गन्ने की पत्तियों से मिटटी स्वास्थ्य और खरपतवार नियंत्रण कैसे करें: विशेषज्ञ की सलाह

By Kheti jankari

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गन्ने की पत्तियों से मिटटी स्वास्थ्य

किसान साथियों नमस्कार, इन दिनों गन्ने की फसल की कटाई का काम पूरा हो चुका है। ऐसे में खेतों में गन्ने की बची हुई पत्तियों का सही तरीके से निपटान करना बेहद जरूरी है। अक्सर किसान इन पत्तियों को जला देते हैं, जिससे मिट्टी के लाभकारी जीवाणु और मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। लेकिन अगर इन पत्तियों को खेत में ही प्राकृतिक तरीके से सड़ाकर किया जाए, तो यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।

गन्ने की पत्तियों का निपटान क्यों जरूरी है?

गन्ने की पत्तियों को खेत में जलाने से मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्मजीव और कीट नष्ट हो जाते हैं, जिसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है। वहीं, अगर इन पत्तियों को खेत में ही सड़ाकर खाद में बदल दिया जाए, तो मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ती है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है। इसके अलावा, पत्तियों की मल्चिंग करने से खरपतवार भी कम उगते हैं, जिससे फसल को अधिक पोषण मिलता है।

गन्ने की पत्तियों को खाद में कैसे बदलें?

गन्ने की पत्तियों को खाद में बदलने के लिए नीचे बताई गयी विधियां अपनाई जा सकती है:-

  1. पत्तियों को लाइनों में इकट्ठा करें: गन्ने की कटाई के बाद बची हुई पत्तियों को खेत की लाइनों में समेट लें।
  2. पानी चलाकर पत्तियों को डुबोएं: पत्तियों पर हल्का पानी चलाएं, ताकि वे अच्छी तरह गीली हो जाएं और डीकंपोजिशन प्रक्रिया तेज हो सके।
  3. ऑर्गेनो डी-कंपोजर का प्रयोग करें: प्रति एकड़ 4 किलोग्राम ऑर्गेनो डी-कंपोजर को 2 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खा में मिलाकर पत्तियों पर छिड़क दें।
  4. 30-35 दिनों में बनेगी खाद: इस प्रक्रिया के बाद पत्तियां लगभग एक महीने में सड़कर उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद में बदल जाएंगी।

इस विधि से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि गन्ने के पौधों में बेहतर फुटाव भी होगा और नए कल्ले मजबूत बनेंगे।

खरपतवार नियंत्रण के लिए पत्तियों का उपयोग

गन्ने की पत्तियों को खेत में ही निपटान करके खरपतवार नियंत्रण भी किया जा सकता है। इसके लिए:-

  • गन्ने की कटाई के बाद बची पत्तियों को दो लाइनों के बीच इकट्ठा कर लें।
  • इन्हें मिट्टी के ऊपर फैला दें, ताकि यह एक प्राकृतिक ढकाव का काम करे।
  • इससे खरपतवार नहीं उग पाएंगे और पत्तियां धीरे-धीरे सड़कर खाद बन जाएंगी।

गन्ने की पत्तियों को जलाने के बजाय उन्हें खेत में ही डीकंपोज करना एक स्थायी और लाभकारी तकनीक है। इससे न केवल मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है, बल्कि रासायनिक खादों पर निर्भरता भी कम होती है। किसानों को इस विधि को अपनाकर जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे फसल उत्पादन बढ़ेगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

इस तरह, गन्ने की पत्तियों का सही प्रबंधन करके किसान कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं और मिट्टी को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी। कृपा कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और इसे अन्य किसानों तक अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!

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Kheti jankari

मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

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