DR-8336 हाइब्रिड धान किस्म:- किसान साथियों नमस्कार, धान की खेती भारत के लगभग सभी हिस्सों में की जाती है। कुछ हिस्सों में तो धान की खेती खरीफ और रबी दोनों सीजन में की जाती है। धान बीज की बात करें, तो धान के अनेक हाइब्रिड और देसी किस्में आपको बाजार में देखने को मिलते हैं। यह अलग-अलग कंपनियों द्वारा दिए जाते हैं। ऐसे ही धान्य सीड्स जो टाटा का एक उत्पाद है। उसने एक धान की नई किस्म बनाई है। जो DR-8336 के नाम से जानी जाती है। इस धान किस्म की मुख्य विशेषताएं, इसका पकने का समय और औसत पैदावार जानने के लिए कृपया पुरा लेख पढ़े।
MR-8222 हाइब्रिड धान किस्म:गिरने के प्रति सहनशील, मुख्या विशेषताएं जानें
DR-8336 हाइब्रिड धान किस्म की विशेषताएं
DR-8336 हाइब्रिड धान किस्म धान्या सीड्स टाटा का एक हाइब्रिड किस्म है। इस किस्म का तना काफी मजबूत होता है। इसमें कल्लों के फुटाव की बात करें। तो इसमें कल्लों का फुटाव अन्य किस्में के मुकाबले थोड़ा अधिक रहता है। इस किस्म की बिजाई आप खरीफ और रबी दोनों सीजन में कर सकते हैं। इस किस्म के दानों का आकार मोटा होता है। इस किस्म में किसी प्रकार का कोई रोग देखने को नहीं मिलता। यह किस्म ब्लास्ट रोगों के प्रति सहनशील है। इस किस्म में रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 20 सेंटीमीटर तक रखनी जरूरी होती है।
DR-8336 हाइब्रिड धान किस्म का पकने का समय
धान की यह किस्म खरीफ के सीजन में पकने में लगभग 125 से 130 दिन और रबी के सीजन में पकने में 130 से 135 दिन का समय लेती है। इस किस्म का पौध तैयार करने के लिए 3 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ और सीधी बिजाई में 6 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ का प्रयोग किया जाता है।
DR-8336 हाइब्रिड धान किस्म का बिजाई समय
इस किस्म की बिजाई की समय की बात करें, तो आप इस किस्म की इस किस्म की बिजाई खरीफ में 10 अप्रैल से लेकर 15 जुलाई तक और रबी में 10 अक्टूबर से लेकर 15 जनवरी तक कर सकते हैं। इस किस्म की पौध की रोपाई 20 से 25 दिन पर या जब आपकी पौध चार से पांच पत्ती की अवस्था में हो, उस समय रोपाई करें।
DR-8336 हाइब्रिड धान किस्म की औसत पैदावार
DR-8336 धान किस्म की औसत पैदावार की बात करें, तो इसकी औसत पैदावार 25 से 30 क्वांटल प्रति एकड़ तक रहती है। लेकिन इस किस्म से आप अधिकतम 36 क्वांटल प्रति एकड़ तक की पैदावार ले सकते हैं। पैदावार आपकी मिट्टी और खेती करने के तरीके पर निर्भर करती है।
इस किस्म में आपको किसी प्रकार के अन्य खादों को देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसमें आपको 50 किलोग्राम डीएपी, 40 किलो किलोग्राम पोटाश और 80 से 90 किलोग्राम तक यूरिया की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ-साथ आपको 8 से 10 किलोग्राम जिंक का भी प्रयोग करना है। खादों का प्रयोग आप अपनी मिट्टी की जांच के अनुसार कर सकते हैं।
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