सरसों
पौधे में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व और कार्य: Importance and function of micronutrients in plants
जिन तत्वों की पौधे को बहुत कम मात्रा में जरूरत पड़ती है। सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते है। इनकी पौधे को चाहे कम मात्र में आवश्यकता पड़े लेकिन यह पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्व 9 प्रकार के होते हैं।
सरसों में दूसरी सिंचाई पर डालें ये दमदार खाद:मिलेगी 1 से 2 कुंतल अधिक पैदावार:Fertilizer on second irrigation in mustard
सरसों की फसल में दूसरी सिंचाई हमें 60 से 70 दिन पर करनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी जमीन रेताली है, तो आप सिंचाई 10 दिन पहले भी कर सकते हैं। अगर आपके खेत में पर्याप्त नमी है। तो आपको सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं है। सरसों में सिंचाई तभी करनी चाहिए, जब उसमें सिंचाई की जरूरत हो।
सरसों में माहू कीट(तेला चेपा) का नियंत्रण कैसे करें:फलियां बनने के समय हल्के में ना लें:Identification of hopper disease in mustard
माहू कीट(तेला चेपा) की पहचान आप आसानी से कर सकते हैं। इस रोग में सरसों की ऊपरी डंडी पर छोटे-छोटे कीट दिखाई देते हैं। जो जो झुंड में रहते हैं, और पौधे का रस चूस कर हमारी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। यह हलके हरे रंग के होते है। जिससे उपज में नुकसान होता है। और किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
सरसों में पाले से नुक्सान:क्या करें किसान, कृषि वैज्ञानिकों ने बताएं यह आसान तरीका:Ways to avoid frost damage to mustard
सरसों की फसल में पाला पड़ने से पौधे में पड़े एंजाइम जम जाते हैं। जिससे पौधे और फलियों की ग्रोथ रुक जाती है। दूसरा धूप न निकलने की वजह से पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है, और पौधा हरा भरा नहीं रह पाता। जिससे पैदावार में नुक्सान होता है। पाला पढ़ने से आपकी फसल में माहु कीटों का प्रकोप भी आपकी सरसों पर अधिक देखने को मिलता है।
सरसों वाले किसान सावधान:समय पर करें इस रोग की रोकथाम नहीं तो नष्ट हो सकती है आपकी सरसों की फसल(2024),The most dangerous disease of mustard
जड़ गलन एक फंगस जनित रोग है। इस रोग की फंगस जमीन में रहती है। जो लम्बे समय तक जमीन में जीवत रहने की क्षमता रखती है। यह फंगस पौधों को इफेक्ट करके उनकी जड़ों को गला देती है। इस रोग में पौधे की जड़ें बारीक धागे के आकार की रह जाती हैं, और धीरे-धीरे पौधा सूख जाता है।
सरसों में फूल आने पर पैदावार बढ़ाने के लिए यह दो जरूरी काम करें:सरसों की खेती में पैदावार बढ़ाने के कुछ तरीके
सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए फूल अवस्था सबसे अच्छी स्टेज मानी जाती है। इस समय से आपकी फसल में दाने बनने का समय शरू हो जाता है। अगर आपकी सरसों के अंदर फूल अवस्था शुरू हो गई है। तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिससे आपकी पैदावार बढ़िया निकले। इस समय आपकी फसल में कीटों और रोगों का अटैक लगना शरू हो जाता है। इसलिए इनकी रोकथाम के लिए उपाय करने भी इस समय जरूरी होते है।
सरसों में सफ़ेद रतुआ रोग की पहचान:समय पर करें रोकथाम, नुक्सान से बचें,Identification of white rust disease in mustard
सरसों में सफेद रतुआ या सफेद रोली रोग अक्सर देखने को मिलता है। जब यह रोग लास्ट स्टेज पर होता है। किसान तब देखता है, किसका क्या उपाय करें। तब लेकिन तब यह पूरी तरह से कंट्रोल नहीं होता। क्योंकि इस रोग से जो सरसों की फसल को नुकसान होना होता है। वह उसे समय तक हो जाता है।
सरसों में फालियाँ निकलने पर मुख्य स्प्रे:Main spray for ear bud formation in mustard
सरसों की फसल लगभग पकने को तैयार है। लगभग सभी किसानों की सरसों की फसल में फलियां निकल चुकी हैं। फलियाँ निकलने पर दानों की मोटाई और चमक बढ़ाने में पोटाश सबसे अधिक सहायक होता है, और पौधे को भी ताकत देता है। बालियाँ निकलने पर हम पोटाश के साथ-साथ किन चीजों का स्प्रे करें की हमारी फसल रोगों से भी बची रहे।
काली सरसों की टॉप 5 किस्में जो सबसे अधिक पैदावार देती है|Top 5 Mustard Varieties
सरसों की खेती वैसे तो पुरे भारत में की जाती है। लेकिन हरियाणा, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और पश्चिमी बंगाल में सबसे ज़्यदा सरसों की खेती होती है। ये राज्य पुरे देश का 85% सरसों का उत्पादन करते है। भारत में सरसो की मांग प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
सरसों में तेजी से फ़ैल रहा है, सफेद तना गलन रोग कैसे करें रोकथाम(2024):white stem rot disease in mustard
सरसों की बजाई रबी सीजन में की जाती है। पिछले सालों में सरसों की फसल में सफेद तना गलन रोग की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। वास्तव में इस रोग का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। लेकिन फिर भी बीज और भूमि उपचार करके आप इस रोग की रोकथाम आसानी से कर सकते हैं। यह एक खतरनाक रोग है।
सरसों वाले किसान सावधान:तेजी से फ़ैल रहा है ये रोग, समय पर करें रोकथाम,पहचान, रोकथाम का तरीका सम्पूर्ण जानें
सरसों की फसल में इल्ली (सुंडी) आपके बीच वाले पत्तों या उससे नीचे वाले पत्तों पर देखने को मिलेगी। इसमें आपको झुंड में पत्तों पर छोटी-छोटी सुंडियां नजर आएगी। यह सुंडियां पत्तों का रस चूस कर उसे पर छोटे-छोटे होल बना देती हैं। और धीरे-धीरे पत्ते को सूखा देती है। आप अपने खेत में इस रोग की आसानी से पहचान कर सकते हैं। सुंडियों के ऊपर हलकी हलकी धारियां होती है। इसके अंडे आपको पत्तों के निचले भाग पर देखने को मिलते है। इसके अण्डों की संख्या भर मात्रा में होती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रबी फसल का पंजीकरण शुरू(2024):How to register on Meri Fasal Mera Byora
मेरी फसल मेरी ब्यौरा में पंजीकरण करने के लिए आप अपने मोबाइल में मेरी फसल मेरा ब्यौरा वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। या फिर आप सरकार द्वारा जारी एंड्रॉयड एप्लिकेशन मेरी फसल मेरी ब्यौरा को भी डाउनलोड कर सकते हैं। फसल का पंजीकरण आप नजदीकी सीएससी सेंटर भी कर सकते हैं। फसल के पंजीकरण के लिए आपको अपने खसरा नंबर या खेत का नंबर और अपना मोबाइल नंबर डालना होगा
सरसों में यूरिया डालने का सही समय और मात्रा के बारे में जाने(2023):Right way to add fertilizer in mustard
सरसों की फसल में हमें 50 किलोग्राम डीएपी, 100 किलोग्राम यूरिया, 30 किलोग्राम पोटाश, 20 किलोग्राम सल्फर और 6 किलोग्राम जिंक प्रति एकड़ प्रयोग करनी जरूरी है।
इस समय करें सरसों की बिजाई मिलेगी 1क्वान्टल से 2 क्वान्टल प्रति एकड़ तक अधिक पैदावार:Right time to sow mustard
सरसों की बिजाई करने का सही समय 10 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक का रहता है अगर आप इस समय अपनी सरसों की बिजाई करते हैं। तो आपको सबसे अच्छी पैदावार निकाल कर मिलेगी। सरसों की इस समय किसी भी किस्म की बिजाई कर सकते हैं। आप कम समय में पकने वाली अधिक समय में पकाने वाली दोनों प्रकार की किस्म की बिजाई इस समय पर कर सकते हैं। यह सरसों की बिजाई करने का सबसे सही समय है। अगर आप 20 अक्टूबर के लगभग अपनी सरसों की बिजाई करते हैं। तो आपको एक से दो कुंतल तक अधिक पैदावार मिलेगी। सरसों की बजाई के समय 15 से 25 सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त रहता है।
सरसों की फसल में अधिक उत्पादन और तेल की मात्रा बढ़ने वाला सबसे ताकतवर खाद:Importance Of Sulphur In Mustard
सरसों में सल्फर एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। यह मिट्टी को भुरभुरी बनाने के साथ-साथ सरसों में तेल की मात्रा को भी बढ़ता है। जिससे दानों का वजन बढ़ता है। अगर आपकी सरसों की फसल 10 क्विंटल तक पैदावार देती है, तो सरसों का पौधा जमीन से 12 किलो ग्राम तक सल्फर निकाल लेता है।
SM-2042 सरसों किस्म की विशेषताएं:Mustard variety from Savannah Seeds
SM-2042 सवाना सीड्स की एक हाइब्रिड काली सरसों की किस्म है। इस किस्म की बिजाई लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन भारी मिट्टी में यह किस्म अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।
सरसों की फसल में अधिक फुटाव बढ़ाने के लिए पहले पानी पर डालें ये खाद :Mustard Crop
सरसों की फसल में पहला पानी हमें 30 से 35 दिन पर दे देना चाहिए। अगर आपकी मिट्टी रेताली है, तो आप 30 दिन पर पहला पानी देना चाहिए और अगर आपकी मिट्टी भारी है, तो आप 35 या 40 दिन पर भी अपने खेत में पानी चला सकते हैं।
AHBJ–7044 सरसों किस्म की विशेषताएं:AHBJ–7044 Hybrid Mustard Variety
AHBJ–7044 एक्सेना एग्रीसाइंस की एक काली सरसों की हाइब्रिड किस्म है। इस किस्म की लंबाई 5 से 6 फीट तक हो जाती है। यह किस्म सफ़ेद रतुए और अन्य फंगस रोगों के प्रति सहनशील है।