किसान भाइयों, एक अच्छी फसल उगाने के लिए पौधे की बुनियादी संरचना को समझना बहुत जरूरी है। जैसे एक इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है, वैसे ही पौधे की सेहत उसके दो मुख्य हिस्सों पर निर्भर करती है: जमीन के ऊपर वाला हिस्सा (प्ररोह तंत्र) और जमीन के नीचे वाला हिस्सा (जड़ तंत्र)। आइए, इन दोनों हिस्सों को विस्तार से जानते हैं।
जमीन के ऊपर वाला हिस्सा
यह वह हिस्सा है जो हमें दिखाई देता है। इसका मुख्य काम सूरज की रोशनी में भोजन बनाना (प्रकाश संश्लेषण) और फल-फूल के जरिए अगली पीढ़ी तैयार करना (प्रजनन) है।
- तना (Stem): तना पौधे का मुख्य ढाँचा होता है। यह पौधे को सहारा देता है और जड़ों द्वारा सोखे गए पानी और खनिजों को पत्तियों तक पहुँचाता है। तने पर कुछ खास बिंदु होते हैं:
- गाँठ (Node): वह स्थान जहाँ से पत्ती या नई शाखा निकलती है।
- पोर (Internode): दो गाँठों के बीच का फासला। जितने लंबे पोर होंगे, पौधा उतना ही ऊँचा दिखेगा।
- पत्ती (Leaf): पत्तियाँ पौधे की “रसोई” हैं। यहीं पर सूरज की रोशनी, हवा से ली गई कार्बन डाइऑक्साइड और जड़ों से आए पानी की मदद से भोजन तैयार होता है। पत्ती के हिस्से हैं:
- डंठल (Petiole): पत्ती को तने से जोड़ने वाली छोटी टहनी।
- फलक (Lamina): पत्ती का चौड़ा, हरा भाग।
- शिराएँ (Veins): पत्ती पर दिखने वाली नसें, जो पानी और बने हुए भोजन का परिवहन करती हैं।
- कली (Bud): कली एक छोटा-सा अंकुर होता है जो आगे चलकर नई शाखा, फूल या पत्ती में विकसित हो सकता है। यह तने और पत्ती के डंठल के बीच के कोण (कक्ष) में पाई जाती है, इसलिए इसे कक्षीय कली कहते हैं।
किसान भाइयों के लिए सीख:
- स्वस्थ और हरी-भरी पत्तियाँ मतलब पौधा अच्छा भोजन बना रहा है।
- तना मजबूत होगा तो पौधा तूफान और भारी बारिश में भी खड़ा रहेगा।
- कलियों का विकास अच्छा होगा तो नई शाखाएँ और फूल अधिक मिलेंगे, जिससे पैदावार बढ़ेगी।
जमीन के नीचे वाला हिस्सा
यह हिस्सा जमीन के अंदर छिपा रहता है, लेकिन इसका काम उतना ही महत्वपूर्ण है। इसका मुख्य काम पौधे को जमीन में पकड़ना, पानी और खनिज सोखना और कई बार भोजन जमा करना है।
- मुख्य जड़ (Primary Root): बीज के अंकुरित होते ही सबसे पहले यही जड़ निकलती है। चने, अरहर, सरसों जैसे पौधों में यह मोटी और गहरी होकर मूसला जड़ का रूप ले लेती है।
- बगल की जड़ें (Secondary/Lateral Roots): ये जड़ें मुख्य जड़ से निकलकर चारों ओर फैलती हैं। इनका काम मिट्टी से पानी और खनिजों का अवशोषण करना है। जितना ज्यादा ये जड़ें फैलेंगी, पौधा उतना ही अच्छा खुराक सोख पाएगा।
- जड़ के रोएँ (Root Hairs): ये जड़ों के बहुत बारीक और नरम रोएँ होते हैं। यही पौधे के “असली मजदूर” हैं क्योंकि पानी और खनिजों का अधिकांश अवशोषण इन्हीं के द्वारा होता है। ये बहुत नाजुक होते हैं और खेत की जुताई या पौधे को उखाड़ते समय आसानी से टूट जाते हैं।
किसान भाइयों के लिए सीख:
- जड़ों के रोएँ नाजुक होते हैं, इसलिए फसल की रोपाई या निराई-गुड़ाई के समय कोमलता से काम लें।
- खेत की मिट्टी भुरभुरी और हवादार रखें ताकि जड़ों को फैलने और सांस लेने में आसानी हो।
- सिंचाई का पानी सही मात्रा में दें। ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं और कम पानी में रोएँ सूख सकते हैं।
किसान भाइयों, पौधे का ऊपरी और निचला हिस्सा एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। अगर जड़ें कमजोर होंगी तो ऊपर का पौधा पोषण नहीं पा सकेगा और सूख जाएगा। इसी तरह, अगर पत्तियाँ स्वस्थ नहीं होंगी तो भोजन नहीं बनेगा और जड़ों का विकास रुक जाएगा। इसलिए, अच्छी फसल के लिए जड़ और तने, दोनों का स्वस्थ होना जरूरी है। उचित खाद, सही सिंचाई और अच्छी मिट्टी की तैयारी पर ध्यान देकर आप इन दोनों हिस्सों को मजबूत बना सकते हैं और बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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