टमाटर की अर्का अभेद किस्म: अधिक उपज, कम जोखिम, Arka Abhed variety of tomato

By Kheti jankari

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Arka Abhed variety of tomato

अर्का अभेद टमाटर किस्म:- किसान साथियों नमस्कार, क्या आप टमाटर की ऐसी किस्म की तलाश में हैं जो न सिर्फ बंपर पैदावार दे, बल्कि रोगों से भी मुकाबला कर सके? अगर हाँ, तो टमाटर की अर्का अभेद किस्म आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। यह संकर किस्म अपनी उच्च उपज, बेहतरीन गुणवत्ता और बहु-रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। जिसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बेंगलुरु ने विकसित किया है। चाहे आप छोटे किसान हों या बड़े, इस किस्म की खेती से आपकी मेहनत और मुनाफा दोनों कई गुना बढ़ सकता है। आइए, जानते हैं कि कैसे अर्का अभेद की खेती आपको बना सकती है, अगला सफल किसान।


अर्का अभेद टमाटर किस्म की विशेषताएं

उच्च उपज:

    • यह किस्म प्रति हेक्टेयर 80-100 टन तक टमाटर की पैदावार दे सकती है, जो सामान्य किस्मों की तुलना में काफी अधिक है।
    • एक पौधे से औसतन 10-12 किलोग्राम फल प्राप्त हो सकते हैं।

    रोग प्रतिरोधक क्षमता:

      • अर्का अभेद कई प्रमुख रोगों जैसे लीफ कर्ल वायरस (Tomato Leaf Curl Virus), बैक्टीरियल विल्ट, और अर्ली ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है।
      • यह गुण इसे उन क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है जहां रोगों का प्रकोप अधिक होता है।

      फलों की गुणवत्ता:

        • फल मध्यम आकार के होते हैं, जिनका वजन 80-100 ग्राम के बीच होता है।
        • रंग चटकीला लाल और आकर्षक होता है, जो बाजार में अच्छी कीमत दिलाने में मदद करता है।
        • फल सख्त और टिकाऊ होते हैं, जिससे परिवहन के दौरान नुकसान कम होता है।

        पकने का समय:

          • रोपाई के 70-80 दिनों के भीतर फल तैयार हो जाते हैं।

          अनुकूलता:

            • यह किस्म विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है, लेकिन यह खास तौर पर भारत के उष्ण और उपोष्ण (Tropical और Subtropical) क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

            अर्का अभेद टमाटर की खेती कैसे करें?

            जलवायु और मिट्टी

            • जलवायु: यह किस्म गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है। तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस इसके लिए आदर्श है।
            • मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ की मात्रा अधिक हो, उपयुक्त है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।

            बीज और नर्सरी तैयार करना

            • बीज की मात्रा: प्रति हेक्टेयर 150-200 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।
            • नर्सरी: बीज को नर्सरी में बोया जाता है। बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक (जैसे थाइरम या कैप्टान) से उपचारित करें।
            • रोपाई का समय: 25-30 दिनों की पौध तैयार होने पर खेत में रोपाई करें। खरीफ के लिए जून-जुलाई और रबी के लिए अक्टूबर-नवंबर उपयुक्त समय है।

            खेत की तैयारी

            • खेत की 2-3 बार अच्छी जुताई करें और गोबर की खाद (15-20 टन प्रति हेक्टेयर) मिलाएं।
            • मिट्टी को समतल कर 60-75 सेमी चौड़ी क्यारियां बनाएं।

            रोपाई

            • पौधों के बीच की दूरी 60 सेमी और पंक्तियों के बीच 75 सेमी रखें।
            • रोपाई शाम के समय करें ताकि पौधे आसानी से स्थापित हो सकें।

            सिंचाई

            • रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें।
            • गर्मियों में 5-7 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 10-12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
            • ड्रिप सिंचाई का उपयोग करने से पानी और पोषक तत्वों की बचत होती है।

            उर्वरक प्रबंधन

            • रासायनिक खाद: प्रति हेक्टेयर 120 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फॉस्फोरस और 80 किलो पोटाश दें।
            • नाइट्रोजन को तीन हिस्सों में दें: आधार खाद के रूप में, फूल आने पर और फल बनते समय।
            • सूक्ष्म पोषक तत्वों (जैसे जिंक और बोरॉन) की कमी होने पर उनकी पूर्ति करें।

            कीट और रोग नियंत्रण

            • हालांकि यह किस्म रोग प्रतिरोधी है, फिर भी समय-समय पर निरीक्षण करें।
            • कीटों जैसे फल मक्खी या सफेद मक्खी के लिए जैविक कीटनाशक (नीम तेल) या अनुशंसित रसायनों का प्रयोग करें।

            फसल कटाई

            • फल हल्के हरे से लाल होने पर कटाई के लिए तैयार होते हैं।
            • सुबह के समय कटाई करें और फलों को छाया में रखें।

            लाभ और कमाई

            • उत्पादन लागत: प्रति हेक्टेयर लगभग 50,000-70,000 रुपये।
            • उपज: 80-100 टन प्रति हेक्टेयर।
            • बाजार मूल्य: औसतन 15-25 रुपये प्रति किलो (बाजार के हिसाब से बदल सकता है)।
            • कमाई: यदि 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हो, तो 16-20 लाख रुपये तक की आय हो सकती है। लागत घटाने पर शुद्ध मुनाफा 10-12 लाख रुपये तक संभव है।

            सावधानियां

            • बीज विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदें।
            • अधिक पानी से बचें, इससे जड़ सड़न की समस्या हो सकती है।
            • समय पर खरपतवार नियंत्रण और पौधों की छंटाई करें।

            अर्का अभेद टमाटर की खेती न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि कम जोखिम वाली भी है। यदि आप इसे सही तकनीक और देखभाल के साथ उगाते हैं, तो यह आपके लिए “लाल सोना” साबित हो सकता है। तो देर न करें, इस किस्म की खेती शुरू करें और बंपर मुनाफा कमाएं। धन्यवाद!

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            Kheti jankari

            मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

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