Mh-421 मूंग किस्म की विशेषताएं:- किसान साथियों नमस्कार, मूंग की विभिन्न तरह की किस्में आपको बाजार में देखने को मिल जाती है। यह किस्में अलग-अलग क्षेत्र और अलग-अलग मौसमों के लिए विज्ञानकों द्वारा तैयार की जाती है। जायद यानी गर्मी के मौसम में मूंग की बिजाई के लिए ऐसी किस्म का चयन करना चाहिए। जो गर्मी को अधिक सहन करने की क्षमता रखती हो और जिनको पानी की कम आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि इन दिनों एक तो बारिश कम मात्रा में होती है, और गर्मी अधिक पड़ती है। तो किसानों को पानी अधिक मात्रा में देना पड़ता है। ऐसी ही एक किस्म जो दो से तीन सिंचाई में पैक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म mh-421 के नाम से जानी जाती है। इस मूंग किस्म के बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए कृपया पूरा लेख पढ़ें।
कम पानी में भी अधिक उत्पादन देती है, मूंग की यह किस्म
Mh-421 मूंग किस्म की विशेषताएं
Mh-421 मूंग किस्म चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा बनाई गई एक मूंग किस्म है। मूंग की यह किस्म 2 से 3 सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है। इसके 1000 दोनों का वजन 45 से 50 ग्राम के आसपास रहता है। मूंग की इस किस्म की बिजाई मुख्य रूप से जायद यानी मार्च और अप्रैल में कर सकते हैं। मूंग की यह किस्म पीला मोजेक रोग के प्रति सहनशील है।
पंजाब के विज्ञानिकों द्वारा तैयार की गयी मूंग किस्म
Mh-421 मूंग किस्म का बीज मात्रा
मूंग का इस किस्म का 7 से 8 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ प्रयोग किया जाता है। गर्मी के मौसम में आप इसका 10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ भी प्रयोग कर सकते हैं।
Mh-421 मूंग किस्म का पकने का समय और बजाई समय
मूंग की इस किस्म की बिजाई 10 मार्च से लेकर 10 अप्रैल तक की जा सकती है। अगर आप बरसात के मौसम में इसकी बिजाई करना चाहते हैं, तो जून जुलाई में इसकी बिजाई कर सकते हैं। मार्च अप्रैल में मूंग की यह किस्म 60 से 65 दिन में पैक कर तैयार हो जाती है। और बरसात के मौसम में यह की किस्म 70 से 75 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
Mh-421 मूंग किस्म की औसत पैदावार
मूंग की इस किस्म की औसत पैदावार 7 से 8 क्वांटल प्रति एकड़ तक रहती है। लेकिन आप बरसात के मौसम से इस मूंग किस्म से 1 से 2 क्वांटल अधिक पैदावार भी ले सकते हैं।
Mh-421 मूंग किस्म के लिए उपयुक्त मिट्टी और बिजाई क्षेत्र
मूंग की इस किस्म की बिजाई आप मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, बिहार, राजस्थान आदि राज्यों में कर सकते हैं। इस किस्म के लिए काली मिट्टी और दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है।
नोट-किसान साथी बीज लेते समय कृपया अपने नजदीकी कृषि वैज्ञानिक से संपर्क अवश्य कर लें।
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