सरसों की खेती

श्रीराम 1666 सरसों की हाइब्रिड किस्म की विशेषताएं और मूल्य|Shriram 1666 Hybrid Mustard Variety

श्रीराम 1666 डीसीएम श्रीराम लिमिटेड सीड्स की काली सरसों की हाइब्रिड किस्म है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 5 फीट के आसपास रहती है।

पायनियर सीड्स की 45s47 सरसों किस्म:top mustard variety

पायोनियर 45s47 पायनियर सीट्स इंडिया की काली सरसों की किस्म है। यह किस्म 45s46 किस्म के मुकाबले कम समय में पकती है। इस किस्म का पकाने का समय 115 से 125 दिन है।

कावेरी सीड्स की काली सरसों किस्म KBH-5207 की खासियत जानें:Kaveri Seeds Top Mustard Variety

सरसों और गेहूं रबी के सीजन में बुवाई की जाने वाली मुख्य फसलें हैं। जिनकी बजाई भारत में सबसे अधिक की जाती है। आजकल किसान भाई गेहूं को छोड़कर सरसों की बिजाई अधिक मात्रा में कर रहे हैं।

श्रीराम सीड्स लिमिटेड की नई सरसों किस्म श्रीराम-1668 की खूबियां जाने:New mustard variety

श्रीराम-1668 डीसीएम श्रीराम लिमिटेड सीड्स की काली सरसों की हाइब्रिड किस्म है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 5.5 फीट के आसपास रहती है।

HAU हिसार द्वारा दी गयी सरसों किस्म RH-725 और RH-1424 की विशेषताएं जानें:कम पानी में अच्छी पैदावार देने वाली सरसों किस्म

हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार किसानों के लिए सरसों व गेहूं के बीजों की अनेक इसमें तैयार करती है। यह यूनिवर्सिटी रिसर्च बीजों का उत्पादन करती है। और उन्हें किसानों को उपलब्ध कराने में मदद करती है।

सरसों वाले किसानों के लिए समस्या:तेजी से फैल रहा है ये रोग, समय पर ऐसे करें रोकथाम

सरसों में सफेद रतुआ या सफेद रोली रोग अक्सर देखने को मिलता है। जब यह रोग लास्ट स्टेज पर होता है। किसान तब देखता है, किसका क्या उपाय करें। तब लेकिन तब यह पूरी तरह से कंट्रोल नहीं होता। क्योंकि इस रोग से जो सरसों की फसल को नुकसान होना होता है। वह उसे समय तक हो जाता है।

सरसों वाले किसान सावधान:तेजी से फ़ैल रहा है ये रोग, समय पर करें रोकथाम,पहचान, रोकथाम का तरीका सम्पूर्ण जानें

सरसों की फसल में इल्ली (सुंडी) आपके बीच वाले पत्तों या उससे नीचे वाले पत्तों पर देखने को मिलेगी। इसमें आपको झुंड में पत्तों पर छोटी-छोटी सुंडियां नजर आएगी। यह सुंडियां पत्तों का रस चूस कर उसे पर छोटे-छोटे होल बना देती हैं। और धीरे-धीरे पत्ते को सूखा देती है। आप अपने खेत में इस रोग की आसानी से पहचान कर सकते हैं। सुंडियों के ऊपर हलकी हलकी धारियां होती है। इसके अंडे आपको पत्तों के निचले भाग पर देखने को मिलते है। इसके अण्डों की संख्या भर मात्रा में होती है।

सरसों वाले किसान सावधान:सरसों में जड़ गलन रोग की पहचान

जड़ गलन एक फंगस जनित रोग है। इस रोग की फंगस जमीन में रहती है। जो लम्बे समय तक जमीन में जीवत रहने की क्षमता रखती है। यह फंगस पौधों को इफेक्ट करके उनकी जड़ों को गला देती है। इस रोग में पौधे की जड़ें बारीक धागे के आकार की रह जाती हैं, और धीरे-धीरे पौधा सूख जाता है।

सरसों की फसल में अधिक उत्पादन और तेल की मात्रा बढ़ने वाला सबसे ताकतवर खाद:Importance Of Sulphur In Mustard

सरसों में सल्फर एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। यह मिट्टी को भुरभुरी बनाने के साथ-साथ सरसों में तेल की मात्रा को भी बढ़ता है। जिससे दानों का वजन बढ़ता है। अगर आपकी सरसों की फसल 10 क्विंटल तक पैदावार देती है, तो सरसों का पौधा जमीन से 12 किलो ग्राम तक सल्फर निकाल लेता है।

सरसों में यूरिया डालने का सही समय और मात्रा के बारे में जाने:Right way to add fertilizer in mustard

सरसों की फसल में हमें 50 किलोग्राम डीएपी, 100 किलोग्राम यूरिया, 30 किलोग्राम पोटाश, 20 किलोग्राम सल्फर और 6 किलोग्राम जिंक प्रति एकड़ प्रयोग करनी जरूरी है।

इस समय करें सरसों की बिजाई मिलेगी 1क्वान्टल से 2 क्वान्टल प्रति एकड़ तक अधिक पैदावार:Right time to sow mustard

सरसों की बिजाई करने का सही समय 10 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक का रहता है अगर आप इस समय अपनी सरसों की बिजाई करते हैं। तो आपको सबसे अच्छी पैदावार निकाल कर मिलेगी। सरसों की इस समय किसी भी किस्म की बिजाई कर सकते हैं। आप कम समय में पकने वाली अधिक समय में पकाने वाली दोनों प्रकार की किस्म की बिजाई इस समय पर कर सकते हैं। यह सरसों की बिजाई करने का सबसे सही समय है। अगर आप 20 अक्टूबर के लगभग अपनी सरसों की बिजाई करते हैं। तो आपको एक से दो कुंतल तक अधिक पैदावार मिलेगी। सरसों की बजाई के समय 15 से 25 सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त रहता है।

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