गेहूं की खेती
गेहूं की पैदावार कम होने का सबसे बड़ा कारण:कैसे करें बचाव, मार्च अप्रैल में जरूरी कार्य:Main measures to protect wheat from Heat stress
गेहूं की पैदावार कम होने के कई कारण होते हैं। इसमें मौसम के साथ-साथ आपका सही समय पर बजाई ना करना, सही समय पर पानी और खाद का प्रबंध न करना भी हो सकता है। आप कौन-से बीज का चुनाव कर रहे हैं। इस पर भी आपकी पैदावार काफी हद तक निर्भर करती है। गेहूं की पैदावार की बात करें, तो गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए आपको उसमें समय पर सभी कार्य करने पड़ते हैं। लेकिन अगर आप सभी कार्य समय पर करते हैं। तब भी कई बार गेहूं की पैदावार कम निकलती है।
गेहूं में पीला रतुआ रोग:Identification of yellow rust disease in wheat
गेहूं में रतुआ रोग एक मुख्य रोग है। गेहूं में रतुआ रोग कईं प्रकार का होता है। जो भूरा रतुआ, काला रतुआ और पीला रतुआ के नाम से जानें जाते है। रतुआ रोग एक फंगस जनित बीमारी हैं। रतुआ रोग हर वर्ष गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। रतुआ रोग में सबसे प्रमुख पीला रतुआ रोग है, और यही सबसे अधिक मात्रा में फैलता है। सबसे अधिक नुकसान पीला रतुआ ही करता है। गेहूं में पीला रतुआ के फैलना की बात करें, तो इसके कई कारण होते हैं। जिसके कारण यह फैलता है।
गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करें:Things to keep in mind while doing last irrigation in wheat
गेहूं में पानी देने का तरीका आपकी पैदावार को बढ़ा या घट सकता है। जितना जरूरी फसल में खाद और न्यूट्रिएंट्स होते हैं। उतना ही जरूरी सही समय पर पानी को चलाना भी होता है। बाली बनने के समय पौधे को पर्याप्त मात्रा में नमी की आवश्यकता होती है। लेकिन फिर भी किसान अक्सर इस समस्या में गिरे रहते हैं। कि वह आखिरी पानी कब चलाएं या आखिरी पानी कब बंद करें। इसके लिए मैं आपको कुछ तरीका बताऊंगा। जिसको ध्यान में रखकर आप आखरी पानी दे सकते हैं।
गेहूं की बाली में दाने खाली रहने का कारण:कैसे करें बचाव, कुछ आसान तरीके:Prevention of empty grains in wheat
गेहूं की बाली में आपको अक्सर नीचे वाले या ऊपर वाले कुछ दाने खाली या छोटे नजर आते हैं। इसका कईं मुख्य कारण हो सकते हैं। गेहूं के जैसे जो अन्य फसलें जिसमे फूल से फल बनने की प्रक्रिया होती है। उनमें बाली में अक्सर दाने खाली देखने को मिलते है। गेहूं में भी फूलों से ही फल बनने की प्रक्रिया होती है। जिससे उसमें यह समस्या सामान्य तौर पर देखने को मिलती है। गेहूं की फसल आमतौर पर अक्टूबर, नवंबर में बिजाई होकर और मार्च, अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्च अप्रैल में मौसम में गर्मी थोड़ी अधिक बढ़ जाती है। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा रोग देखने को मिलते हैं।
गेहूं में भूरा रतुआ रोग फैलने के मुख्य कारण:Identification of brown rust disease in wheat
गेहूं भारत में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। इसकी खेती सर्दियों में की जाती है। लेकिन जब इसका पकाने का समय होता है। उस समय गर्मी अधिक होती है। सर्दी और गर्मी के बीच का जो मौसम होता है। उसमें कीट और फंगस रोग काफी अधिक मात्रा में लगते हैं। जिस कारण से गेहूं में काफी ज्यादा फंगस रोग और कीट रोग देखने को मिलते हैं। गेहूं में एक ऐसा ही रोग जिसे भूरा रतुआ रोग कहा जाता है। यह कुछ इलाकों में बहुत तेजी से फैलता है. और गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। गेहूं की फसल में यह रोग 10% से 30% तक का नुकसान कर सकता है।
गेहूं की बुर (फूल) अवस्था में ध्यान रखने योग्य बातें:Things to keep in mind during the flowering stage of wheat
आपकी गेहूं की पैदावार काफी चीजों पर निर्भर करती है। सही समय पर खाद, पानी और स्प्रे प्रबंधन, सही खेत और बीज का चुनाव आपकी पैदावार को बढ़ा या घटा सकते है। गेहूं या अन्य फसल की पैदावार में मौसम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौसम पर भी आपकी पैदावार काफी हद तक निर्भर करती है।
गेहूं में बालियां निकलने पर कौनसा स्प्रे करें:महत्वपूर्ण बातें, पैदावार बढ़ाने का सही समय:Main spray for earing in wheat
इस समय गेहूं की फसल में कुछ किसानों की बालियां निकलने को है, तथा कुछ किसानों की बालियां निकल गई। आपने अभी तक अपनी गेहूं में सभी प्रकार के खादों और न्यूट्रिशन का पर्याप्त मात्रा में प्रयोग किया होगा। लेकिन बालियां निकलने पर आपको एक से दो काम करने पड़ेंगे। जिससे आप अपनी पैदावार को दो से तीन क्वांटल प्रति एकड़ तक बढ़ा सकते हैं। इस समय गर्मी थोड़ी अधिक पड़ती है और पौधे में हीट स्ट्रेस अक्सर देखने को मिलती है।
65 दिन में तैयार होगी गेहूं की फसल:वैज्ञानिकों रहे है नई तकनीक का बीज तैयार:What is excel breed lab
गेहूं की फसल पकने में लगभग 155 से 160 दिन का समय लेती है। लेकिन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं। जिसमें गेहूं के ऐसे बीजों का निर्माण होगा जो 60 से 65 दिन में पैक कर तैयार हो जाएंगे। इसके लिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक एक्सेल ब्रीड लैब (excel breed lab) तैयार की है। इस लैब में वैज्ञानिक गेहूं की कम समय में पकने वाली नयी किस्म पर रिसर्च करेंगे और उनको तैयार करके किसानों तक पहुंचाने का काम करेंगे। जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके।
गेहूं में बोरोन का प्रयोग:गेहूं में बोरोन की कमी की पहचान:Identification of boron deficiency in wheat
गेहूं में बजाई से लेकर कटाई तक अनेक अवस्थाओं में पौधे को तरह-तरह की पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता इतनी कम मात्रा में पड़ती है, की किसान भाई उनका ध्यान नहीं रखते और इससे उनकी पैदावार घट सकती है। यह सामान्य रह सकती है। अधिक पैदावार लेने के लिए आपको पौधे को सभी तरह के पोषक तत्व समय पर देने पड़ते हैं। तभी आप गेहूं से बंपर पैदावार ले सकते हैं। ऐसे ही अधिकतर किसानों को गेहूं में बोरोन की कमी के पहचान नहीं कर पाते।
गेहूं में सस्ता स्प्रे और शानदार पैदावार:कृषि वैज्ञानिक ने बताई महत्पूर्ण बातें:cheap spray in wheat
गेहूं की फसल में किसान साथी अक्सर पैदावार बढ़ाने के लिए कुछ ना कुछ उत्पाद के बारे में पूछते रहते हैं। कृषि विज्ञानकों के अनुसार गेहूं में अगर आपने जरूरत के हिसाब से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक, सल्फर या अन्य पोषक तत्वों का प्रयोग किया है। तो आपको कुछ और प्रयोग करने की जरूरत नहीं है। लेकिन यह भी सच है, कि बिना धूप के पौधे जमीन से पोषक तत्वों को नहीं उठा सकते और वह जमीन में पड़े-पड़े बेकार हो जाते हैं। इसलिए किसान साथियों आपको पोषक तत्वों की कमी पौधे में देखने को मिलती है। जब धुप न निकल रही हो तब पोषक तत्वों की प्रयोग स्प्रे के द्वारा चाहिए।
मैरिनो की मुख्या विशेषताएं:Method to increase yield in wheat
गेहूं की गोभ अवस्था ऐसी अवस्था होती है, जब उसमें बालियाँ बननी शुरू हो जाती हैं। पौधे को इस समय सभी प्रकार के तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। फास्फोरस से लेकर जिंक और बोरोन तक सभी तत्व इस समय पौधे को चाहिए। ठंड अधिक होने की वजह से पौधा जमीन से पोषक तत्वों को नहीं उठा पाता। तो आपको इन पोषक तत्वों को स्प्रे के द्वारा देना पड़ता है। इसके लिए अराइज एग्रो लिमिटेड का एक उत्पाद जो मैरिनो के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें आपको लगभग 12 तरह के पोषक तत्व मिल जाते हैं।
गेहूं में पोटाश का महत्व:Importance of potash in wheat
गेहूं की फसल इस समय लगभग 70 से 80 दिनों की हो गई है। ठंड बढ़ाने के कारण पौधे जमीन से पोषक तत्वों को कम मात्रा में उठा रहे हैं। जिससे हमें फसलों में पोषक तत्वों की कमी देखने को मिल रही है। इस समय अगर आप अपने गेहूं की फसल में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना चाहते हैं। तो आपको स्प्रे द्वारा ही सीधा ही छिड़काव करना चाहिए। क्योंकि पौधे जमीन से सूर्य के प्रकाश बिना तत्वों को बहुत कम मात्रा में उठते हैं।
गेहूं वाले किसान सावधान:ठंड के मौसम में तेजी से फैल रहा है ये रोग:Cold weather diseases in wheat
इस समय गेहूं की फसल में किसानों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि मौसम में लगातार धुंध बनी हुई है, और धूप नहीं निकल रही जिससे गेहूं की फसल पर अनेक प्रभाव देखे जा सकते हैं। गेहूं की अत्यधिक ठंड की वजह से ऊपर की पत्तियों की नोक पीली पड़ रही है, और सुख रही है। यह सब ठंड के कारण है। दूसरा गेहूं की फसल में कीट रोग यानी माहु भी अधिक मात्रा में देखा जा रहा है। ये आपकी फसल का रस चूस कर आपकी फसल को नुक्सान करते है।
गेहूं में कितने दिन तक यूरिया का प्रयोग करें:बाद में करने का कितना नुकसान:Disadvantages of giving wheat late urea
गेहूं में किसान भाई आमतौर पर अपने यूरिया को तीन भागों में बांटकर अपने खेत में डालते हैं। इसमें वह दो से तीन बैग यूरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ क्षेत्रों में तो किसान भाई तीन बैग से अधिक यूरिया भी डाल देते हैं। किसान साथियों यूरिया की अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके आपको कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं।
गेहूं की बाली में दानों की संख्या और दानों का वजन बढ़ाने के लिए करें ये स्प्रे:खर्च मात्र 150रु:Solution to increase wheat production
इस समय लगभग सभी किसानों की गेहूं 55 से 60 दिन की हो गई है। यह समय गेहूं में बालियां निकलने का होता है। गेहूं में बालियां निकालनी शुरू हो गई होती है। इस समय पौधे को पोषक तत्वों की आवश्यकता काफी अधिक मात्रा में पड़ती है। 55 से 60 दिन से पहले गेहूं में बढ़वार और फुटाव जितना होना होता है, हो जाता है। इसके बाद अब गेहूं अपनी लंबाई को खींचने लगते हैं। इस समय अगर आप यूरिया का इस्तेमाल करते हैं, तो पौधा यूरिया को अपनी लंबाई बढ़ाने के लिए प्रयोग करता है।
गेहूं में आखिरी खाद:वजनदार दानों के लिए यूरिया के साथ क्या मिलाए किसान:Use of urea in wheat
गेहूं की फसल में किसान भाई आमतौर पर 2 से 3 बैग यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। इन दो से तीन बैगों को किसान भाई तीन भागों में बाँटकर अपने खेत में इस्तेमाल करते हैं। इन तीन भागों को किस-किस समय हमें गेहूं की फसल में प्रयोग करना चाहिए और किस समय के बाद हमें गेहूं की फसल में यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, और आखिरी यूरिया के साथ किसानों को क्या मिलना चाहिए।
गेहूं में खरपतवार नाशकों का प्रयोग कितने दिन तक कर सकते हैं:क्या कहते है कृषि जानकर:What is the harm caused by late spraying of herbicides in wheat
गेहूं में सकरी पत्ती और चौड़ी पत्ती वाले कई तरह के खरपतवार पाए जाते हैं। उनको नष्ट करने के लिए अलग-अलग तरह की दवाइयां का प्रयोग करना पड़ता है। क्योंकि सकरी पत्ती वाले खरपतवारों को अलग दवाइयां मरती है, और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को ख़त्म करें अलग दवाइयां का प्रयोग करना पड़ता है। सकरी पत्ती वाले को मारने वाली दवाइयां में मुख्य रूप से एसीएम-9, एक्सियल, अटलांटिस, टॉपिक, सेंकर, शगुन 21-11 आदि प्रमुख दवाइयां हैं। इसके अतिरिक्त चौड़ी पट्टी वाले खरपतवारों में 24D, एल ग्रिप और नाबूद आदि प्रमुख दवाइयां हैं।
गेहूं में प्रयोग होने वाले सबसे अच्छे फफूंदी नासक:Best fungicides for wheat
गेहूं रबी के सीजन में बोई जाने वाली एक अनाज वर्गीय फसल है। जिसकी बजाई किसान भाई अक्टूबर से नवंबर तक करते हैं। गेहूं की फसल में कई अवस्थाएं आती हैं। इन अवस्थाओं में गेहूं में तरह-तरह के फफूंदी जनक और कीट रोग लगते रहते हैं। अगर इन रोगों का समय पर समाधान नहीं करते, तो ये आपकी फसल को पूरी तरह से ख़त्म भी कर सकते है। इसलिए किसान भाई इन कीट रोगों और फफूंदी जनक रोगों के लिए समय पर कीटनाशकों और फफूंदी नाशकों का प्रयोग करते रहें।