सरसों

राशि सीड्स की नई हाईब्रिड सरसों किस्म RMX–9922 की खूबियां जानें:New Hybrid Mustard Variety RMX–9922

RMX–9922 सरसों की यह किस्म राशि सीड्स की एक हाइब्रिड किस्म है। जिसको आप किसी भी प्रकार की मिट्टी में लगा सकते हैं। यह किस्म पाले के प्रति सहनशील है. इस किस्म में किसी प्रकार का कोई रोग नहीं लगता। इसकी फलियां मोटी और लंबी होती हैं। जिससे इसमें झड़ने की समस्या नहीं होती।

एडवांटा सीड्स की हाइब्रिड सरसों की ADV–427 की विशेषताएं जानें:Hybrid Mustard ADV–427

ADV-427 एडवांटा सीड्स की एक हाइब्रिड काली सरसों की किस्म है। इस किस्म ने किसानों को पिछले वर्ष काफी अच्छी पैदावार निकालकर दी है। इस किस्म की फलियां मजबूत होती हैं, जो पकने पर झड़ती नहीं है।

HAU हिसार द्वारा दी गयी सरसों किस्म RH-725 और RH-1424 की विशेषताएं जानें:कम पानी में अच्छी पैदावार देने वाली सरसों किस्म

हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार किसानों के लिए सरसों व गेहूं के बीजों की अनेक इसमें तैयार करती है। यह यूनिवर्सिटी रिसर्च बीजों का उत्पादन करती है। और उन्हें किसानों को उपलब्ध कराने में मदद करती है।

श्रीराम सीड्स लिमिटेड की नई सरसों किस्म श्रीराम-1668 की खूबियां जाने:New mustard variety

श्रीराम-1668 डीसीएम श्रीराम लिमिटेड सीड्स की काली सरसों की हाइब्रिड किस्म है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 5.5 फीट के आसपास रहती है।

सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण करने का सबसे सस्ता तरीका:Control weeds in mustard

सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण दो प्रकार से किया जाता है। एक निराई- गुड़ाई द्वारा और दूसरा खरपतवार नासक दवाइयों के द्वारा। खरपतवार नासक दवाइयों के द्वारा खरपतवारों को दो तरीके से नियत्रित किया जाता है। उगने से पहले और दूसरा खरपतवारों को उगाने के बाद।

कावेरी सीड्स की काली सरसों किस्म KBH-5207 की खासियत जानें:Kaveri Seeds Top Mustard Variety

सरसों और गेहूं रबी के सीजन में बुवाई की जाने वाली मुख्य फसलें हैं। जिनकी बजाई भारत में सबसे अधिक की जाती है। आजकल किसान भाई गेहूं को छोड़कर सरसों की बिजाई अधिक मात्रा में कर रहे हैं।

सरसों की बिजाई करते समय ये 5 काम किया तो मिलेगी बंपर पैदावार:सरसों की फसल से ऐसे लें अधिक पैदावार।

सरसों से अधिक पैदावार लेने के लिए हमें उन्नत बीजों का चुनाव करना जरूरी है। जैसे पूरे समय में पकने वाली सरसों किस्म में स्टार 10–15, पायोनियर 45s46 जैसी किस्म का चयन कर सकते हैं।

पायनियर सीड्स की 45s47 सरसों किस्म:top mustard variety

पायोनियर 45s47 पायनियर सीट्स इंडिया की काली सरसों की किस्म है। यह किस्म 45s46 किस्म के मुकाबले कम समय में पकती है। इस किस्म का पकाने का समय 115 से 125 दिन है।

नंदी सरसों इन रीसर्च किस्मों के बारे मे सम्पूर्ण जानें:बायोस्टाड इंडिया लिमिटेड की सरसों किस्में

सरसों भारत की एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है जो मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती हैमें अपनी उगाई जाती है।

श्रीराम 1666 सरसों की हाइब्रिड किस्म की विशेषताएं और मूल्य|Shriram 1666 Hybrid Mustard Variety

श्रीराम 1666 डीसीएम श्रीराम लिमिटेड सीड्स की काली सरसों की हाइब्रिड किस्म है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 5 फीट के आसपास रहती है।

कम समय में पकने वाली काली सरसों की हाइबर्ड किस्में:Hybrid varieties of black mustard

सरसों की काफी सारी हाइब्रिड किस में आती हैं। कुछ किस्में पकने में लगभग 140 से 150 दिन का समय लेती हैं, तथा कुछ किस में 110 से 120 दिन में पक जाती हैं। किसान अपनी अगली फसल के हिसाब से सरसों की किस्म को चयन करते हैं। कुछ किसानों को कम समय की किस्म पसंद है और कुछ किसान पूरे समय वाली किस्म लगते हैं। कम समय वाली किस्म अधिक समय वाली किस्म से थोड़ी कम पैदावार देते हैं।

पीली सरसों की टॉप उन्नत किस्में जो किसानों की पहली पसंद है|Top Varieties of Yellow Mustard

सरसों की किस्मों की बात करें तो बाजार में सरसों की काफी सारी किस्में देखने को मिलती है। पीली सरसों 6 से 9 किवंटल तक पैदावार आसानी से दे देती है। पीली सरसों की बुआई सितम्बर और अक्टूबर में कर सकते है। पीली सरसों की बुआई अगर आप लाइन में करते हो तो 1.5kg बीज और अगर सीधे हाथ से बजाई करते हो तो 2kg बीज प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिए।

काली सरसों की टॉप 5 किस्में जो सबसे अधिक पैदावार देती है|Top 5 Mustard Varieties

सरसों की खेती वैसे तो पुरे भारत में की जाती है। लेकिन हरियाणा, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और पश्चिमी बंगाल में सबसे ज़्यदा सरसों की खेती होती है। ये राज्य पुरे देश का 85% सरसों का उत्पादन करते है। भारत में सरसो की मांग प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

फसल में लकड़ी की राख का प्रयोग करें या नहीं:uses of wood ash

फसल में लकड़ी की राख का उपयोग करें या ना करें। या फिर लकड़ी की राख का इस्तेमाल हम फसल में किस प्रकार कर सकते हैं, और किन-किन फसलों में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं

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पौधे में कौन कौन से हार्मोन पाए जाते हैं|Hormones role in plants

पौधे की हार्मोंस को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है। उनके काम के अनुसार एक जो बड़वार को बढ़ाते हैं। और दूसरे जो रोकते हैं। ऑक्सिन हार्मोंन, जिबरेलिन हार्मोन ,साइटोकिनिन हार्मोन यह तीनों हार्मोन बढ़ाने वाले हार्मोन होते हैं। और और इनको पॉजिटिव हारमोंस भी कहा जाता है। यह पौधे में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। जैसे नए पत्ते, जड़े, फूलों और फलो सभी का विकास करते हैं। और इथाईलीन हार्मोन और एब्ससिसिक एसिड पौधे को मृत्यु की तरफ ले जाते हैं। और बीज के रूप में एक नई पीढ़ी के उदय में इनका मुख्या योगदान रहता है जैसे फलों के पकने में और पतों के झड़ने में इसलिए इनको नेगेटिव हारमोंस भी कहा जाता है।