पूसा बासमती 1847 धान किस्म:- किसान साठी नमस्कार, पूसा यूनिवर्सिटी दिल्ली एक सरकारी संस्थान है। जो धान व अन्य फसलों के नए-नए बीजों का निर्माण करती है। जिससे किसान की आमदनी बढ़ाई जा सके और अच्छी क्वालिटी के बीच किसानों को मिल सके। ऐसे ही पूछा संस्थान ने 2022 में बासमती की एक नई धान किस्म विकसित की थी। जो PB-1847 के नाम से जानी जाती है। PB-1847 बासमती धान किस्म को PB-1509 का अपडेट वर्जन भी बताया जाता है। PB-1509 में जो कमियां है उनको निकाल कर PB-1847 को बनाया गया है। PB-1509 के बाद एक और नई किस्म PB-1692 भी बनाई गई थी। जो इतनी कामयाब नहीं रही। लेकिन PB-1847 किस्म किसानों द्वारा काफी ज़्यदा पसंद की जा रही है।
बासमती धान के अच्छी जमीन और अच्छी पानी की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि इसका मूल्य आपका क्वालिटी पर भी निर्भर करता है। बासमती एक प्रीमियम धान किस्म है। जो मुख्य रूप से विदेश में भेजी जाती है, और इसके बदले भारत अन्य चीज विदेश से खरीदता है। इस लेख में आपको पूसा बासमती-1847 के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी। कृपया लेख पूरा पढ़ें।
VNR 2318 धान किस्म की विशेषताएं
पूसा बासमती 1847 धान किस्म की विशेषताएं
पूसा बासमती 1847 धान किस्म वर्ष 2022 में पूसा यूनिवर्सिटी दिल्ली द्वारा बनाई गई थी। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है। PB-1509 और PB-1692 जैसी किस्में जहां जल्दी गिर जाती थी। वही यह किस्म गिरती नहीं है। जिससे यह किसानों को अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। इस किस्म में झुलसा रोग और नेक ब्लास्ट जैसी समस्याएं भी देखने को नहीं मिलती। इस किस्म में हरापन भी PB-1509 के मुकाबले अधिक रहता है। इस किस्म की लंबाई की बात करें। तो इसके पौधे की लंबाई 95 से 100 सेंटीमीटर के लगभग होती है।
पूसा बासमती 1847 धान किस्म का पकने का समय
पूसा बासमती 1847 धान किस्म 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पकने का समय कहीं ना कहीं आपके लगाने के समय और तरीके पर भी निर्भर करता है।
पूसा बासमती 1847 धान किस्म की औसत पैदावार
धान की इस किस्म की औसत पैदावार 25 से 28 क्वांटल प्रति एकड़ तक रहती है। लेकिन कुछ किसान साथी इससे 30 से 32 क्वांटल प्रति एकड़ तक पैदावार भी ले रहे हैं।
पूसा बासमती 1847 धान किस्म का बजाई समय
पूसा बासमती 1847 धान किस्म की बिजाई आलू वाले किसान अधिक मात्रा में करते हैं। क्योंकि यह कम समय में पककर तैयार हो जाती है। लेकिन जो किसान भाई आलू नहीं लगते। अगर वह भी इस किस्म की बिजाई करना चाहते हैं। तो वह इसको जुलाई के आखरी सप्ताह या फिर अगस्त के पहले सप्ताह तक इसकी बिजाई कर सकते हैं। यह इसकी बिजाई का सबसे सही समय है। अगर आप इसको जल्दी लगते हैं। तब भी इतनी अच्छी पैदावार नहीं देती। इसलिए इसको समय पर लगाएं।
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