सरसों भारत में उगाई जाने वाली मुख्य तेलहनी फसल है। इसकी खेती रबी के सीजन में की जाती है। सरसों की दो प्रकार की किस्में आती है। सरसों की पीली किस्म और काली सरसों की किस्म। दोनों किस्म का अपना अलग-अलग महत्व होता है। दोनों की पैदावार भी अलग-अलग होती है, और दोनों का बाजार में मूल्य भी आपको अलग देखने को मिलता है। इसका मुख्य कारण है, सरसों की पीली किस्म में तेल की मात्रा अधिक होती है। और काली किस्म में तेल की मात्रा पीली किस्म के मुकाबले कम होती है। इसलिए सरसों की पीली किस्म का मूल्य आपको बाजार में अधिक देखने को मिलता है। अब हर किसान चाहता है, कि उसके खेत से अच्छी फसल निकले। इसलिए वह अच्छी प्रकार से सरसों की बिजाई करते हैं। उसमें सभी प्रकार के खाद और न्यूट्रिएंट्स डालते हैं, बिजाई के समय जिससे सरसों अच्छा फुटाव करें। लेकिन खरपतवारों के कारण सरसों की फसल अच्छे से ग्रोथ नहीं करती।
श्रीराम 1666 सरसों की हाइब्रिड किस्म की विशेषताएं
सरसों में खरपतवार नियंत्रण
खेती में खरपतवार किसानों के लिए मुख्य समस्या रहता है। अगर खेत में अधिक मात्रा में खरपतवार उग जाते हैं। तो आप की पैदावार अच्छी नहीं हो सकती।क्योंकि जो खाद आप खेत में डालते हैं, वह खरपतवार भी उसका प्रयोग करते हैं। जिससे फसल में अच्छा फुटाव नहीं हो पता। इसलिए खेती में खरपतवारों का नियंत्रण करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। सरसों की फसल में भी विभिन्न प्रकार के खरपतवार देखने को मिल जाते हैं। जैसे- मंडूसी (गुल्ली डंडा), पालक, बथुआ आदि खरपतवार। अगर इन खरपतवारों को समय पर नष्ट नहीं किया गया तो यह आपकी सरसों की फसल की पैदावार को घटा देते हैं। इसलिए इनका समय पर रोकथाम करना जरूरी है।
सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें
सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण दो प्रकार से किया जाता है। एक निराई- गुड़ाई द्वारा और दूसरा खरपतवार नासक दवाइयों के द्वारा। खरपतवार नासक दवाइयों के द्वारा खरपतवारों को दो तरीके से नियत्रित किया जाता है। उगने से पहले और दूसरा खरपतवारों को उगाने के बाद। इनमें सबसे सही तरीका खरपतवारों को उगने से पहले कंट्रोल करना है। क्योंकि सरसों में खरपतवार अधिक मात्रा में उग जाते हैं। तो उनक नष्ट करना कठिन होता है। उगने के बाद खरपतवारों को नष्ट करने वाली दवाईयां भी कहीं ना कहीं आपकी फसल को भी नुकसान पहुंचती हैं।
सरसों में निराई- गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण
सरसों में खरपतवारों को खत्म करने का सही तरीका निराई- गुड़ाई द्वारा होता है। इससे आपकी सरसों की फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। और खरपतवार भी पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे। लेबर की प्रॉब्लम होने के कारण ये तरीका थोड़ा महंगा पड़ता है। इसलिए किसान दवाइयों का प्रयोग करके ही खरपतवारों को नष्ट उचित समझते है।
सरसों में उगने से पहले खरपतवार नियंत्रण
सरसों की फसल में उगने से पहले खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आपको सरसों में 24 से 48 घंटे के अंदर खरपतवार को उगने से रोकने वाली दवाई का छिड़काव करना जरूरी होता है। क्योंकि अगर आप दवाई का स्प्रे लेट करते हो तब तक खरपतवार जम जाते हैं। और आपको अच्छे परिणाम देखने को नहीं मिलते। दूसरा सरसों में खरपतवारों को उगने से रोकने के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। जिससे दवाई के छिड़काव का 100% लाभ मिल सके। सरसों में खरपतवारों को अपने ही रोकने के लिए 2 लीटर पेंडिमेथालिन 30% को 200 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे कर दें। यह स्प्रे करने से आपके खेत में 70 से 80% तक खरपतवारों का जमाव नहीं होगा।
सरसों में उगाने के बाद खरपतवारों का नियंत्रण
सरसों की फसल में खरपतवारों को उगाने के बाद भी आसानी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए आप दो दवाइयां का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह दवाइयां है– टॉपिक (सिंजेन्टा) की 200 से 220 ग्राम डोज प्रति एकड़ छिड़काव करें। दूसरा एक्सियल (सिंजेन्टा) की 400ml मात्रा प्रति एकड़ छिड़काव करें। ध्यान रहे स्प्रे करते समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
इन ऊपर दिए गए तरीकों से आप सरसों की फसल में आसानी से खरपतवार नियंत्रण कर सकते हैं। और अपनी फसल से एक अच्छी पैदावार ले सकते हैं। अगर आपके कोई सवाल हो तो आप कमेंट के माध्यम से जरूर पूछे। आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा तो कृपया आगे शेयर करें। धन्यवाद!
FAQ
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