ज़ायद मक्का की खेती:- किसान साथियो नमस्कार, अप्रैल-मई में मक्का की बुवाई के लिए जायद (ग्रीष्मकालीन) और खरीफ मौसम की शुरुआत को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त किस्मों का चयन करना चाहिए। इस दौरान जल्दी पकने वाली और गर्मी सहन करने वाली किस्में सबसे बेहतर होती हैं। निम्नलिखित कुछ अनुशंसित मक्का की किस्में हैं जो अप्रैल-मई में बुवाई के लिए उपयुक्त हैं:
1. जल्दी पकने वाली किस्में (75-85 दिन)
ये किस्में जायद मौसम और खरीफ की शुरुआत के लिए आदर्श हैं क्योंकि ये कम समय में तैयार हो जाती हैं:
- विवेक-4, विवेक-17, विवेक-42, विवेक-43: ये अति शीघ्र पकने वाली किस्में हैं, जो 75 दिन से कम समय में तैयार होती हैं।
- प्रताप हाइब्रिड मक्का-1: यह भी जल्दी पकने वाली संकर किस्म है, जो गर्मी में अच्छा प्रदर्शन करती है।
- नवीन, नवजोत, कंचन, श्वेता, आजाद: ये किस्में 75-80 दिन में तैयार होती हैं और प्रति एकड़ 35-40 क्विंटल तक उपज दे सकती हैं।
- गंगा-5: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के लिए उपयुक्त, मौसम की मार सहन करने वाली संकर किस्म।
2. मध्यम अवधि की किस्में (80-95 दिन)
ये किस्में अप्रैल-मई में बुवाई के लिए उपयुक्त हैं, खासकर जहां सिंचाई की सुविधा हो:
- पूसा हाइब्रिड-6: गर्मी के मौसम के लिए उपयुक्त, 60-65 दिन में पहली तुड़ाई संभव।
- डीएचएम-117: संकर किस्म, जो 80-85 दिन में तैयार होती है और 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है।
- जवाहर मक्का-8: यह किस्म पूरे भारत में उगाई जा सकती है और 90-95 दिन में 50 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज देती है।
3. बेबीकॉर्न और स्वीटकॉर्न के लिए किस्में
अप्रैल-मई में बेबीकॉर्न और स्वीटकॉर्न की बुवाई भी लाभकारी हो सकती है:
- संकर प्रकाश और कम्पोजिट केसरी: बेबीकॉर्न के लिए उपयुक्त, 60 दिन में तैयार। इनके कच्चे भुट्टे सलाद, सब्जी, अचार आदि के लिए उपयोगी हैं।
- स्वीटकॉर्न किस्में: स्वीटकॉर्न की बुवाई अप्रैल में की जा सकती है, खासकर गर्म और आर्द्र जलवायु में।
बुवाई के लिए महत्वपूर्ण सुझाव:
- समय: अप्रैल के अंत से मई के मध्य तक बुवाई करें। पहाड़ी क्षेत्रों में मई की शुरुआत उपयुक्त है।
- बीज मात्रा: सामान्य मक्का के लिए 8-10 किलो प्रति एकड़, बेबीकॉर्न के लिए 10-12 किलो, स्वीटकॉर्न के लिए 2.5-3 किलो।
- बीज उपचार: बुवाई से पहले बीज को थायरम (2.5 ग्राम/किलो बीज) या कार्बेंडाजिम (2 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें ताकि बीज सड़न और रोगों से बचे।
- दूरी: जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए कतार से कतार 60 सेमी और पौधे से पौधे 20 सेमी; मध्यम/देर से पकने वाली किस्मों के लिए कतार 75 सेमी और पौधे 25 सेमी।
- सिंचाई: गर्मी में नियमित सिंचाई जरूरी है, खासकर मई-जून में सुबह और शाम पानी दें।
- मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त है।
इन किस्मों का चयन अपने क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी, और सिंचाई सुविधा के आधार पर करें। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेना भी लाभकारी होगा।
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