सब्जियाँ
मिर्च की रोपाई करते समय मुख्य सावधानियां:Main precautions while planting chillies
मिर्च की रोपाई फरवरी में शुरू हो जाती है। जैसे ही थोड़ी धूप पड़ना शुरू होगी, किसान साथी मिर्च की रोपाई करना शुरू कर देते हैं। मिर्च की पौध तैयार करके इसकी रोपाई की जाती है। हमें मिर्च की रोपाई करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिससे हमारी मिर्च शुरू से ही अच्छी जड़ पकड़ और बड़वार लेकर चले, वह जल्दी और अच्छी पैदावार निकाल कर दे। मिर्च की रोपाई करते समय कुछ किसान गलतियां कर देते हैं। जिससे वह अपनी पैदावार को घटा लेते हैं। मिर्च के अधिकतर पौधे रोपाई के बाद सुख जाते हैं, और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें मिर्च की रोपाई के समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए, जो नीचे बताई गयी है।
लहसुन के मुख्य रोग:Main diseases of garlic
4 से 5 दिन बारिश और बादल रहने की वजह से मौसम में लगातार नमी बनी हुई थी। इस समय लहसुन वाले खेतों में बहुत ही भयानक रोग देखे जा रहे हैं। अगर आप धूप लगने पर खेत की निगरानी करते हैं। तो आपको पर्पल ब्लाउज काफी अधिक क्षेत्रों में देखने को मिलता है। कुछ क्षेत्रों में तो डाउनी मिल्ड्यू के साथ-साथ जड़ में सफेद कीड़ा भी आपको देखने को मिल जाता है। लहसुन में नोक सुखना और पौधे बैठने की समस्या तो आम बनी हुई है ,अगर आपके खेत में भी इस प्रकार की किसी समस्या है।
मिर्च रोपाई में सबसे अच्छे खाद:Best fertilizer for chilli seedlings
मिर्ची एक ऐसी फसल है, जिसकी रोपाई की जाती है। मिर्च को आप पूरे साल भर में किसी भी समय उगा सकते हैं। मिर्च की रोपाई मुख्या तौर पर फरवरी में की जाती है। इस समय ज्यादातर किसान इसकी खेती करते हैं। मिर्च के बाजार में काफी अच्छे भाव देखने को मिलते हैं। मिर्च 40 से ₹50 किलो आसानी से बिक जाती है। अगर आप भी मिर्ची की खेती करना चाहते हैं, और अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। तो आपको मिर्च लगाने से पहले खेत की तैयारी अच्छे से करनी पड़ेगी। ताकि आपकी मिर्च अच्छे से ग्रोथ करें सकें और आपको अधिक पैदावार निकला कर दे।
रीता भिंडी किस्म की विशेषताएं:Improved variety of Ladyfinger
माहिको किसानों के लिए अलग-अलग प्रकार के बीच उपलब्ध कराती है। यह कंपनी गेहूं, धान, मक्का, सरसों और सब्जियों के सभी प्रकार के बीज बनाती है। इस कंपनी ने भिंडी की भी कई प्रकार की किस्में तैयार की है। इनमें से एक किस्म किसानों द्वारा काफी ज्यादा पसंद की जाती है। यह किस्म रीता के नाम से प्रसिद्ध है।
Second main spray in onion:प्याज में भयंकर रोग:जल्दी करें दूसरा स्प्रे, सही समय पर समाधान जरूरी
फरवरी का महीना लग गया है। और मौसम परिवर्तन धीरे-धीरे बदल रहा है। पिछले 1 महीने से लगातार ठंडा मौसम था और अब धूप निकलने की वजह से दिन में गर्मी और रात को तापमान थोड़ा ठंडा रहता है। इस समय आपका प्याज की फसल भी 40 से 45 दिन की हो गई है। मौसम परिवर्तन के कारण पौधे में थोड़ा तनाव भी रहता है। इसमें फंगस, ट्रिप्स और इल्ली रोग देखने को मिलते हैं। इसलिए किसान भाई आप अपने खेत की लगातार निगरानी करते रहें और उसमें कोई भी रोग दिखाने पर तुरंत स्प्रे करें।
फरवरी में उगाई जाने वाली मुख्या सब्जियां:Main vegetables grown in February
सब्जी की खेती से मुनाफा उसके रेट पर निर्भर करता है। अगर आपको रेट कम मिलता है तो आपको सब्जी से नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसलिए हमें सब्जियों को ऐसे समय पर लगाना चाहिए, जब उनके बाजार में सबसे अधिक मूल्य देखने को मिलते है। आज मैं आपको फरवरी में उगाई जाने वाली ऐसी पांच सब्जियों के बारे में बताऊंगा।
NS-862 भिंडी किस्म की विशेषताएं:High yielding variety of okra
भिंडी की अनेक किस्में आपको बाजार में देखने को मिल जाती हैं। भिंडी एक ऐसी फसल है। जिसकी बिजाई आप पूरे साल में कभी भी कर सकते हैं। भिंडी एक लंबे समय तक फल देने वाली सब्जी है। यह 5 से 6 महीने तक आसानी से फल दे देती है। फसल से अधिक पैदावार लेने के लिए हमे सही किस्मों का चुनाव करना जरूरी है। ऐसे ही नामधारी सीड्स की एक भिंडी किस्म किसानों द्वारा काफी ज्यादा पसंद की जाती है। यह भिंडी किस्म NS-862 के नाम से प्रसिद्ध है।
ADV-216 भिंडी किस्म की विशेषताएं:okra variety from Advanta Seeds
भिंडी की काफी सारी किस्में आपको बाजार में देखने को मिल जाती हैं। ऐसे ही एडवांटा सीड्स भी भिंडी की काफी सारी किस्म तैयार करता है। इसकी राधिका भिंडी किस्म काफी प्रसिद्ध है। लेकिन इसने अभी एक अपनी एक नई भिंडी किस्म तैयार की है। जो ADV-216 के नाम से प्रसिद्ध है। इस किस्म का बाजार में अन्य किस्म के मुकाबले भाव थोड़ा अधिक मिलता है।
जैविक खेती के लिए आप इस प्लांट ग्रोथ प्रमोटर का प्रयोग कर सकते हैं:Plant Growth Promoter Used in Organic Farming
Plant Growth Promoter Used in Organic Farming:- किसान साथियों नमस्कार, बाजार में आपको कई तरह ...
प्याज में पहला मुख्य स्प्रे:First main spray in onion
पिछले 15 से 20 दिन से धुंध और ठंड अधिक पढ़ने की वजह से प्याज में इतनी अच्छी ग्रोथ नहीं दिख रही। क्योंकि आपने जमीन में जो भी खाद और न्यूट्रिएंट्स का प्रयोग किया था। धुप ना निकलने के कारण पौधे उन्हें ग्रहण नहीं कर पाया। क्योंकि सूर्य के प्रकाश के बिना पौधे जमीन से तत्वों को ग्रहण नहीं करते। इसी कारण से आपको अपने प्याज की फसल में ग्रोथ नहीं दिख रही। इस समय आपको प्याज में ग्रोथ करवाने के लिए उसमें स्प्रे के द्वारा खादों और न्यूट्रिएंट्स को देना पड़ेगा।
लहसुन की उपज और क्वालिटी बढ़ाने का सबसे सस्ता स्प्रे:Water Soluble Spray in Garlic
लहसुन एक कंद वर्गीय फसल है। जिसमें जमीन के अंदर यह अपने फल का फैलाव करता है। लहसुन में कल्लों का फैलाव नहीं होता। इसमें एक ही पौधा होता है, और उसमें भी 11 से 12 पत्ते ही निकलते हैं। इन्हीं पत्तों से लहसुन की उपज व पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। लहसुन की पैदावार को बढ़ाने के लिए आप आपको मिट्टी में खादों को देने के साथ-साथ आपको स्प्रे का भी ध्यान रखना पड़ता है।
लहसुन में पिक्सल का प्रयोग:Use of picxel in garlic
कुछ क्षेत्रों में जमीन काफी कठोर होती है। वहां पर कंद वर्गीय फसलें जैसे- आलू, प्याज, लहसुन, आदि फसलों को लगाने पर वह अच्छे से ग्रोथ नहीं कर पाते। क्योंकि अगर आपकी मिट्टी कठोर होगी, तो इन फसलों का कंद यानी फल अच्छे से नहीं बन पाता। इसलिए काफी स्थानों पर किसान इन फसलों को छोड़कर ऐसी फसलों का प्रयोग करते हैं। जिसमें ऊपर फल लगते हैं। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं, तो आप एफएमसी के पिक्सेल प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते हैं।
लहसुन में कंद फटने की मुख्य कारण:Main reasons for bursting of bulbs in garlic
लहसुन में कंद फटने के कई कारण होते हैं। अधिक खाद और अधिक पानी की वजह से लहसुन में कंद फटने और तना फटने की समस्या देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग से भी लहसुन में कंद फटने की समस्या आती है। जब आपके पौधे में न्यूट्रिशन वैल्यू ज्यादा हो जाती है। तो उसमें कंद फटने की समस्या रहती है। लहसुन में बोरोन की कमी के कारण भी यह समस्या देखने को मिलती है। 90 से 100 दिन पर लहसुन में कंद बनना शुरू हो जाता है, और उसके बाद ही यह समस्या आमतौर पर देखने को मिलती है।
लहसुन में कंद बनने के समय करें इस ताकतवर खाद का इस्तेमाल:लहसुन की मोटाई और वजन बढ़ाने का आसान तरीका:The most powerful fertilizer used in garlic
लहसुन एक कंद वर्गीय फसल है। लहसुन जमीन के अंदर तैयार होता है। इसको कंद को उखाड़ कर बाजार में बेचा जाता है। लहसुन से किसान भाई अच्छी पैदावार लेने के लिए तरह-तरह के खादों और न्यूट्रिएंट्स का प्रयोग करते हैं। आज मैं आपको ऐसे खाद के बारे में बताऊंगा, जो कंद वर्गीय फसलों में बड़े अच्छे रिजल्ट निकल कर देता है। कंद का साइज बढ़ाने के साथ-साथ यह कंद का वजन बढ़ाने में भी सहायता करता है।
लहसुन में 70-80 दिनों पर करें ये काम:फिर होगी बंपर पैदावार:Things to keep in mind about garlic
लहसन की फसल एक ऐसी फसल है। जिसमें कोई कल्लों का फुटाव नहीं होता। इसमें एक ही पौधे पर 10 से 12 पत्ते आते हैं। और उन्हें पत्तों से पूरी फसल पक जाती है। इसलिए अगर लहसुन में एक दो पत्ते का भी नुकसान होता है, तो यह आपकी पैदावार को घटा या बढ़ा सकता है। इसलिए आपको लहसुन में विशेष तौर पर ध्यान रखना पड़ता है। 70 से 80 दिन में लहसुन में कंद बनने का समय होता है। इस समय आपको अपनी फसल का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
लहसुन में पीलापन दूर करने के उपाय:Ways to remove yellowness in garlic
लहसुन में कई तरह के रोग लगातार देखने को मिलते हैं। अभी जो मौसम चल रहा है, इसमें लगातार धुंध पड़ रही है। मौसम में नमी होने के कारण लहसुन में कई तरह के रोग देखे जा रहे हैं। किसान साथी अपने खेत का निरीक्षण करते रहें और जांच रखें। अगर आपके लहसुन की पत्तियां पीली पड़ रही है, या ऊपर से नोक सूख रही है। इस समय लगातार नमी के कारण लहसुन की पत्तियों पर फंगस बन गई है। यह फंगस पत्तों पर काले रंग के धब्बे बना देती है। इसे डाउनी मिल्ड्यू रोग कहते हैं।
लहसुन में कीट, रोग व खुराक का चमत्कारी स्प्रे:फफूंद रोग, रस चूसक कीट और टॉनिक का बेस्ट कांबिनेशन:Best spray for garlic
इस समय लहसुन की फसल में डाउनी मिल्ड्यू रोग या अन्य फफूंद रोग अधिक मात्रा में देखने को मिल रहा है। क्योंकि मौसम में लगातार नमी बनी हुई है, और धूप कम निकला रही है। इस समय फफूंदी जनक रोगों के साथ-साथ लहसुन में थ्रिप्स की समस्या भी कहीं-कहीं देखी जाती है। थ्रिप्स में आपको पत्ते पर हल्के सिल्वर रंग के छोटे-छोटे कीड़े दिखाई देंगे या फिर आपको कहीं-कहीं पीली पत्तियां भी दिखाई देती हैं। इसके साथ-साथ लहसुन में धूप न निकलने की वजह से पौधा जमीन से पोषक तत्वों को नहीं उठा पाता। इसलिए हमें पोषक तत्वों का स्प्रे भी ऊपर से कर देना चाहिए।