मूंग की खेती: खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके और बेहतर पैदावार के लिए जरूरी टिप्स

By Kheti jankari

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मूंग की खेती

मूंग की खेती:- किसान साथियों नमस्कार, मूंग एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। इसके दानों में 23-24% प्रोटीन के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। मूंग का उपयोग दाल बनाने के अलावा नमकीन, पापड़ और मिठाइयों में भी होता है। इसे हर मौसम में उगाया जा सकता है, लेकिन आजकल किसान गर्मियों में मूंग की खेती ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

मूंग की फसल को कीट, रोग और खरपतवारों से काफी नुकसान होता है, जिसमें खरपतवार सबसे ज्यादा हानि पहुंचाते हैं। खरपतवार फसल के साथ पानी, पोषक तत्व, जगह और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे मूंग की वृद्धि और उपज कम हो जाती है। ये खरपतवार कीटों और रोगों को भी आश्रय देते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित होता है। इसके अलावा, खरपतवार के बीज फसल के बीजों में मिलकर उनकी गुणवत्ता और बाजार मूल्य को कम कर देते हैं।

मूंग में खरपतवारों का सबसे ज्यादा नुकसान बुवाई के 30-35 दिनों तक होता है। अगर इस समय खरपतवारों को नहीं हटाया गया, तो उपज में 40-60% तक की कमी आ सकती है। इसलिए, इस दौरान फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना जरूरी है। खरपतवार नियंत्रण के लिए कई आसान और प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं।

खरपतवारों के प्रकार:

मूंग में दो तरह के खरपतवार उगते हैं:

  1. पतली पत्तियों वाले खरपतवार: जैसे- संवा, मार्वल घास, क्रेब ग्रास, मोथा आदि।
  2. चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार: जैसे- रेशमकांटा, दूधी, हिरनखुरी, ग्राउंड चेरी आदि।

    मूंग में खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके

    1. कृषि तकनीक द्वारा

    ✅ शुद्ध बीज का इस्तेमाल: बुवाई के लिए साफ बीज का प्रयोग करें, जिसमें खरपतवार के बीज न हों।
    ✅ फसल की सही संख्या: ज्यादा पौधे लगाने से खरपतवार को बढ़ने का मौका नहीं मिलता।
    ✅ स्टेल सीड बेड तकनीक: खेत तैयार करके पहले सिंचाई करें और 7-10 दिन बाद हल्की जुताई करके खरपतवार नष्ट कर दें।
    ✅ बुवाई का समय बदलें: खरपतवार के उगने के समय से अलग समय पर बुवाई करें।
    ✅ फसल चक्र अपनाएँ: एक ही खेत में बार-बार मूंग न उगाएँ, बल्कि अलग-अलग फसलें बोएँ।
    ✅ अंतर फसल (इंटरक्रॉपिंग): मूंग के साथ कोई दूसरी फसल (जैसे मक्का या उड़द) लगाएँ, ताकि खरपतवार को जगह न मिले।
    ✅ मल्चिंग (मिट्टी ढकना): फसल के बीच में पुआल या सूखी घास बिछा दें, इससे खरपतवार नहीं उगते।

    2. हाथ से नियंत्रण

    🔹 हाथ से निराई-गुड़ाई: बुवाई के 15-45 दिन बाद खुरपी से खरपतवार निकालें।
    🔹 हस्त चलित हो (वीडर) का उपयोग: कतारों के बीच खरपतवार काटने के लिए वीडर चलाएँ।
    🔹 खुदाई करें: जड़ वाले खरपतवार (जैसे मोथा, दूब घास) को जड़ से खोदकर निकालें।

    3. हर्बिसाइड्स का प्रयोग

    कुछ प्रमुख खरपतवारनाशी दवाइयां:

    • पेंडीमेथालिन (बुवाई के 0-3 दिन बाद)
    • इमाजेथापायर (खरपतवार उगने के बाद)
    • क्विज़ालोफ़ॉप (संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए)

    ⚠️ सावधानी: रसायनों का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।

    मूंग की अच्छी पैदावार के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। सही समय पर सही तरीके अपनाकर खरपतवारों को नियंत्रित किया जाए तो मूंग की उपज को 40-60% तक बढ़ाया जा सकता है। इससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होगा और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर रहेगी।

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    Kheti jankari

    मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

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