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डिकाल्ब-9208 मक्का किस्म की विशेषताएं:Best hybrid variety of maize

मक्का की विभिन्न तरह की किस्में बाजार में आती है। जो किसानों को काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही है। मक्का की फसल आम तौर पर 3 से 4 महीने में पककर तैयार हो जाती है। मक्का की एक किस्म डिकाल्ब-9208 के नाम से जानी जाती है। यह किस्म हरियाणा के किसानों द्वारा काफी ज्यादा पसंद की जा रही है। पिछले दो-तीन सालों में किसानों को इस किस्म ने काफी अच्छी पैदावार निकाल कर दी है।

पायनियर सीड्स की सबसे अच्छी हाइब्रिड मक्का किस्म:top variety of maize

पायनियर सीड्स किसानों के लिए अनेक तरह के बीजों का निर्माण करती है। यह मक्का, धान, सरसों या अन्य सभी प्रकार की फसलों के बीज बनती है। पायनियर सीड्स मक्का के कई तरह के बीजों का निर्माण करती है। इसका एक हाइब्रिड बीज बहुत ज्यादा प्रचलित है। यह किसानों को काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देता है। यह किस्म पी-1899 के नाम से किसानों के बीच प्रसिद्ध है।

मैरिनो की मुख्या विशेषताएं:Method to increase yield in wheat

गेहूं की गोभ अवस्था ऐसी अवस्था होती है, जब उसमें बालियाँ बननी शुरू हो जाती हैं। पौधे को इस समय सभी प्रकार के तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। फास्फोरस से लेकर जिंक और बोरोन तक सभी तत्व इस समय पौधे को चाहिए। ठंड अधिक होने की वजह से पौधा जमीन से पोषक तत्वों को नहीं उठा पाता। तो आपको इन पोषक तत्वों को स्प्रे के द्वारा देना पड़ता है। इसके लिए अराइज एग्रो लिमिटेड का एक उत्पाद जो मैरिनो के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें आपको लगभग 12 तरह के पोषक तत्व मिल जाते हैं।

मक्का की वैज्ञानिक खेती:अधिक पैदावार के लिए कब बुवाई करें, क्या खाद डालें, संपूर्ण जाने:Suitable time for sowing maize

मक्का एक अनाज वर्गीय फसल है। जिसकी बिजाई लगभग पूरे भारत में की जाती है। मक्के का प्रयोग पशुओं के चारे से लेकर मनुष्य के खाने तक सभी प्रकार से किया जाता है। हरे मक्के को चारे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। मक्के के अनाज को पशुओं के आहार और मनुष्य के आहार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

SVM-88 मूंग किस्म की विशेषताएं:Features of SVM-88 Moong variety

शक्ति वर्धक सीड्स कंपनी मूंग की अलग-अलग तरह की किस्म किसानों के लिए तैयार करती है। ऐसी ही इसकी एक मूंग की जो SVM-88 के नाम से जानी जाती है। यह मूंग किस्म गर्मी के मौसम में बिजाई के लिए सबसे उपयुक्त है, और सबसे अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। मूंग की यह किस्म रोगों के प्रति सहनशील है।

2024 में पॉपुलर की खेती कितनी फायदेमंद:पॉपुलर की खेती करें या ना करें:What things should be kept in mind while planting poplar

पॉपुलर एक ऐसी फसल फसल है। अगर आपको इसका रेट सही मिल जाता है, तो यह आपको काफी अच्छी मुनाफा कमा कर देती है। पॉपुलर की खेती से मुनाफा आपका रेट पर निर्भर करता है, और आप कितने समय में पॉपुलर को तैयार करते हैं। अगर आप पॉपुलर की फसल को 3 से 4 साल में तैयार करते हैं, और आपको इसके लिए अच्छे मिल जाते हैं।

एसएमएल-668 मूंग किस्म की विशेषताएं:Features of SML-668 Moong variety

मूंग की बिजाई गर्मी और बरसात के मौसम में आमतौर पर की जाती है। मार्च से लेकर जुलाई तक आप इसकी बिजाई कर सकते हैं। मूंग एक ऐसी फसल है, जो अत्यधिक सुख और अत्यधिक पानी को भी सहन कर सकती है। मूंग की खेती के लिए जल निकास युक्त मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। यदि आप मूंग की खेती करना चाहते हैं, तो आपको ऐसी खेत का चुनाव करना चाहिए। जिसमें पानी खड़ा ना हो। मूंग की अलग-अलग प्रकार की किस्म आपको बाजार में देखने को मिलती हैं। मैं आपको मूंग की एक ऐसी किस्म के बारे में बताऊंगा। जिसकी बाजार में बहुत ज्यादा डिमांड है। यह इसको किसान काफी ज्यादा पसंद करते हैं। यह किस्म एसएमएल-668 के नाम से जानी जाती है।

गेहूं में पोटाश का महत्व:Importance of potash in wheat

गेहूं की फसल इस समय लगभग 70 से 80 दिनों की हो गई है। ठंड बढ़ाने के कारण पौधे जमीन से पोषक तत्वों को कम मात्रा में उठा रहे हैं। जिससे हमें फसलों में पोषक तत्वों की कमी देखने को मिल रही है। इस समय अगर आप अपने गेहूं की फसल में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना चाहते हैं। तो आपको स्प्रे द्वारा ही सीधा ही छिड़काव करना चाहिए। क्योंकि पौधे जमीन से सूर्य के प्रकाश बिना तत्वों को बहुत कम मात्रा में उठते हैं।

आईपीएम 410-3 (शिखा) मूंग किस्म की विशेषताएं:Best variety of Moong

मूंग की खेती लगभग पूरे भारत में की जाती है। लेकिन मूंग की खेती के लिए काली मिट्टी, दोमट मिट्टी और हलकी मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। इसलिए मूंग की बिजाई मध्य भारत में सबसे अधिक की जाती है। मूंग की बिजाई जायद और खरीफ के मौसम में कर सकते हैं।मूंग एक दाल वर्गीय फसल है। जिसको आप कम समय में तैयार कर सकते हैं। यह आपको अच्छा मुनाफा कमा कर दे सकती है। आज मैं आपको मूंग की एक ऐसी किस्म के बारे में बताऊंगा। जो भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर द्वारा बनाई गई है। यह किस्म शिखा के नाम से प्रसिद्ध है। यह आईपीएम 410-3 के नाम से भी जानी जाती है।

पॉपुलर की टॉप किस्में:Top Varieties of Popular

पॉपुलर की खेती इस समय किसानों की पहली पसंद बनी हुई है। क्योंकि पॉपुलर की लकड़ी की रेट काफी अच्छे चल रहे हैं। पॉपुलर एक ऐसी फसल है, जो 3 से 4 साल में तैयार हो जाती है। इससे किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पॉपुलर की अलग-अलग क किस्में आती हैं। पॉपुलर की खेती के लिए रेताली या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। आज मैं आपको पॉपुलर की टॉप किस्म के बारे में बताऊंगा और उनकी आप पहचान कैसे कर सकते हैं।

एसआरपीएम-26 (विजेता) मूंग किस्म की विशेषताएं:Moong variety of Shriram Seeds

मूंग की फसल जायद यानी गर्मी और खरीफ दोनों सीजन में इसकी बिजाई की जाती है। मूंग की बहुत सारी किस्में ऐसी आती है, जिनकी बजाई आप दोनों मौसमों में कर सकते हैं। और दोनों मौसमों में ये किस्में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। ऐसे ही श्रीराम सीड्स की एक मूंग की किस्म आती है। जिसकी बजाई आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं। यह किस्म एसआरपीएम-26 के नाम से जानी जाती है। बाजार में यह विजेता नाम से प्रसिद्ध है।

पॉपुलर लगाने वाले किसान जरूर पढ़ें:कम समय में पॉपुलर तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण बातें:Things to keep in mind while planting poplar

इस समय पॉपलुर लकड़ी के रेट काफी अधिक चल रहे हैं। किसान भाई लकड़ी लगाकर खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ किसान भाई तो लगातार पॉपुलर के पेड़ लगाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, और पॉपुलर को फसल की तरह तैयार हैं. पॉपुलर को लकड़ी न बोलकर अगर उसकी फसल बोलूं तो, यह फसल 3 से 4 साल में तैयार हो जाती है। यह अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय होता है। किसान साथियों अगर आप पॉपुलर की खेती करना चाहते हैं।

बंसी गोल्ड मूंग किस्म की विशेषताएं:Features of Bansi Gold Moong variety

मूंग एक दलहनी फसल है। जिसकी बजाई लगभग पूरे भारत में की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश के अनुसार मूंग की बिजाई आप मार्च से लेकर जुलाई तक कर सकते हैं। लेकिन मुंग की अलग-अलग किस्में अलग-अलग सीजन के लिए बनाई जाती है। ऐसी ही एक किस्म जो किसानों को सबसे अधिक पैदावार निकाल कर देती है। यह बंसी गोल्ड के नाम से प्रसिद्ध है।

लहसुन में कंद फटने की मुख्य कारण:Main reasons for bursting of bulbs in garlic

लहसुन में कंद फटने के कई कारण होते हैं। अधिक खाद और अधिक पानी की वजह से लहसुन में कंद फटने और तना फटने की समस्या देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग से भी लहसुन में कंद फटने की समस्या आती है। जब आपके पौधे में न्यूट्रिशन वैल्यू ज्यादा हो जाती है। तो उसमें कंद फटने की समस्या रहती है। लहसुन में बोरोन की कमी के कारण भी यह समस्या देखने को मिलती है। 90 से 100 दिन पर लहसुन में कंद बनना शुरू हो जाता है, और उसके बाद ही यह समस्या आमतौर पर देखने को मिलती है।

गेहूं वाले किसान सावधान:ठंड के मौसम में तेजी से फैल रहा है ये रोग:Cold weather diseases in wheat

इस समय गेहूं की फसल में किसानों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि मौसम में लगातार धुंध बनी हुई है, और धूप नहीं निकल रही जिससे गेहूं की फसल पर अनेक प्रभाव देखे जा सकते हैं। गेहूं की अत्यधिक ठंड की वजह से ऊपर की पत्तियों की नोक पीली पड़ रही है, और सुख रही है। यह सब ठंड के कारण है। दूसरा गेहूं की फसल में कीट रोग यानी माहु भी अधिक मात्रा में देखा जा रहा है। ये आपकी फसल का रस चूस कर आपकी फसल को नुक्सान करते है।

एमएच-1142 मुंग किस्म की विशेषताएं:Moong variety characteristics

मूंग की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में की जाती है। लेकिन खरीफ के सीजन में मूंग की फसल से अधिक पैदावार निकलती है। क्योंकि उसे समय मूंग की खेती के लिए मौसम अनुकूल रहता है। मूंग की काफी सारी किस्में बाजार में आपको अलग-अलग नाम से देखने को मिलेंगे। ऐसी ही एक किस्म हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार द्वारा तैयार की गई है। जो एमएच-1142 के नाम से जानी जाती है।

आईपीएम 205-07 (विराट) मूंग किस्म की विशेषताएं:Virat Moong variety characteristics.

मूंग की अनेक प्रकार की किस्में अनेक संस्थाओं द्वारा तैयार की जाती हैं। भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर ने मूंग की एक ऐसी किस्म तैयार की है। जो 50 से 52 दिन में पैक कर तैयार हो जाती है। यह मूंग किस्म विराट के नाम से जानी जाती है। इसका नाम आईपीएम 205-07 है।

गेहूं में कितने दिन तक यूरिया का प्रयोग करें:बाद में करने का कितना नुकसान:Disadvantages of giving wheat late urea

गेहूं में किसान भाई आमतौर पर अपने यूरिया को तीन भागों में बांटकर अपने खेत में डालते हैं। इसमें वह दो से तीन बैग यूरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ क्षेत्रों में तो किसान भाई तीन बैग से अधिक यूरिया भी डाल देते हैं। किसान साथियों यूरिया की अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके आपको कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं।