Kheti jankari
मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।
एसआरपीएम-26 (विजेता) मूंग किस्म की विशेषताएं:Moong variety of Shriram Seeds
मूंग की फसल जायद यानी गर्मी और खरीफ दोनों सीजन में इसकी बिजाई की जाती है। मूंग की बहुत सारी किस्में ऐसी आती है, जिनकी बजाई आप दोनों मौसमों में कर सकते हैं। और दोनों मौसमों में ये किस्में काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। ऐसे ही श्रीराम सीड्स की एक मूंग की किस्म आती है। जिसकी बजाई आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं। यह किस्म एसआरपीएम-26 के नाम से जानी जाती है। बाजार में यह विजेता नाम से प्रसिद्ध है।
पॉपुलर लगाने वाले किसान जरूर पढ़ें:कम समय में पॉपुलर तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण बातें:Things to keep in mind while planting poplar
इस समय पॉपलुर लकड़ी के रेट काफी अधिक चल रहे हैं। किसान भाई लकड़ी लगाकर खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ किसान भाई तो लगातार पॉपुलर के पेड़ लगाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, और पॉपुलर को फसल की तरह तैयार हैं. पॉपुलर को लकड़ी न बोलकर अगर उसकी फसल बोलूं तो, यह फसल 3 से 4 साल में तैयार हो जाती है। यह अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय होता है। किसान साथियों अगर आप पॉपुलर की खेती करना चाहते हैं।
बंसी गोल्ड मूंग किस्म की विशेषताएं:Features of Bansi Gold Moong variety
मूंग एक दलहनी फसल है। जिसकी बजाई लगभग पूरे भारत में की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश के अनुसार मूंग की बिजाई आप मार्च से लेकर जुलाई तक कर सकते हैं। लेकिन मुंग की अलग-अलग किस्में अलग-अलग सीजन के लिए बनाई जाती है। ऐसी ही एक किस्म जो किसानों को सबसे अधिक पैदावार निकाल कर देती है। यह बंसी गोल्ड के नाम से प्रसिद्ध है।
लहसुन में कंद फटने की मुख्य कारण:Main reasons for bursting of bulbs in garlic
लहसुन में कंद फटने के कई कारण होते हैं। अधिक खाद और अधिक पानी की वजह से लहसुन में कंद फटने और तना फटने की समस्या देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग से भी लहसुन में कंद फटने की समस्या आती है। जब आपके पौधे में न्यूट्रिशन वैल्यू ज्यादा हो जाती है। तो उसमें कंद फटने की समस्या रहती है। लहसुन में बोरोन की कमी के कारण भी यह समस्या देखने को मिलती है। 90 से 100 दिन पर लहसुन में कंद बनना शुरू हो जाता है, और उसके बाद ही यह समस्या आमतौर पर देखने को मिलती है।
गेहूं वाले किसान सावधान:ठंड के मौसम में तेजी से फैल रहा है ये रोग:Cold weather diseases in wheat
इस समय गेहूं की फसल में किसानों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि मौसम में लगातार धुंध बनी हुई है, और धूप नहीं निकल रही जिससे गेहूं की फसल पर अनेक प्रभाव देखे जा सकते हैं। गेहूं की अत्यधिक ठंड की वजह से ऊपर की पत्तियों की नोक पीली पड़ रही है, और सुख रही है। यह सब ठंड के कारण है। दूसरा गेहूं की फसल में कीट रोग यानी माहु भी अधिक मात्रा में देखा जा रहा है। ये आपकी फसल का रस चूस कर आपकी फसल को नुक्सान करते है।
एमएच-1142 मुंग किस्म की विशेषताएं:Moong variety characteristics
मूंग की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में की जाती है। लेकिन खरीफ के सीजन में मूंग की फसल से अधिक पैदावार निकलती है। क्योंकि उसे समय मूंग की खेती के लिए मौसम अनुकूल रहता है। मूंग की काफी सारी किस्में बाजार में आपको अलग-अलग नाम से देखने को मिलेंगे। ऐसी ही एक किस्म हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार द्वारा तैयार की गई है। जो एमएच-1142 के नाम से जानी जाती है।
आईपीएम 205-07 (विराट) मूंग किस्म की विशेषताएं:Virat Moong variety characteristics.
मूंग की अनेक प्रकार की किस्में अनेक संस्थाओं द्वारा तैयार की जाती हैं। भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर ने मूंग की एक ऐसी किस्म तैयार की है। जो 50 से 52 दिन में पैक कर तैयार हो जाती है। यह मूंग किस्म विराट के नाम से जानी जाती है। इसका नाम आईपीएम 205-07 है।
गेहूं में कितने दिन तक यूरिया का प्रयोग करें:बाद में करने का कितना नुकसान:Disadvantages of giving wheat late urea
गेहूं में किसान भाई आमतौर पर अपने यूरिया को तीन भागों में बांटकर अपने खेत में डालते हैं। इसमें वह दो से तीन बैग यूरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ क्षेत्रों में तो किसान भाई तीन बैग से अधिक यूरिया भी डाल देते हैं। किसान साथियों यूरिया की अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके आपको कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं।
गेहूं की बाली में दानों की संख्या और दानों का वजन बढ़ाने के लिए करें ये स्प्रे:खर्च मात्र 150रु:Solution to increase wheat production
इस समय लगभग सभी किसानों की गेहूं 55 से 60 दिन की हो गई है। यह समय गेहूं में बालियां निकलने का होता है। गेहूं में बालियां निकालनी शुरू हो गई होती है। इस समय पौधे को पोषक तत्वों की आवश्यकता काफी अधिक मात्रा में पड़ती है। 55 से 60 दिन से पहले गेहूं में बढ़वार और फुटाव जितना होना होता है, हो जाता है। इसके बाद अब गेहूं अपनी लंबाई को खींचने लगते हैं। इस समय अगर आप यूरिया का इस्तेमाल करते हैं, तो पौधा यूरिया को अपनी लंबाई बढ़ाने के लिए प्रयोग करता है।
धनिया में लोंगिया रोग:खराब मौसम में यह है सबसे अच्छा सबसे अच्छा फफूंदी नाशक:Treatment of Stem Gall disease in coriander
इस रोग को लोंगिया रोग इसे इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह आपकी धनिया की फसल को लोंग के आकर का कर देता है। धनिया में लोंगिया रोग की शुरुआती लक्षण जमीन के ऊपर तने से शुरू होते हैं। इसमें तने के ऊपर भाग पर हल्की-हल्की फोड़े टाइप गांठे बन जाती हैं। जो धीरे-धीरे पूरे पौधे में फैल जाती हैं।
स्टार-444 मूंग किस्म की विशेषताएं:best variety of moong
मुंग एक दलहनी फसल है। जिसका प्रयोग दाल के रूप में खाने के लिए किया जाता है। मूंग की दाल भारत के लगभग सभी हिस्सों में खाई जाती है। मूंग की बिजाई मुख्य तौर पर मार्च और अप्रैल में की जाती है। जब तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस का हो। तब मूंग की बिजाई के लिए सबसे उपयुक्त समय रहता है। मूंग की बाजार में बहुत सारी किस्में देखने को मिलती है।
गेहूं में आखिरी खाद:वजनदार दानों के लिए यूरिया के साथ क्या मिलाए किसान:Use of urea in wheat
गेहूं की फसल में किसान भाई आमतौर पर 2 से 3 बैग यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। इन दो से तीन बैगों को किसान भाई तीन भागों में बाँटकर अपने खेत में इस्तेमाल करते हैं। इन तीन भागों को किस-किस समय हमें गेहूं की फसल में प्रयोग करना चाहिए और किस समय के बाद हमें गेहूं की फसल में यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, और आखिरी यूरिया के साथ किसानों को क्या मिलना चाहिए।
सूरजमुखी की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका:बिजाई समय,बीज मात्रा:sunflower sowing time
सूरजमुखी एक तिलहनी फसल है। इसके तेल का इस्तेमाल मुख्य रूप से खाने के लिए किया जाता है। यूक्रेन युद्ध के बाद सूरजमुखी की खेती से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। क्योंकि पूरे संसार में तेल की मांग बढ़ रही है और इसे सिर्फ सूरजमुखी ही पूरा कर सकती है। क्योंकि इसमें 50% से भी अधिक तेल निकलता है। सरसों में आम तौर पर 35 से 40% तक तेल ही निकलता है।
गेहूं में खरपतवार नाशकों का प्रयोग कितने दिन तक कर सकते हैं:क्या कहते है कृषि जानकर:What is the harm caused by late spraying of herbicides in wheat
गेहूं में सकरी पत्ती और चौड़ी पत्ती वाले कई तरह के खरपतवार पाए जाते हैं। उनको नष्ट करने के लिए अलग-अलग तरह की दवाइयां का प्रयोग करना पड़ता है। क्योंकि सकरी पत्ती वाले खरपतवारों को अलग दवाइयां मरती है, और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को ख़त्म करें अलग दवाइयां का प्रयोग करना पड़ता है। सकरी पत्ती वाले को मारने वाली दवाइयां में मुख्य रूप से एसीएम-9, एक्सियल, अटलांटिस, टॉपिक, सेंकर, शगुन 21-11 आदि प्रमुख दवाइयां हैं। इसके अतिरिक्त चौड़ी पट्टी वाले खरपतवारों में 24D, एल ग्रिप और नाबूद आदि प्रमुख दवाइयां हैं।
मूंग की उन्नत खेती:बजाई समय, बीज मात्रा सम्पूर्ण:Fungus and insect diseases in moong
मूंग एक दलहनी फसल है। मूंग की दाल लगभग पूरे भारत में प्रयोग की जाती है। मूंग की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती है। इसमें आपको एक या दो खाद डालने पड़ते हैं, और आपकी मूंग तैयार हो जाती है। मूंग की खेती आप लगभग भारत के सभी हिस्सों में कर सकते हैं।
लहसुन में पीलापन दूर करने के उपाय:Ways to remove yellowness in garlic
लहसुन में कई तरह के रोग लगातार देखने को मिलते हैं। अभी जो मौसम चल रहा है, इसमें लगातार धुंध पड़ रही है। मौसम में नमी होने के कारण लहसुन में कई तरह के रोग देखे जा रहे हैं। किसान साथी अपने खेत का निरीक्षण करते रहें और जांच रखें। अगर आपके लहसुन की पत्तियां पीली पड़ रही है, या ऊपर से नोक सूख रही है। इस समय लगातार नमी के कारण लहसुन की पत्तियों पर फंगस बन गई है। यह फंगस पत्तों पर काले रंग के धब्बे बना देती है। इसे डाउनी मिल्ड्यू रोग कहते हैं।
गेहूं में पैदावार बढ़ाने वाला PGR:कृषि वैज्ञानिक की सलाह:वृद्धि नियंत्रक का प्रयोग कब और कैसे करें, संपूर्ण जाने
चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिश के अनुसार, गेहूं की जो नई किस्में है, जैसे DBW-303, WH-1270, DBW-187, DBW-222, DBW-327 आदि किस्मों में वृद्धि नियंत्रक यानी प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का स्प्रे करने की की गई है। इसके बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर ओपी बिश्नोई द्वारा कुछ जानकारी दी गई है। जो मैं आपके साथ सांझा करूंगा। इस इस जानकारी में डॉक्टर ओपी बिश्नोई ने गेहूं में किस समय प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का स्प्रे करें, क्यों करें और कैसे करें। इसके बारे में संपूर्ण जानकारी बताई है, जो मैं आगे आपको बताऊंगा। कृपया पूरा लेख पढ़ें-
लहसुन में पिक्सल का प्रयोग:Use of picxel in garlic
कुछ क्षेत्रों में जमीन काफी कठोर होती है। वहां पर कंद वर्गीय फसलें जैसे- आलू, प्याज, लहसुन, आदि फसलों को लगाने पर वह अच्छे से ग्रोथ नहीं कर पाते। क्योंकि अगर आपकी मिट्टी कठोर होगी, तो इन फसलों का कंद यानी फल अच्छे से नहीं बन पाता। इसलिए काफी स्थानों पर किसान इन फसलों को छोड़कर ऐसी फसलों का प्रयोग करते हैं। जिसमें ऊपर फल लगते हैं। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं, तो आप एफएमसी के पिक्सेल प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते हैं।