उड़द की खेती:- किसान साथियों नमस्कार, उड़द भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है और यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक होती है। यदि किसान सही तरीके से खेती करें तो इससे अच्छी पैदावार और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में उड़द की खेती की पूरी जानकारी दी गई है, जिससे किसान भाई अपनी उपज को बढ़ा सकें।
1. उड़द की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
जलवायु:
- उड़द की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी होती है।
- 25-35°C तापमान और 600-800 मिमी वार्षिक वर्षा उपयुक्त मानी जाती है।
मिट्टी:
- दोमट और काली मिट्टी उड़द की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है।
- अच्छी जल निकासी वाली भूमि में ही इसकी बुवाई करें।
- मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
2. खेत की तैयारी कैसे करें
- खेत को 2-3 बार अच्छी तरह जोतकर भुरभुरा बना लें।
- पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें और बाद में देशी हल या रोटावेटर का उपयोग करें।
- खेत में जैविक खाद जैसे गोबर की खाद डालें ताकि मिट्टी उपजाऊ बनी रहे।
- खेत को समतल करें ताकि पानी का ठहराव न हो।
3. बीज का चुनाव और बुवाई का सही तरीका
उन्नत किस्में:
- खरीफ के लिए: टी-9, पंत उड़द-19, पूसा-9072
- रबी के लिए: नरेंद्र उड़द-1, विजय, शेखर-2
बीज की मात्रा और उपचार:
- प्रति हेक्टेयर 8-10 किग्रा प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
- बीज को राइजोबियम और पीएसबी कल्चर से उपचारित करें जिससे जड़ों को आवश्यक पोषक तत्व मिलें।
बुवाई का सही समय:
- खरीफ: जून से जुलाई के बीच।
- रबी: अक्टूबर से नवंबर के बीच।
बीज बोने की दूरी:
- कतारों के बीच 30-40 सेमी और पौधों के बीच 10-15 सेमी की दूरी रखें।
- बीज को 4-6 सेमी गहराई में बोना चाहिए।
4. खाद और उर्वरक प्रबंधन
- नत्रजन (N): 20-25 किग्रा/हेक्टेयर
- फास्फोरस (P): 40-50 किग्रा/हेक्टेयर
- पोटाश (K): 20 किग्रा/हेक्टेयर
- 5-10 टन गोबर की खाद या जैविक खाद डालें।
- उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के अनुसार करें।
5. सिंचाई प्रबंधन
- यदि वर्षा अच्छी हो तो सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती।
- सूखे की स्थिति में 1-2 सिंचाइयां करें।
- फूल आने और फलियां बनने के समय नमी आवश्यक होती है।
- खेत में जलभराव न होने दें, अन्यथा फसल खराब हो सकती है।
6. खरपतवार नियंत्रण के उपाय
खरपतवार उड़द की पैदावार को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए समय पर नियंत्रण जरूरी है।
- बुवाई के 20-25 दिन बाद फ्लूक्लोरालिन (1.0 किग्रा/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
- हाथ से निराई-गुड़ाई करके भी खरपतवार हटाएं।
7. रोग और कीट नियंत्रण के तरीके
मुख्य रोग और उनके समाधान
- पीला मोजेक वायरस: संक्रमित पौधों को उखाड़कर दूर फेंकें।
- जड़ सड़न रोग: बुवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।
- छोटा उकठा रोग: खेत में जलभराव न होने दें।
मुख्य कीट और उनके उपाय
- चने की इल्ली: नीम तेल या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।
- सफेद मक्खी: इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
नोट: यह जानकारी केवल मार्गदर्शन के लिए है। कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर खेती करें।
उड़द की खेती किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है, बशर्ते सही तकनीकों का पालन किया जाए। उचित बुवाई समय, उन्नत बीज, संतुलित उर्वरक प्रबंधन और रोग-कीट नियंत्रण से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी। आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी। कृपा कमेंट के मद्धम से जरूर बताएं और इसे अन्य किसानों तक अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!
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