इस लेख में आपको किसानों के अनुभव द्वारा ही जानकारी दी जाएगी। किसानों का मानना है, कि चने की बिजाई अगर ज्यादा नमी में की जाए। तो इसमें जड़ गलन की समस्या देखने को मिलती है। पिछली फसल अवशेषों से भी चने में यह फंगस रोग अधिक फैलता है। इस रोग से बचने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए ये सभी जानकरी आगे इस लेख में जानें।
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चने में जड़ गलन से बचाव के लिए सावधानियां
चने में जड़ गलन से बचाव के लिए हमे नीचे लिखी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- ज्वार या बाजरे वाले खेत में चने की बुवाई ना करें। क्योंकि इसमें फसल अवशेष रह जाते हैं। जिससे यह फंगस तेजी से फैलती है।
- अगर आप ज्वार वाले खेत में बिजाई करते हो। तो पलेवा करने के बाद ही बिजाई करें।
- चने की बिजाई करने से पहले खेत को अच्छी प्रकार से तैयार कर लें। उसमें किसी प्रकार के पुराने फसल अवशेष ना बचें।
- चने की बिजाई करने से पहले 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को गोबर की गली- खड़ी खाद में मिलाकर खेत में भी बिखेर दें।
- चने की बिजाई करने से पहले बीज उपचार फफूंदीनाशक से अवश्य करें।
चने में जड़ गलन का इलाज
चने में जड़ गलन की रोकथाम के लिए आपको कोई अलग से दवाइयां करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए आप सामान्य जो फंगीसाइड आते हैं। आप उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन चने में जड़ कारण की समस्या इतनी आसानी से कंट्रोल नहीं होती। इसकी रोकथाम के लिए आप-
- फोलिकर (बायर) टेबुकोनाज़ोल 25.90% ईसी 250ml प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे कर सकते हैं। या फिर बाविस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% WP) 300 से 400 ग्राम प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं।
- खेत में पानी लगाने से पहले 500 ग्राम थायोफैनेट मिथाइल 70% WP प्रति एकड़ यूरिया या रेत में मिलाकर बिखेर दें।
नोट-खेत में पानी तब ही लगाएं। जब जरूरत हो ज्यादा नमी होने से रोग बढ़ भी सकता है।
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