गेहूं में पीला रतुआ रोग:Identification of yellow rust disease in wheat

By Kheti jankari

Updated on:

गेहूं में पीला रतुआ रोग

गेहूं में पीला रतुआ रोग:- किसान साथियों नमस्कार, गेहूं में रतुआ रोग एक मुख्य रोग है। गेहूं में रतुआ रोग कईं प्रकार का होता है। जो भूरा रतुआ, काला रतुआ और पीला रतुआ के नाम से जानें जाते है। रतुआ रोग एक फंगस जनित बीमारी हैं। रतुआ रोग हर वर्ष गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। रतुआ रोग में सबसे प्रमुख पीला रतुआ रोग है, और यही सबसे अधिक मात्रा में फैलता है। सबसे अधिक नुकसान पीला रतुआ ही करता है। गेहूं में पीला रतुआ के फैलना की बात करें, तो इसके कई कारण होते हैं। जिसके कारण यह फैलता है। इसकी रोकथाम करने के लिए हमें समय पर फफूंदीनाशकों का स्प्रे करना पड़ते हैं। जिससे गेहूं की फसल को कोई नुकसान ना हो।

गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करें:सही समय और तरीका जानें

गेहूं में पीला रतुआ रोग की पहचान

गेहूं में पीला रतुआ रोग की पहचान की बात करें। इसे आप आसानी से पहचान सकते हैं। इसमें पत्तियों पर पीले रंग के फफोले बन जाते हैं, पत्तों को अगर हाथ से रगड़ के देखते हो, आप तो आपके हाथों पर पीला रंग लगता है। यह फफोले धीरे-धीरे पूरी पत्ती पर फ़ैल कर उसे नष्ट कर देते हैं, और काले हो जाते हैं। पीला रतुआ रोग की पहचान आप आसानी से कर सकते हैं। अगर आप को अपनी फसल में ऊपर बताये गए कुछ इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई देता है। तो यह पीला रतुआ रोग के है।

पीला रतुआ रोग फैलने के मुख्य कारण

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पीला रतुआ रोग कई कारणों से फैलता है। जिसमें मौसम एक मुख्य कारण होता है। पीला रतुआ रोग मुख्य रूप से फरवरी और मार्च के महीने में अधिक मात्रा में फैलता है। इस समय इसके लिए सबसे अच्छा मौसम होता है। अगर दिन में तेज धूप और रात में अधिक ठंड या ओस पड़ती हो, तो उसे समय इस रोग के फैलने के अधिक चांस होते हैं। जब बीच-बीच में हल्के बादल और बूंदाबांदी हो रही हो और मौसम थोड़ा गर्म हो तब भी यह रोग काफी अधिक मात्रा में फैलता है। यह रोग पहाड़ी क्षेत्र से शुरू होकर मैदानी इलाकों की तरफ फैलता है। जब हवाएं तेज हो, तब यह रोग बहुत अधिक गति से फैलता है, और इसे रोकना काफी कठिन हो जाता है। इसलिए किसान भाइयों को इसकी रोकथाम के लिए समय से पहले ही उपचार करने पड़ते हैं।

गेहूं की बाली में दाने खाली रहने का कारण:कैसे करें बचाव, कुछ आसान तरीके

गेहूं में पीला रतुआ रोग के बचाव के तरीके

पीला रतुआ रोग के बचाव की बात करें, आप नीचे बताई गई कुछ बातों को ध्यान में रखकर पीला रतुआ रोग को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं।

  • पीला रतुआ रोग के बचाव बचाव के लिए आपको समय पर फफुंदीनाशक दवाइयां का स्प्रे करना पड़ता है। जिससे इस रोग को खेत में फैलने पहले सी कण्ट्रोल किया जा सके।
  • गेहूं ऐसे बीजों का चयन करें। जो पीला रतुआ रोग के प्रति सहनशील हो। आजकल ऐसी नई-नई किस्में बाजार में मिल रही हैं, जिनमें यह रोग नहीं लगता। आप उनकी बिजाई करें।
  • गेहूं बिजाई करते समय बीज उपचार फफूंदीनाशक से अवश्य करें। जिससे फफूंद रोगों आपकी फसल बचाव हो सके।
  • पीला रतुआ रोग आने पर टेबुकोनाज़ोल 25.90% ईसी की 250ml मात्रा प्रति एकड़ या फिर प्रोपिकोनाज़ोल 25% ई.सी 250ml मात्रा प्रति एकड़ के साथ m-45 की 250g मात्रा को साथ में मिला कर एक स्प्रे 15 से 20 दिन के अंतराल पर करते रहें।

अगर आपका पीला रतुआ रोग से संबंधित कोई भी प्रश्न है। तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी। कृपया हमें जरूर बताएं और इसे आगे अन्य किसानों का अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!

ये भी पढ़ें- गेहूं में भूरा रतुआ रोग:कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी,ये बातें ध्यान रखनी जरूरी

गेहूं की बुर (फूल) अवस्था:पैदावार बढ़ाने के लिए यह बातें ध्यान रखना जरूरी

65 दिन में तैयार होगी गेहूं की फसल:वैज्ञानिकों रहे है नई तकनीक का बीज तैयार

गेहूं में बोरोन का प्रयोग:बोरोन पैदावार बढ़ाने में कैसे मदद करती है, कब प्रयोग करें

Kheti jankari

मैं एक किसान हूँ, और खेती में एक्सपर्ट लोगो से मेरा संपर्क है। मैं उनके द्वारा दी गयी जानकारी और अनुभव को आपके साथ साँझा करता हूँ। मेरा प्रयास किसानों तक सही जानकारी देना है। ताकि खेती पर हो रहे खर्च को कम किया जा सके।

Leave a Comment