा। अगर आपने गेहूं की बिजाई नवंबर या दिसंबर में की है। तो आप 25 से 30 दिन पर पहला पानी लगाएं। क्योंकि उसे समय ठंड थोड़ी ज्यादा बढ़ जाती है, और रात को ओस अधिक पड़ती है। जिससे मिट्टी गिल्ली रहती है।

गेहूं बिजाई में डीएपी से भी ताकतवर इस खाद का इस्तेमाल करें(2024):डीएपी और एमएपी में अंतर जानें

गेहूं की समय पर बिजाई के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है। इस समय लगभग सभी किसान भाई अपनी गेहूं की बिजाई शुरू कर दी है, या कुछ करने वाले हैं। रबी की फसल यानी गेहूं की बिजाई में अक्सर डीएपी खाद की किल्लत पिछले दो-तीन वर्षों से देखी जा रही है। किसानों को डीएपी महंगे दामों पर मिल रहा है। या उन्हें डीएपी के साथ कुछ अन्य चीजों को जबरदस्ती दिया जाता है। जिससे किसान का भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।

पैदावार के मामले में इस गेहूं किस्म का नहीं है कोई मुकाबला(2024):wheat variety of dehaat

DWS-777 देहात (DEHAAT) की एक रिसर्च गेहूं किस्म है। इस किस्म की मुख्य विशेषता यह है। इसकी बालियाँ लंबी और नाली मोटी होती है। जिससे यह गिरने के प्रति सहनशील है। यह एक माध्यम ऊंचाई वाले गेहूं किस्म है। इसकी ऊंचाई लगभग 90 से 100 सेंटीमीटर तक रहती है। पीला रतुआ और बड़ा रतुआ रोगों के प्रति यह किस्म सहनशील है। इसके दाने भूरे और सुनहरे होते हैं। इस किस्म में फुटाव अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक होता है। इस गेहूं किस्म को पिछले वर्षों से काफी पसंद कर रहे हैं।

ऐसी गेहूँ किस्म जिसका आपको 55kg से 60kg बीज प्रति एकड़ डालना जरूरी है:Pusa veshash wheat variety

गेहूं की यह किस्म पूसा विशेष के नाम से जानी जाती है। पूसा विशेष इसका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह किसानों के लिए विशेष किस्म साबित हुई है। यह किसानों को लेट बजाई में सबसे अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। यह किस्म पूसा यूनिवर्सिटी दिल्ली द्वारा विकसित की गई विकसित की गई। इस किस्म की लंबाई माध्यम रहती है। यह किस्म 90 सेंटीमीटर तक लंबी हो जाती है।