गन्ने की पैदावार आपकी मिट्टी, बिजाई समय, खाद और पानी देने के तरीके पर निर्भर करता है। लेकिन इसके साथ-साथ ही जितना महत्व इन सभी चीजों का होता है। उससे कहीं अधिक महत्व एक अच्छे बीज का होता है। हमें हमेशा ही एक ऐसे बीज का चुनाव करना चाहिए। जो हमें शानदार उत्पादन निकाल कर दे और जिसमें कोई रोग भी देखने को ना मिले। जिससे हमें उन्हें स्प्रे कम मात्रा में करना पड़े और हमारा खर्च कम हो। गन्ने की कुछ ऐसी किस्में भी होती है, जो उत्पादन तो शानदार दे देती है। लेकिन उनमें खर्च भी अधिक बढ़ता है। आज मैं आपको गन्ने की एक ऐसी किस्म के बारे में बताऊंगा। जो कम खर्च में काफी अच्छा उत्पादन निकाल कर देती है। गन्ने की यह किस्म Co-92005 के नाम से जानी जाती है। इस गन्ना किस्म की विशेषताएं, पहचान आदि संपूर्ण जानकारी आगे लेख में पढ़ें।
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Co-92005 गन्ना किस्म की विशेषताएं
Co-92005 गन्ना किस्म क्षेत्रीय गन्ना एवं गुड़ अनुसंधान केंद्र, कोल्हापुर, महाराष्ट्र की किस्म है। यह किस्म वर्ष 2009 में बनाई गई थी। गन्ने की यह अर्ली किस्म है। यह गन्ना किस्म रेड रॉट, पोका बोइंग और टॉप बोरर जैसे रोगों के प्रति सहनशील है। इस गन्ना किस्म की बिजाई आप मध्य गहरी लाल मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि में कर सकते हैं। इस गन्ना किस्म की 4500 से 5500 पौधे एक एकड़ में लगाए जाते हैं।
Co-92005 गन्ना किस्म की पहचान
Co-92005 गन्ना किस्म की आंख गोल होती है। इसकी गन्ने की पोरी हरी और पीले रंग की होती है। इस गन्ने के पत्ते गहरे हरे रंग के और नीचे की ओर झुके हुए होते हैं। इस गन्ना किस्म का लीफ शीत काफी मजबूत होता है। यह गन्ना किस्म अच्छी लंबाई और मोटाई वाली गन्ना किस्म है।
Co-92005 गन्ना किस्म की औसत पैदावार
यह गन्ना किस्म महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बिजाई के लिए सबसे अच्छी गन्ना किस्म है। लेकिन किसान इसकी बिजाई हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी कर रहे हैं। वहां भी अच्छी पैदावार निकाल कर दे रही है। इसकी औसत पैदावार 500 से 600 क्वांटल प्रति एकड़ तक रहती है। इस गन्ना किस्म की बिजाई आप 15 जनवरी से 15 फरवरी तक कर सकते हैं।
नोट- किसान साथी गन्ना बिजाई करते समय बीज उपचार फफूंदीनाशक और कीटनाशक से अवश्य करें।
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